Navya Agrawal

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अनमोल रिश्ता भाग 1

अनमोल रिश्ता भाग 1

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"मम्मी मुझे कही नहीं जाना...मै नहीं जाऊंगी बुआ के घर... मेरा मन नहीं लगता कही ओर जाकर..मै अकेले नहीं रह सकती आपके बिना कही भी......"

        (निशि बिना सांस लिए लगातार बोलती जा रही थी)

" बेटा, बुआ को जरूरत है ना..वरना मै नहीं भेजती तुझे।.. वहां शादी का काम और उस पर बुआ की तबियत भी खराब है तो जाना होगा ना...अपने ही काम नहीं आएंगे तो रिश्तों का क्या मतलब है.?

            (निशि की मां ने समझाते हुए उसे कहा)

"  तो कोई और चला जाएगा..बुआ किसी और को बुला लेंगी.. पर मुझे नहीं जाना मतलब नहीं जाना..बस...। मना कर दो बुआ को मै नहीं जाऊंगी..।"

             (निशि थोड़े गुस्से में झुंझलाती हुई बोली)

निशि की मां उसे शांत करते हुए बोली...ठीक है बुआ को घर आने दे..तब बात कर लूंगी मै उनसे..। होली पर आएगी ना तब मना कर दूंगी..गुस्सा मत कर अब..।

होली का दिन -

(निशि की बुआ की बेटी साक्षी की शादी होली के 4 दिन बाद है..। इसलिए उसकी बुआ होली के दिन भात नोतने की रस्म करने आयी है..।)

 भात नोतने की रस्म करने के बाद सभी ने मिलकर खाना खाया..। निशि अपनी बुआ से छिप रही थी कि बुआ उसे साथ चलने के लिए न कह दे..।खाना खाने के बाद जब सभी मिलकर बैठे बाते कर रहे थे तो निशि की मां कहने लगी..जीजी निशि की आंखो में होली का रंग जाने से बहुत जलन हो रही है और इस वजह से वो जाने की मना कर रही है..। निशि दूर बैठी सब बाते सुन रही थी कि शायद बुआ मान जाएं और उसे जाना नहीं पड़े..।

बुआ - भाभी भेज दो उसे..घर पर काम की बहुत दिक्कत हो रही है..। मुझे तो कमर में इतना दर्द रहता है कि मै कुछ कर नही पाती..और शालू (बुआ की छोटी बेटी) भी अकेली कहा तक काम करेगी। उसे इतना कुछ आता भी नहीं है..वो तो बस बाहर का काम निपटा देती है..घर का तो कुछ आता नहीं है..।

निशि की मां - चलो ठीक है..कोई बात नहीं..चली जाएगी आपके साथ..(निशि की मां ने ज्यादा बोलना उचित नहीं समझा)।

         निशि सारी बाते सुन रही थी और बैठे बैठे मुंह बना रही थी क्योंकि वह जाना नहीं चाहती थी..। वह चुपचाप वहां से बिना बोले अपने कमरे में जाकर अपनी पैकिंग करने लगी..। तभी कमरे में उसकी मम्मी भी आ गई..।

मम्मी - बेटा..कोई बात नहीं..मैंने तो मना भी किया पर बुआ नहीं मानी..। कोई बात नहीं एक दो दिन की ही तो बात है ना..शादी से एक दिन पहले तो हम सब आ ही जाएंगे ना...।

निशि - मम्मी..रहने ही दो...मैंने देखा क्या कहा आपने बुआ को..उन्होंने बस एक बार बोला और आपने दोबारा कहा भी नहीं..।

( निशि की आंखो में आंसू आ गए और वह उन्हें छिपाने की कोशिश कर रही थी)

मम्मी - मै कुछ हेल्प करू पैकिंग में बेटा..?

