प्यार की जीत
प्यार की जीत
कंचन और नितेश दोनों साथ स्कूल में पढ़ते थे..। एक दूसरे के अच्छे दोस्त भी थे। एक साथ एक ही कॉलेज में आगे दोनों ने साथ पढ़ाई की। नितेश और कंचन एक दूसरे को बहुत पसंद करते थे पर कभी कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पाए..।
दोनों ही सोचते कि पता नहीं जैसे वो फील करते है दूसरा भी वैसे करता है या नहीं। एक दिन जैसे तैसे उसने कंचन को अपने दिल की बात बताने का फैसला किया। नितेश को इस बात का बहुत डर था कि कहीं कंचन ने उसे ना कह दिया तो उसका दिल टूट जाएगा। पर फिर भी उसने फैसला ले लिया था कि चाहे जो हो जाए वह कंचन को अपने दिल की बात बताकर रहेगा।
एक दिन नितेश और कंचन एक साथ कॉलेज की केंटीन में बैठे थे.. जहां उस वक्त उनके अलावा कोई और नहीं था..। नितेश ने कंचन से कहा - अगर मै तुमसे कुछ कहूं तो बुरा तो नहीं मानोगी..? कंचन ने न में सिर हिला दिया और कहने लगी - "तुम्हे मुझसे कुछ कहने के लिए परमिशन लेने की जरूरत नहीं है और जो चाहो बोल सकते हो..।" कंचन की बात सुनकर नितेश थोड़ा confident हो गया।
नितेश ने कंचन का हाथ पकड़ा और कहने लगा - "कंचन हम इतने सालो से एक साथ है,दोस्त की तरह..पर पता नहीं कब मुझे तुमसे प्यार हो गया.. तुम अगर मेरे आस पास होती हो तो मै बहुत खुश होता हूं..मै अपनी पूरी लाइफ तुम्हारे साथ ही spend करना चाहता हूं.. आई लव यू कंचन..क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो..? क्या तुम भी मेरे लिए वैसा ही feel करती हो जैसा मै तुम्हारे लिए करता हूं..?
कंचन नितेश की बाते सुनकर खामोश हो जाती है। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहे..। कंचन के दिल की खुशी उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी और आंखो में अलग ही चमक थी..। पर खुशी इतनी थी कि उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या कहे? कैसे रिएक्ट करे?
कंचन अपने ही ख्यालों में खो गई। नितेश ने कंचन को हिलाते हुए कहा - "क्या हुआ कंचन ? कहां खो गई ? मैंने कुछ पूछा तुमसे, तुमने जवाब नहीं दिया मुझे। मै जवाब का इंतजार कर रहा हूं कंचन, कुछ तो बोलो...। देखो जो भी है तुम साफ साफ मुझे बोल दो..अगर तुम मुझसे प्यार नहीं करती तो कोई बात....."(इतना कहते ही कंचन ने नितेश के मुंह पर अपना हाथ रख दिया)
" कितना बोलते हो तुम...थोड़ी देर भी चुप नहीं रह सकते न.. जब देखो तब चटर पटर करते रहते हो.. मुझे तो बोलने का मौका दो..।" कंचन एक साथ लगातार बोलती ही चली गई और उसने ध्यान ही नहीं दिया कि अब तक उसने नितेश का मुंह बन्द किया हुआ था। नितेश ने आंखो से इशारा करते हुए कंचन को अपना हाथ हटाने को कहा...। जैसे ही कंचन ने हाथ हटाया नितेश ने लंबी सांस ली और कहने लगा - "बोलो अब तुम पहले, जो बोलना है, मै चुप हूं, पता लगा फिर से मेरा ही मुंह बन्द कर दिया।"
