एक चुटकी नमक
एक चुटकी नमक


जब से मनु कॉलेज से वापस आया। बस अपनी हॉस्टल मेस के खाने का ही गुण गाता रहता।
कभी कहता-
"यार मम्मी! ये भिन्डी विंडी मुझे अच्छी नहीं लगती। पता है मेरी मेस में लंच में कभी छोले बनते हैं तो कभी राजमा। भिन्डी कौन बनाता है लंच में?"
" बेटा इतना छोला राजमा खा-खा के ही ये पेट इतना बाहर निकल आया है। जाने कौन से नमक-तेल में खाना बनाते हैं वो लोग।"- मम्मी ने भी तर्क दिया।
"अरे मम्मी! कितना टेस्टी होता है वहाँ का खाना पता है? मज़ा आ जाती है।"- मनु ने बचाव में प्रत्युत्तर किया।
"अच्छा ये बताओ आज डिनर में क्या बनाने का प्लान है?"- मनु ने पूछा।
"दाल चावल और बैंगन का भरता।"- मम्मी बोली।
अब अगर कोई देसी भारतीय खाने का शौकीन होता तो वो मम्मी के हाथ चूम लेता लेकिन ये ठहरे आज कल के कोक और फ्रेंच-फ्राइज वाले बच्चे, इन्हें क्या मालूम की देसी भारतीय खाने का स्वाद क्या होता है।
अरहर की गर्म दाल में सुर्ख लहसन-प्याज और जीरे का तड़का उस पर चटपटे मसालों से लबरेज़ बैंगन का भरता, जबान पर रखते ही आत्मा तृप्त हो जाती है।
लेकिन मनु के सामने जब ये अमृत-भोग परोसा गया तो उसने नाक सिकोड़कर कहा-
"यार मम्मी आई हेट बैंगन! और दाल में कितना नमक है? मुझसे नहीं खाया जायेगा ये सब"
"अच्छा तुझे ऑमलेट बना देती हूँ"- मम्मी के कान पर जूं तक न रेंगी लेकिन पापा अपनी धर्मपत्नी का उसके ही बेटे द्वारा किया गया तिरस्कार सहन नहीं कर सके।
"तो बेटा एक दिन तुम्हीं अपनी माँ को खाना बनाकर बता दो की दाल में कितना नमक डालना चाहिए और सब्जी में कितना मसाला"- पिताजी ने व्यंग्य कसा।
"अरे क्या आप भी? कभी किचन में घुसा नहीं आजतक ये। चाय तक तो बनानी आती नहीं खाना क्या बनायेगा?" - मम्मी ने लाडले का बचाव किया।
"नहीं मम्मी! मैं सब बना लूँगा और आपसे अच्छा बनाकर दिखाऊंगा। वैसे भी खाना सबसे अच्छा लड़के ही बनाते हैं। कभी किसी बड़े होटल में किसी औरत को शेफ देखा है? बड़े-बड़े होटलों में आदमी ही खाना बनाते हैं। और वैसे भी! आजकल यूट्यूब में हर चीज बनाने की विधि उपलब्ध है।"- मनु पिताजी द्वारा दी गयी शर्त स्वीकार कर चुका था।
अगले दिन लंच के समय अपने छोटे भाई अमन को लेकर मनु किचन में घुस गया। क्यूँकी किचन में क्या कहाँ रखा है, अमन को सब मालूम था।
"पहले दो कप छोले उबाल लो। इधर मिक्सर में अदरक लहसुन का पेस्ट बना लो। अमन तू फटाफट प्याज छील दे भाई। कढाई में तेल गर्म करो।"-
ये सब काम यूट्यूब विडियो की स्पीड के अनुसार हो रहा था।इधर मम्मी को अपने लाडले की चिंता हो रही थी। वो बार-बार किचन तक जातीं लेकिन मनु उन्हें वापस भेज देता।
मनु के मसाला तैयार करना शुरू किया। पहले तेल गर्म करके प्याज़ डाला। जब तक मिर्च डालता प्याज जल गया। जब तक जिंजर-गार्लिक पेस्ट डालता, मिर्च जल गयी और ये क्रम चलता गया...
अंत में छोले बनकर तैयार हुए जिसके सालन में पानी ज्यादा होने से सारे मसाले तैर रहे थे। जले मसालों की बदबू आ रही थी। लेकिन मनु को ये भी खुशबू ही लग रही थी। चावल भी कुकर में नीचे लग गये थे। चार सीटी लगाने का कमाल था ये।
खैर, बड़े प्रेम से उसने अपनी डिश सबके सामने परोसी। मम्मी को छोड़कर किसी ने भी एक निवाले से ज्यादा नहीं खाया।
अब बारी मनु की थी। जैसे ही उसने पहला निवाला मुँह में डाला उसे अपनी गलती का एहसास हो गया। जले मसाले कड़वा रहे थे उस पर मनु सब्जी में नमक डालना भी भूल गया था।
"बिना नमक के छोले से तो अच्छा कल की ज्यादा नमक वाली दाल थी। कम से कम पेट भर खाया तो सही।"- सभी घरवाले हँसने लगे ।मनु रोने लगा। उसने तुरंत मम्मी से माफ़ी मांगी।
पापा ने मनु को समझाया की किसी स्वादिष्ट व्यंजन में कितने ही सुगन्धित और चटपटे मसाले क्यूँ न डाल लो लेकिन जब तक उसमें नमक न हो खाने का स्वाद नहीं आता इसी तरह जीवन में भी बाहर का खाना कितना भी खा लो । कुछ दिन तो सब अच्छा लगेगा लेकिन उसके बाद घर के खाने की याद सताने ही लगेगी।
अगले दिन मनु चटकारे लेकर भरवा भिन्डी खा रहा था।