निशि - नहीं मम्मी..आप जाओ..बुआ के पास..मै कर लूंगी ये तो..।

(निशि नजरे चुराते हुए बस पैकिंग में लगी थी और निशि की मां भी वहां से चली जाती है)

              निशि अपना बैग लेकर कमरे से बाहर आती है.. जहां उसकी बुआ और फूफाजी जाने की तैयारी में थे बस उसी के इंतजार में रुके थे..। जैसे ही निशि सामान लेकर अाई निशि के पापा ने उसका सामान कार में रखा और निशि अपनी बुआ के साथ उनके घर चली गई..।

            निशि का मन बिल्कुल उदास था क्योंकि वह कभी अपनी मम्मी के बिना कही नहीं गई..और अगर कहीं जाती थी तो शाम तक वापस लौट आती थी..। निशि एक ऐसी लड़की थी जो अपने घर, अपने भाई बहन, मम्मी पापा से एक दिन के लिए भी दूर नहीं रह सकती थी..। उसे मज़बूरी में अब 4-5 दिनों के लिए सबसे दूर जाना पड़ा..। निशि का चेहरा भी एकदम मुरझाया हुआ था।

              तकरीबन एक घंटे के सफर के बाद रात के करीब 8 बजे अब वो बुआ के घर पहुंच गए.. जहां निशि की बुआ की बेटियां बेसब्री से उसका इंतजार कर रही थी..। जैसे ही वह कार से उतरी तो देखा घर के बाहर ही बहुत सारे बच्चे बैठे मस्ती कर रहे थे..। जिनमे बुआ की बेटी, उनके देवर के बच्चे, जेठ के बच्चे.. सभी cousins बैठे हुए थे और सबने मिलकर बहुत शोर मचाया हुआ था..। निशि वहां किसी को भी नहीं जानती थी तो बस अजनबियों की तरह सबकी शक्ले देख रही थी।

            उन सभी के बीच बुआ के देवर का बेटा ओवेश भी वहीं बैठा था..। जो लगातार कार से उतरते हुए निशि पर ही नजरे टिकाए बैठा था..। ओवेश निशि को नहीं जानता था कि वह कौन है..पर निशि को देखते ही उसका मन निशि की ओर आकर्षित हो गया..क्योंकि निशि दिखने में बेहद खूबसूरत और मासूम सी थी। एक ऐसा चेहरा जो किसी को भी अपनी तरफ खींचने वाला था..। ओवेश ने भी कुछ ऐसा ही खींचाव निशि के लिए महसूस किया और उसे देखते ही पहली नजर में निशि से प्यार हो गया..। ओवेश पहली ही बार में निशि को अपना दिल दे बैठा..। वह कैसे भी करके बस निशि से बात करने की सोचने लगा..।

                बच्चो की उसी टोली में ओवेश की बहन की दोस्त भी बैठी थी जिसका नाम था - मेघा...। मेघा ओवेश को पसंद करती थी पर ओवेश का दिल निशि पर आ गया..। तीनो के बीच लव ट्रायंगल सा बन चुका था..। रात हो चुकी थी इसलिए ओवेश निशि से बात नहीं कर पाया था और सभी अपने अपने घर जाकर सो गए..।

              अगली सुबह जब ओवेश उठा तो उस का मन निशि को देखने का था..और वो उठकर अपनी तायजी के घर यानी निशि की बुआ के घर आया..ताकि वो निशि को देख सके और उससे बात कर सके..। ओवेश ने देखा निशि कमरे में है पर वो अंदर नहीं गया..और कमरे के बाहर से ही देखकर लौट गया..। निशि जहां भी जाती ओवेश की नजर हमेशा उसी पर होती..। निशि को उसका ऐसे देखना थोड़ा अजीब लगता था पर वो उसे कहती भी तो क्या..? निशि ने इसे अपना वहम समझकर टालना ही उचित समझा..।