(दोनों हंसने लगते है)
" हां नितेश मै भी तुमसे प्यार करती हूं और तुम्हारे साथ ही अपनी पूरी लाइफ स्पेंड करना चाहती हूं"(कंचन थोड़ा शरमाते हुए कहने लगी) "पता है मै तो तुम्हे स्कूल टाइम से पसंद करती हूं, पर कहने में हिचकती थी, ये सोचकर कि पता नहीं तुम क्या सोचोगे मेरे बारे में..।"
नितेश ने कंचन को गले लगाया और उसका माथा चूमते हुए कहने लगा - "कितने पागल है हम दोनों, प्यार दोनों ही करते है और कहने से बेवजह डर रहे थे।" कंचन ने हा में सिर हिलाते हुए कहा - बहुत पागल और फिर दोनों हंसने लगे...।
कॉलेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद नितेश ने कंचन से शादी करने की बात कही। कंचन शादी की बात से बचने की कोशिश कर रही थी, क्योंकि उसे लगता था कि शायद नितेश की फैमिली रिश्ते को accept नहीं करेगी। नितेश कंचन का डर समझ रहा था इसलिए उसने उस वक्त ज्यादा कुछ नहीं बोला। उसने कंचन को कुछ कहने के बजाए अपनी फैमिली में बात करना जरूरी समझा।
कंचन से मिलने के बाद नितेश सीधे अपने घर गया। नितेश की फैमिली कंचन और उसके परिवार को अच्छे से जानती थी। इसलिए नितेश ने उन्हें सब कुछ बोल दिया कि वह कंचन से प्यार करता है और उसी से शादी करना चाहता है। नितेश के घर में उसकी मम्मा की ही चलती थी। घर के हर फैसले नितेश की मम्मा करती थी।
कंचन के परिवार का नाम सुनते ही नितेश की मां उस पर भड़क उठी - "तुझे पूरी दुनिया में एक वही लडकी मिली शादी करने के लिए... जानता है न उसके पापा ने क्या क्या कारनामे किए हुए है..? पूरे शहर में नाम खराब है उनका और तुझे उन्हीं की बेटी मिली।"
नितेश झुंझलाते हुए कहने लगा - "मुझे शादी कंचन से करनी है उसके पापा से नहीं..। उन्होंने क्या किया क्या नहीं, उससे मुझे कुछ लेना देना नहीं है। मुझे मतलब है तो सिर्फ कंचन से और वैसे भी कंचन यहां आकर रहने वाली है, मुझे थोड़ी उनके साथ जाकर रहना है।"
नितेश की मम्मा उसे समझाते हुए कहने लगी - "बेटा, सब जानते है कि उसके पापा एक क्रिमिनल है.. उन्होंने तो अपनी ही पत्नी को मार डाला था.. और अगर तू उससे शादी करेगा तो लोग क्या कहेंगे कि कैसे घर में हमने अपने बेटे का रिश्ता किया है..? सब लोग तरह तरह की बाते बनाएंगे पर तू इन बातो को नहीं समझेगा अभी।"
नितेश ने अपनी मम्मा को साफ साफ बोल दिया कि शादी करूंगा तो सिर्फ कंचन से वरना किसी से भी नहीं..। जबरदस्ती मेरे साथ मत करना और न मुझ पर दबाव डालना किसी और से शादी करने के लिए..प्लीज । क्योंकि मै किसी से शादी नहीं करूंगा..। आपको कंचन से, उसकी फैमिली से प्रॉब्लम है तो मुझे किसी और से करने में प्रॉब्लम है..। नितेश गुस्से में घर से बाहर चला गया।
