ममता
ममता


अपने बाल्यकाल में मुझे कुत्ते के पिल्ले बहुत प्यारे लगते थे। कभी स्कूल से घर आते समय यदि रस्ते में मुझे की कुत्ते का पिल्ला मिलता तो मैं उसे अपने घर ले आता और सारा दिन उसी के साथ खेलता रहता। हालाँकि मेरे पिताजी को ये बिल्कुल पसंद नहीं था, अतः वो हमेशा उन पिल्लों को कहीं दूर छोड़ आते और मैं खूब रोता।
मेरी इस समस्या का पूर्ण समाधान हुआ जब मेरी सोसाइटी में ही एक कुतिया ने ६ पिल्लों को जन्म दिया। उनमें से दो बिल्कुल काले थे, एक काला-सफ़ेद और एक बिल्कुल सफ़ेद। मुझे वो काला-सफ़ेद पिल्ला बहुत पसंद था। उसकी छोटी-छोटी आँखें,नन्हें हाथ पैर,और गुलाबी नाक एवं मुँह! मैं उसकी हर चीज छूता था और उसे चूमता-पुचकारता रहता था।
हमारी सोसाइटी वालों ने उनके लिये एक लकड़ी का घर बनवा दिया था जिससे वो खेलते-खेलते कहीं सड़क पर न चले जायें।
सोसाइटी के सारे बच्चों का स्कूल से वापस आकर उन पिल्लों को खिलाना-पिलाना उनकी दिनचर्या में शामिल था। सबके अपनी-अपनी पसंद के पिल्ले थे। मैं अपने पिल्ले पर किसी को हाथ भी नहीं लगाने देता था। वो एक कुतिया थी और मैंने उसका नाम "जेन्नी" रखा था।
एक दिन मैंने स्कूल से घर आकर अपना बस्ता फेंका और सीधा अपनी जेन्नी के पास भागा। वहाँ जाकर मैंने देखा की जेन्नी ग़ायब थी। मैंने आसपास खेल रहे सभी बच्चों से पूछा पर उसकी कोई खबर न मिली। मैं रोने लगा और जाकर घरवालों को ये बात बतायी तो उन्होंने आसपास के घरों में पूछा। मेरे पापा और एक दो अंकल लोगों ने सोसाइटी के बाहर और अगल-बगल की सोसाइटी में भी देखा पर जेन्नी कहीं नहीं मिली।
मैं उस दिन बहुत रोया। सबने कहा की जेन्नी इतनी प्यारी थी शायद कोई उसे चुरा कर ले गया। मैं बहुत उदास रहने लगा। प्यार ने धोखा खाये किसी प्रेमी जैसी स्थिति हो गयी मेरी। न ही खाना-पीना अच्छा लगता था और न ही किसी काम में मन लगता था। हमेशा जेन्नी की यादों में डूबा रहता था।
कुछ दिन बाद धीरे-धीरे सब सही हो रहा था कि पता चला की कोई एक और पिल्ले को चुरा कर ले गया।
इसी तरह कुछ दिन बाद एक और पिल्ला ग़ायब। अब मुझसे रहा नहीं गया। मैंने और मेरे दोस्तों ने मिलकर उस चोर को पकड़ने की योजना बनायी। हम रात में एक पेड़ के पीछे डंडा लेकर छिप गये। एक दो दिन कोई नहीं आया लेकिन तीसरे दिन जो हमने देखा उस पर हमारी आँखों को विश्वास न हुआ। जैसे ही पिल्लों की माँ इधर-उधर हुई उतने में एक अन्य कुतिया वहां आई और एक पिल्ले को मुँह में दबाकर ले भागी। हमने उसका पीछा किया। कुछ दूर जाने पर वो कुतिया एक उस पिल्ले को एक कच्चे मकान के अन्दर ले गयी। हमने खिड़की से झांककर देखा तो आश्चर्य से आँखें फटी रह गयीं। हमारे बाकी के तीन पिल्ले भी वहीं थे। मुझे एक पल को बहुत गुस्सा आया और मैं डंडा लेकर दरवाज़े की ओर बढ़ा लेकिन अगले ही पल मेरा गुस्सा रफूचक्कर हो गया। वो कुतिया उन पिल्लों के बगल में लेट गयी और वो चारों पिल्ले उसका दूध पीने लगे। बीच-बीच में वो उन पिल्लों को अपनी जीभ से चूम-चाट रही थी मानो ये उसके अपने ही बच्चे हों।
हमें कुछ समझ में नहीं आ रहा था। रात ज्यादा हो गयी थी इसलिये हम सब बच्चे घर वापस आ गये। अगले दिन स्कूल जाते समय हम वहाँ गये तो देखा की वो कुतिया उन पिल्लों को अपने आगोश में लिये आराम से सो रही थी। हमने पास के एक घर के लोगों से सारी बात बतायी और उनसे सारा माजरा पूछा। उन्होंने बताया की कुछ दिन पहले इस कुतिया ने भी ६ बच्चों को जन्म दिया था लेकिन वो बहुत कमजोर थे। कुछ कमजोरी के कारण, कुछ इस ठिठुरती ठण्ड के कारण और कुछ सड़क की गाड़ियों की चपेट में आकर मर गये। लेकिन ममता तो हर माँ के अन्दर होती है। जब इस कुतिया ने देखा की पास की सोसाइटी में भी एक कुतिया ने पिल्ले जने हैं तो इससे शायद रहा नहीं गया और इसने उन पिल्लों को यहाँ लाकर और उन्हें अपना दूध पिलाकर अपने मातृत्व को तृप्त किया।
उस दिन मुझे एहसास हुआ की इस संसार के छोटे से छोटे और बड़े से बड़े जीव सभी में मातृत्व की भावना एक समान होती है। मातृत्व की भावना अपना-पराया नहीं देखती। आज जो इस कुतिया ने किया है उसे शायद हम इंसान अपराध मानते हों लेकिन उस अपराध के पीछे की भावना जानकर हम सभी के ह्रदय द्रवित हो उठे थे....