                 शाम के वक्त सभी संगीत के लिए डांस की प्रैक्टिस करने में लगे थे..। सब अपने अपने डांस की प्रैक्टिस कर रहे थे..। मेघा, जो कि बहुत अच्छा डांस करती है..वो सभी लड़कों को एक हरियाणवी गाने पर डांस सिखा रही थी..जो सपना चौधरी का सबसे मशहूर गाना..तेरी आख्या का यो काजल...था। निशि वहां बैठी सबका डांस देख रही थी..और बहुत हंस भी रही थी क्योंकि उन्होंने गाना भी ऐसा चुना था..उस पर मेघा का लड़कों को डांस सिखाना..। सभी मेघा से डांस तो सीख ही रहे थे साथ ही उस पर हंस भी रहे थे..। मस्ती करते करते डांस करना..और मेघा का डांस देखकर हंस हंस कर पेट में दर्द होने लगा था..। लडको ने तो उसका नाम ही जूनियर सपना चौधरी रख दिया था..।

                इसी बीच निशि की बुआ ने निशि को किसी काम के लिए बुला लिया और निशि वहां से चली गई...। लड़के अपने दूसरे डांस की प्रैक्टिस कर रहे थे कि बीच में एक स्टेप पर अटक गए..। बुआ की बेटी ने उन्हें बताया कि निशि बहुत अच्छा डांस करती है..अगर सीखना हो तो वो सीखा देगी..। ओवेश के लिए तो ये एक गोल्डन चांस था निशि से बात करने का..उसे जानने का..। उसने तुरंत हां बोलते हुए कहा..दीदी बुला लो निशि को..अगर इतना ही अच्छा डांस आता है तो थोड़ा डांस हमें भी सिखा देगी..।


              जैसे ही ओवेश ने निशि का नाम लिया और उसके साथ डांस करने की बात कही..मेघा का मुंह उतर गया..वह निराश हो गई और उसकी आंखो में आंसू आ गए..। निशि गुस्से में वहां से उठकर चली गई..। सबको लगा कि शायद उसे इस बात का बुरा लगा है कि ओवेश उसे चिडा रहा था.. उसके डांस पर हंस रहा था..। प्रैक्टिस करते करते रात हो गई थी तो सभी खाना खाकर अपने अपने घर चले गए..।

घर जाकर ओवेश ने मेघा को मैसेज किया..।

ओवेश -सॉरी

मेघा -कॉल करो

ओवेश ने मेघा को कॉल किया..। ओवेश ने जैसे ही हैलो बोला..मेघा रोने लग गई..।ओवेश उसे सॉरी बोलते हुए मनाने लगा और अपनी सफाई देने लगा.......

ओवेश - सॉरी यार, मेरा इरादा तुझे हर्ट करना नहीं था..हम बस मजाक में बोल रहे थे सब.. सॉरी..!

मेघा - मै उस बात के लिए गुस्सा नहीं हूं तुमसे...(रोते हुए)

ओवेश - उसके लिए नहीं तो फिर किस बात पर रो रही हो यार तुम..? मुझे लगा हम सब हंस रहे थे इसलिए तुम्हे बुरा लगा है..। अगर ये बात नहीं तो और क्या बात है..?

मेघा - निशि कौन है..? बाकी सबको तो मै जानती हूं सभी तुम्हारी बहन लगती है पर ये निशि कौन है जिससे डांस सीखना था तुम्हे..?

                     ( मेघा थोड़े गुस्से में बोली)

ओवेश - अरे ! वो यार कोई नहीं..वो साक्षी की मामा की बेटी है..और मैंने तो बस डांस के लिए इसलिए कहा क्योंकि दीदी ने कहा उसे अच्छा आता है डांस..बस और कोई बात नहीं है..।

             (ओवेश मेघा को शांत कराते हुए बोला)

मेघा - तुम झूठ मत बोलो मुझसे..समझे..देखा है मैंने सारा दिन उसी पर नजर रहती है तुम्हारी..।

               ( मेघा गुस्से में तमतमाते हुए बोली)

ओवेश - ऐसा कुछ भी नहीं है यार.. मै नहीं देखता उसे..। तुम्हे कोई गलतफहमी हो गई होगी..।

मेघा - ठीक है इस बार छोड़ रही हूं..पर मैंने दोबारा तुम्हे उसे देखते हुए देख लिया तो आंखे नोच लूंगी तुम्हारी...समझे... I hate her..