नितेश अक्सर एक साई बाबा के मंदिर में जाता था जहां उसे बहुत सुकून मिलता था..। जब भी कभी उसका मन उदास होता वो वहां जाकर बैठ जाता था। आज भी नितेश पूरी रात वही उसी मंदिर में बैठा रहा और मिन्नते करने लगा कि उसे उसका प्यार मिल जाए। नितेश के चेहरे पर उदासी रहने लगी। कंचन ने बहुत बार पूछा पर नितेश ने घर पर जो भी बाते हुई, उसे कभी नहीं बताई। काम का दबाव है थोड़ा, बस यही कहकर वो बात टाल दिया करता।
एक रोज नितेश कंचन को उसी साईं मन्दिर में लेकर गया जहां वो अक्सर जाता था। नितेश ने कंचन से पूछा - "क्या तुम मुझसे शादी करना चाहती हो ?" कंचन ने कहा - हां, पर.....।
" पर, वर कुछ नहीं सिर्फ हां या ना" - नितेश थोड़ा तेज आवाज में बोला।
" शादी तो करना चाहती हूं पर मुझे पता है तुम्हारी फैमिली कभी हमारे रिश्ते को नहीं स्वीकारेगी..मेरे पापा की वजह से, है ना..?"कंचन की बाते सुनकर नितेश खामोश हो गया.. क्योंकि उसने जो कहा वो सच था.. पर वह कंचन को ये सब नहीं बता सकता था,उसके दिल को ठेस पहुंचती..।
नितेश ने कंचन का हाथ थामा और उसे समझाते हुए कहने लगा - "तुम जानती हो मै तुम्हे यहां क्यों लाया हूं ? क्योंकि मुझे अगर कभी भी हारा हुआ महसूस हुआ है तो मै यही आता हूं, इन्होंने मुझे संभाला है, अपना आशीर्वाद हमेशा मुझ पर बनाए रखा.. आज उनके सामने मै तुमसे वादा करता हूं, चाहे जो हो जाए शादी मै सिर्फ तुमसे करूंगा..। फैमिली को मनाने के लिए मुझे जो करना पड़े मै वो सब करूंगा, बस तुम मुझ पर भरोसा बनाए रखना.. क्योंकि तुम्हारे बिना मै कुछ नहीं कर पाऊंगा..। साथ दोगी ना मेरा घरवालों को मनाने में..? ( नितेश ने कंचन की तरफ अपना हाथ बढ़ाया)
कंचन ने नितेश का हाथ थामते हुए कहा -"चाहे कुछ भी हो जाए, मै तुम्हारा साथ कभी नहीं छोडूंगी..। तुम जो भी फैसला लोगे, मुझे मंजूर होगा..।बस एक बात कहना चाहती हूं तुमसे...बस कभी ऐसा कुछ मत करना या कहना, जिससे तुम्हारे परिवार को ठेस पहुंचे..।" नितेश कंचन को विश्वास दिलाता है कि वह ऐसा कभी कुछ नहीं करेगा..। नितेश कंचन के माथे को चूमता है, उसे गले लगाता है और बाय बोलकर अपने घर लौट जाता है..।
नितेश ने कंचन को कह तो दिया पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे जिससे उसके घरवाले रिश्ते के लिए मान जाए..। इसी बीच कंचन और नितेश के प्रेम संबंध के विषय में उसके पापा को पता लग गया...और कंचन पर बहुत गुस्सा करने लगे..। कंचन अपने पापा को समझाने लगी कि वह नितेश से बहुत प्यार करती है पर उसके पापा उसकी एक बात सुनने को तैयार नहीं थे..। उन्होंने कंचन से उसका फोन छीन लिया और उसका घर से बाहर जाना भी बन्द कर दिया ताकि वह नितेश से ना मिल सके..।
नितेश कंचन को जब भी कॉल करता, उसका फोन हमेशा बन्द आता था..। काफी दिन ऐसे ही बीत गए नितेश कंचन से बात करने की लगातार कोशिश कर रहा था पर उसकी बात एक बार भी कंचन से नहीं हो पाई..। नितेश ने कंचन की सभी दोस्तो को कॉल करके पूछा कंचन के बारे में पर उसे कहीं से भी कुछ पता नहीं चला..। एक दिन कंचन की छोटी बहन नितेश की शॉप पर कुछ सामान खरीदने के बहाने गई, जिसे कंचन ने ही भेजा था..।
कंचन की बहन ने नितेश को घर पर हुई सभी बाते बता दी..जिसे सुनकर नितेश बहुत परेशान हो गया..। उसे बस कंचन की फिक्र हो रही थी कि न जाने वो कैसी होगी..। दोनों ही एक दूसरे के लिए बहुत परेशान हो रहे थे..। कंचन बहुत ज्यादा परेशान रहने लगी थी..। अक्सर उसकी तबियत खराब रहने लगी थी और नितेश की याद में रोती रहती थी..। पर उसे भरोसा था कि नितेश एक दिन सब सही कर देगा..।
कंचन बहुत ज्यादा कमजोर हो गई थी..। उसकी ऐसी हालत देख उसकी सौतेली मां को उसकी चिंता होने लगी..। मां चाहे सगी हो सौतेली आखिर मां ही होती है.. वो कभी अपने बच्चो को दर्द में नहीं देख सकती..। कंचन की मम्मा ने उसके पापा को समझाने की बहुत कोशिश की पर वो किसी की कोई बात नहीं सुनना चाहते थे..।
एक दिन कंचन की मम्मा ने कंचन को समझाने की कोशिश की -"बेटा तुम अपने पापा को जानती हो न, कितने जिद्दी है वो..। एक बार जो मन बना लिया उनके लिए वही पत्थर की लकीर बन जाता है..। मैंने तुम्हारे पापा से भी बात की पर वो कुछ सुनना ही नहीं चाहते है..। मुझे लगता है तुम्हे नितेश को भूलकर आगे बढ़ना चाहिए..।" अपनी मां की बाते सुनकर कंचन उनके गले लगकर रोने लगी..।
कंचन अपनी मम्मा से कहने लगी -"मम्मा मै नितेश से बहुत प्यार करती हूं और मै उसके बिना नहीं रह सकती..। मैंने उसे वादा किया था मम्मा कि वो जो भी फैसला लेगा मै उसका साथ जरूर दूंगी..। अब आप ही बताओ ना मम्मा मै कैसे उसका साथ न दू..। वो मेरे लिए अपनी फैमिली को मनाने में लगा है और आप कह रही है कि उसे भूल जाऊ.. कैसे मम्मा..? कैसे भूल जाऊ नितेश को..? मै बहुत प्यार करती हूं और वो मुझसे.. मम्मा..।"
कंचन की मम्मा उसे चुप कराने की कोशिश करती है..। कंचन रोते हुए बार बार यही कहती है -" मम्मा प्लीज आप पापा से बात कीजिए.. उन्हें मनाइए प्लीज मम्मा..प्लीज़..।" कंचन की मम्मा उसे वादा करती है कि वो उसके पापा से जरूर बात करेगी और उन्हें मनाने की पूरी कोशिश करेगी..।" कंचन अपनी मम्मा की गोद में सिर रखकर सिसकियां भरती रहती है..। उसकी मां उसका सिर सहलाती रहती है और थोड़ी ही देर में कंचन की आंख लग जाती है..।
कंचन के सो जाने के बाद उसकी मम्मा अपने कमरे में जाकर उसके पापा से बात करती है..। कंचन के पापा की आंखे नम हो जाती है और उदास मन से कहते है -"तुम सभी को लगता है कि मै अपनी बेटी की खुशियों का दुश्मन हूं, पर ऐसा नहीं है..। मै भी चाहता हूं कि मेरी बेटी जहा भी रहे खुश रहे..। उसकी शादी एक ऐसे घर में हो जहा उसे पूरा मान - सम्मान मिले, बहुत सारा प्यार मिले..।"