ओवेश - ठीक है..ठीक है.. अब नहीं देखूंगा उसे..भड़को मत..।

(इतना कहते ही दोनों हंसने लगते है और फिर गुडनाईट बोलकर सो जाते है)

               निशि इन सभी बातों से अनजान थी..। वो नहीं जानती थी कि मेघा उसे मन ही मन अपना दुश्मन समझती है..। निशि को मेघा और ओवेश के बीच की बातो का अंदाजा भी नहीं था कि क्या चल रहा है उसे बस दोनों का ही बर्ताव अजीब लगता था..। 2 दिन ऐसे ही हंसते, मस्ती करते हुए निकल गए और पता भी नहीं चला..।

                   अब आखिर में संगीत की रात अाई..जिसका सभी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे..क्योंकि सभी ने बहुत डांस प्रैक्टिस की थी..। निशि के मम्मी - पापा, भाई बहन सभी आ चुके थे और अपने भाइयों से मिलकर निशि बहुत खुश हुई..। जहां सबको संगीत की शाम का इंतजार था वहीं निशि अपने परिवार वालो का इंतजार कर रही थी..और सबको देखकर बहुत उत्साहित भी थी..। अपनी मम्मी और भाई से मिलने के बाद उसके चेहरे पर अलग ही खुशी थी जो पिछले 2-3 दिनों से कहीं गुम सी थी..।

               संगीत शुरू हुआ और सबने बारी बारी से डांस किया..। चारो तरफ गानों का शोर था और सभी मस्ती में मस्त थे..। एक तरफ हल्की हल्की ठंड का मौसम, धीमी धीमी हवाएं चल रही थी..उस पर ऐसे में डांस, म्यूजिक..सबको बहुत मज़ा आ रहा था..। जब निशि की डांस की बारी आई तो वो थोड़ी घबरा रही थी..क्योंकि निशि थोड़ी शर्मीले स्वभाव की थी..। पर जैसे ही स्टेज पर गई और उसका पसंदीदा गाना बजने लगा..उसका डर दूर भाग गया और पैर अपने आप थिरकने लगे..। ओवेश भी दूर खड़ा निशि का डांस ही देखता रह गया..क्योंकि निशि वाकई में बहुत अच्छा डांस करती है..। ओवेश निशि को डांस करते देख रहा था और मेघा ओवेश को देख रही थी..और उसे बहुत जलन हो रही थी..। डांस के बाद सभी ने निशि के डांस की बहुत तारीफे की..और निशि अपनी तारीफ सुनकर बहुत खुश थी..। अपनी तारीफ सुनना किसे अच्छा नहीं लगता..।

                ओवेश और उसके भाई ने जो गाना तैयार किया था.. निशि उनका डांस प्रैक्टिस में देख चुकी थी इसलिए जब ओवेश के डांस की बारी थी तो निशि ने उसे अपने फोन में रिकॉर्ड कर लिया..क्योंकि उनका गाना और डांस दोनों बहुत फनी थे...। उसके बाद तो सभी ने मिलकर एक साथ डांस किया और बहुत मस्ती की..। उस वक्त मेघा ने भी जिद्द पकड़ी हुई थी कि वह ओवेश के साथ ही खाना खाएगी वरना नहीं खाएगी.. और ओवेश उससे बचता हुआ घूम रहा था..। पर आखिर में जब मेघा ने खाना नहीं खाया तो उसे खिलाना ही पड़ा..। सभी खाना खाकर घर आ गए..और आते ही सब ऐसे सो गए मानो कितने दिनों से न सोए हो..।