"हां तो वहां है ना नितेश, कितना प्यार करता है वो हमारी बेटी को..हमेशा खुश रखेगा उसे.. कभी कोई तकलीफ़ नहीं होने देगा.." - कंचन की मां नितेश पर भरोसा दिखाते हुए कहने लगी..।
कंचन के पापा अपनी चिंता जताते हुए कहने लगे -" वहा उस घर में सिर्फ नितेश ही नहीं उसका परिवार भी होगा जो कभी इस रिश्ते के लिए नहीं मानेगा और वो भी सिर्फ मेरी वजह से..। अभी तक तो सिर्फ सुना था कि बड़ों के कर्मो की सजा उनके बच्चो को भुगतनी पड़ती है आज खुद के साथ भी वही हो रहा है..।"
कंचन की मां उसके पापा को समझाते हुए कहने लगी कि ऐसा कुछ भी नहीं है..। हमारी बेटी के साथ कुछ गलत नहीं होगा..। उसे उसका सच्चा जीवनसाथी मिलेगा जो उसे बहुत प्यार करेगा..। कंचन के पापा कहने लगे -"मै भी तो यही चाहता हूं कि मेरी बेटी को एक ऐसा जीवनसाथी मिले जो उसे रानी बनाकर रखे..। नितेश के घरवाले नितेश के दबाव में आकर अगर शादी के लिए मान भी गए तो क्या वहा उसे वो सम्मान मिलेगा जिसकी वो हकदार है..? एक तो मेरे ही बुरे कर्म और उसपर उनकी लव मैरिज.. आए दिन मेरी बच्ची को ससुराल में ताने सुनने पड़ेंगे..। आज भी अपने समाज में तो लव मैरिज को एक कुकर्म ही मानते है लोग..। कैसे रहेगी मेरी बच्ची उस घर में..?"
कंचन की मम्मा उसके पापा से ये सवाल करती है कि क्या आपको अपनी बेटी पर भरोसा नहीं..? हमारी बेटी इतनी प्यारी है वो ससुराल में भी सबको अपना बना लेगी..। अपने स्वभाव से सबका दिल जीत लेगी..। कभी कोई दुख आया भी तो नितेश होगा ना उसे संभालने के लिए..।
कंचन के पापा दुविधा में थे कि क्या सही है क्या गलत है..? क्या करे क्या नहीं.. यही सब सोचते सोचते पूरी रात गुजर गई..। आखिरकार उन्होंने सोच लिया कि उन्हें क्या करना है..। सुबह उन्होंने कंचन को अपने पास बुलाया ताकि वो अपना निर्णय सुना सके..। कंचन थोड़ी डरी हुई थी न जाने पापा क्या कहेंगे पर उसे भरोसा भी था कि उसके पापा जो भी निर्णय लेंगे उसके हित में ही होगा..। कंचन ने आकर देखा नितेश भी वही उसके पापा के पास ही बैठा है तो उसने थोड़ी राहत की सांस ली पर मन में हजारों सवाल थे कि पापा ने नितेश को यहां क्यों बुलाया है..।
कंचन ने आकर पूछा कि पापा आपने मुझे बुलाया..? उसके पापा कहने लगे कि अभी थोड़ी देर रुको.. तुम्हारे दादाजी को आ जाने दो फिर सबके सामने ही बात करते है..। कंचन ने कहा ठीक है पापा और एक तरफ थोड़ी सहमी हुई खड़ी हो गई..। नितेश और कंचन दोनों एक दूसरे को देखते हुए एक ही बात सोच रहे थे कि न जाने पापा ने क्या फैसला लिया है..? ऐसी कौनसी जरूरी बात करने के लिए बुलाया है हम सबको..? और थोड़ी ही देर में उसके दादाजी भी वहां आ पहुंचे..। कंचन और नितेश दोनों ही ये जानने के लिए उत्सुक थे कि पापा क्या कहने वाले है तो एक साथ ही बोल पड़े -" अब तो दादाजी भी आ गए, क्या बात है बता दीजिए पापा..?"