                 अगले दिन सुबह जल्दी जल्दी सभी उठे..क्योंकि आज शादी जो है..। सभी बहुत उत्साहित थे और आज शादी है तो काम भी बहुत ज्यादा है..। लड़की वाले शादी के वेन्यू के लिए रवाना हो गए..क्योंकि शादी काफी दूर है तो जाने में काफी वक्त लगता..। इसलिए सुबह तकरीबन 11 बजे सभी विवाहस्थल के लिए निकल गए..। वहां पहुंचते ही लगन लिया गया..। निशि पहली बार दूल्हे और उनके परिवार से मिली..। सबके साथ बहुत हंसी मजाक हुआ..। तभी अचानक निशि के फोन में वाट्सप पर एक मैसेज आया..जिसमे उसे बुआ की छोटी बेटी शालू ने अपनी फैमिली ग्रुप में शामिल किया था..। उस ग्रुप में बुआ के देवर, जेठ, ननद सभी के बच्चे थे और साथ ही मेघा भी थी..। यह ग्रुप इसलिए बनाया गया था कि सारी प्लैनिंग और शादी की सभी फोटो, विडियोज यहां शेयर कर सके..।

               जब निशि रात को शादी के लिए तैयार होकर अाई तो ओवेश बस उसे देखता ही रह गया..क्योंकि निशि शादी की ड्रेस में बहुत सुंदर लग रही थी..। मेघा ओवेश के आस पास रहना चाहती थी पर इस बार ओवेश निशि के आसपास घूम रहा था..कभी किसी बहाने से तो कभी किसी बहाने से..। ओवेश सीधे निशि को उसके साथ फोटो खिचवाने के लिए नहीं कह सकता था..इसलिए अकेले में न सही पर अपनी बहनों के साथ - साथ वो निशि के साथ भी सेल्फी लेता..। ऐसे ही दोनों की एक साथ काफी पिक्चर्स हो गई थी..। निशि को देखते देखते ओवेश का दिल नहीं भरता..।


                फेरो के वक्त भी ओवेश की नजरें निशि पर ही टिकी रही..। वह बस निशि को ही देखता रहा..। वह निशि के सामने ही जा बैठा और दूर बैठा उसे देखता रहा..। कहना बहुत कुछ चाहता था...पर क्या बोले..कैसे बात करे..उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था..। वह बस निशि को देखता.. तो देखता ही रह जाता..कुछ बोल ही नहीं पाता..। पर उसकी आंखे बहुत कुछ बोलती थी..जिसे निशि अनदेखा कर रही थी..।

            दुल्हन की विदाई के बाद लड़की वाले अपने घरों को लौट आए..। रातभर जागने की वजह से सभी की आंखो में गहरी नींद छाई थी..। घर पहुंचकर सभी थोड़ी थोड़ी देर के लिए सो गए..। निशि वापस अपने घर जाने को तैयार थी..। उसने अपना सामान पैक कर लिया ..और अपने मम्मी पापा के साथ घर वापस लौट अाई..। ओवेश उस वक्त सोया हुआ था...। जैसे ही आंख खुली तो वो सीधे अपनी तायजी के घर निशि को देखने आया..पर तब तक निशि वहां से जा चुकी थी...और आखिरी बार भी वह उससे नहीं मिल पाया..। ओवेश बस अपना मन मसोस कर वापस घर आ गया..क्योंकि वह जाते हुए भी उसे नहीं देख पाया..। ओवेश बस यही सोचता रह गया कि काश उसे एक मौका मिल जाता निशि से अपने दिल की बात कहने का..पर अब तो वह जा चुकी थी तो क्या हो सकता था..। वह आखिरी बार भी उसे बाय नहीं कह पाया..। और बस पछतावा करने लगा..।


आगे यह देखना रुचिकर होगा कि क्या ओवेश निशि से आगे बात कर पाएगा..? अगर हां तो कैसे..? इसका जवाब जानने के लिए भाग - 2 जरूर पढ़िएगा।


✍️नव्या अग्रवाल"नवी"


 



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