कंचन के पापा नितेश की परीक्षा लेते है और उससे एक बात कहते है..। कंचन के पापा कहते है कि मैंने एक फैसला लिया है कि शादी के बाद तुम और कंचन यही हमारे साथ हमारे घर में रहोगे..। नितेश उनकी बाते सुनकर चौंक जाता है और कहता है कि uncle आप चाहते है कि मै यहां घर जमाई बनकर रहू..। कंचन के पापा कहते है -"तुम बिल्कुल सही समझे..। अगर तुम कंचन से प्यार करते हो तो यही इसी घर में रहना होगा..। उस घर में मेरी बेटी को आए दिन ताने सुनने को मिलेंगे, खरी खोटी सुनाई जाएगी इसलिए मै नहीं चाहता कंचन वहा रहे..।"
तभी कंचन बीच में बोलती है कि पा....। इससे पहले की वो कुछ बोल पाती नितेश उसे चुप करा देता है..। नितेश कहता है -"अंकल मै आपकी बेटी से बहुत प्यार करता हूं पर मै अपनी फैमिली से भी बहुत प्यार करता हूं..। इतना खुदगर्ज नहीं हूं कि अपनी खुशी के लिए अपने मम्मा पापा को छोड़ दू..। अगर आपको मुझ पर भरोसा नहीं है कि अगर फ्यूचर में कोई प्रॉब्लम आई तो मै आपकी बेटी के साथ खड़ा रह सकूं, तो फिर रिश्ता करने का कोई मतलब नहीं बनता..। आपने शादी के लिए हां भी कर दिया तो भी आपको यही टेंशन बनी रहेगी कि आपकी बेटी खुश है या नहीं..। सॉरी अंकल पर मुझे आपकी शर्त मंजूर नहीं है..।" नितेश उदास होता हुआ वहा से जाने के लिए खड़ा हो जाता है..।
ये सब देखकर कंचन के दादाजी को बहुत खुशी होती है और नितेश को गले लगा कर कहते है कि हमारी बच्ची के लिए इससे अच्छा लड़का नहीं मिल सकता..। नितेश और कंचन की आंखो से खुशी के आंसू छलक पड़ते है और नितेश दादाजी के पैर छूकर आशीर्वाद लेता है और नितेश और कंचन एक साथ दादाजी के गले लग जाते है..। कंचन अपने पापा के पास जाकर पूछती है कि पापा अब तो आपको इस रिश्ते से कोई ऐतराज नहीं है ना..? कंचन के पापा हामी भरते हुए कहते है -"जब मेरी बेटी खुश तो मुझे कोई दिक्कत नहीं इस रिश्ते से..।"
कंचन के परिवार को मनाने के बाद नितेश के सामने बड़ी समस्या थी अपनी मम्मा को मनाना, जो पहले ही रिश्ते के लिए इनकार कर चुकी थी..। थोड़ी ही देर में कंचन के पापा और दादाजी कंचन और नितेश के रिश्ते की बात करने के लिए नितेश के घर जा पहुंचे..। नितेश को लगा शायद उसकी टेंशन अब खत्म हो जाएगी, जब बड़े मिलकर बात करेंगे तो शादी के लिए मम्मा मान जाएगी..। कंचन के पापा की बार बार मिन्नते करने के बाद भी नितेश की मम्मा ने शादी के लिए साफ इनकार कर दिया..।
नितेश की मम्मा नितेश के लिए दूसरी लड़कियों के रिश्ते देखने लगी..। नितेश हर लडकी के लिए मना कर देता है कि उसे कोई लड़की पसंद नहीं..। अगर शादी करेगा तो कंचन से वरना किसी से भी नहीं..। हर बार नितेश का एक ही जवाब सुनकर एक दिन तंग आकर नितेश की मम्मा उस पर चिल्लाने लगी -"चाहता क्या है तू हमसे..? जब देखो तब नहीं करनी नहीं करनी.. हमारे बारे में भी तो सोच, इतनी उम्र हो गई मेरी, घर के काम करने मै भी कितनी परेशानी होती है मुझे..। ये नहीं की शादी कर ले, घर में बहू आए तो काम में थोड़ी मदद हो जाए मेरी..। पर नहीं तुझपे तो उसी कंचन का भूत सवार है बस..। उसके अलावा कोई और दिखती नहीं तुझे, इतनी सुंदर सुंदर लड़कियों को भी मना कर देता है..।"
नितेश अपनी मम्मा को समझाते हुए कहता है -" मम्मा मै कंचन से बहुत प्यार करता हूं तो कैसे किसी और से शादी कर सकता हूं मै..? मैंने उससे वादा किया है उसका उम्रभर साथ निभाऊंगा.. और अब तो उसके परिवारवाले भी मान गए..। प्लीज़ आप भी मान जाओ ना मम्मा.. मेरे लिए प्लीज़ हां करदो इस शादी के लिए..। मै कंचन के बिना नहीं रह पाऊंगा मम्मा.. प्लीज़ मान जाओ ना..।"
नितेश की मम्मा गुस्से में कहती है कि ठीक है तुझे वही लड़की ज्यादा प्यारी है ना तो का करले उससे शादी, मै कुछ भी नहीं बोलूंगी..। तुझे जो करना है करले, मेरी इजाजत की जरूरत ही कहा है अब तुझे...?
नितेश अपनी मम्मा का हाथ पकड़कर कहता है -"अगर मुझे आपकी मर्जी के खिलाफ जाकर ही कंचन से शादी करनी होती तो मै कब का के चुका होता मम्मा..। पर मै आपका दिल नहीं दुखाना चाहता मम्मा...। मै उससे बहुत प्यार करता हूं मां..प्लीज़ एक बार अपने बेटे पर भरोसा करके देख लो मम्मा..। कभी आपको उसकी तरफ से शिकायत का मौका नहीं मिलेगा.. प्लीज़ मम्मा..प्लीज़ मान जाओ..।"
नितेश की जिद्द के आगे उसकी मम्मा ने घुटने टेक दिए..। आखिरकार उन्हें भी शादी के लिए मानना पड़ा..। कब तक एक मां अपने झूठे सम्मान के खातिर अपने बेटे की खुशियों का गला घौटती रहेगी..। एक न एक दिन तो उन्हें भी समझना ही था लोग सिर्फ बाते बनाते है असल में उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता चाहे कोई किसी से भी शादी करे..। देर से ही सही पर नितेश की मम्मा को ये बाते समझ आई और वो खुद अपने बेटे नितेश के लिए कंचन के घर उसका हाथ मांगने गई..।
नितेश और कंचन का प्यार जीत गया..। कुछ ही दिनों में उनकी शादी हो गई और शादी के बाद जब भी कभी किसी ने कंचन को उसके पापा के कर्मो की वजह से सुनाया, ताने दिए कि कैसे घर की बेटी बहू बनकर आई है.. हर बार कंचन की सास उनकी ढाल बनी..। जो औरत कभी कंचन को नापसंद करती थी, आज वही सबसे उसे बचाकर रखती है..।
कंचन के जीवन में उसकी असली मां की जो कमी थी.. वो नितेश की मां ने पूरी की..। कंचन और नितेश अपने सांसारिक जीवन में अपने परिवार के साथ हसीं खुशी रहने लगे..।
प्यार अगर सच्चा हो तो कोई उसे हरा नहीं सकता..। अगर प्यार किया है तो अपने प्यार पर भरोसा कभी डगमगाने न देगा..। प्यार की असली ताकत एक दूसरे पर विश्वास है..। लोगो को भी समझने की जरूरत है लव मैरिज कोई बुरा काम नहीं है या लव मैरिज करने वाले बुरे नहीं होते.. न जाने क्यों हमारे समाज में प्रेम विवाह को हीन भावना से देखते है.. उसे अपवित्र मानते है..?

