रजस्वला होना पाप नहीं
रजस्वला होना पाप नहीं
नाटक :- रजस्वला होना पाप नहीं
नाट्य स्तर :- कॉलेज प्लेटफार्म
पात्र :-
रूही,
स्कूल टीचर,
प्रिया (रूही की सीनियर),
संदीप (रूही का बैचमेट),
कविता (रूही की मां),
नैनसी (रूही की दोस्त),
रूपाली (नाटक की एंकर) और अन्य ।
आरंभ ::
(पर्दे के सामने मंच पर)
रूपाली - मै रूपाली जांगिड़,, आपकी दोस्त आपकी होस्ट यहां आने के लिए आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद करती हूं ! आज का मंच सजा है यहां मौजूद सभी लोगों में मासिक धर्म के प्रति लोगों के व्यवहार दिखाने और उनमें जागरूकता लाने के लिए ! कहानी है एक ऐसी लड़की की या कहूं हर लडकी की, जब पहली बार मासिक धर्म शुरू होता है, तो उसकी क्या हालत होती है ! तो चलिए शुरू करते है हमारा आज का ये जागरूकता नाटक !
(पर्दा उठता है और विद्यालय में 9वीं कक्षा का दृश्य दिखाया जाता है।)
टीचर - सभी स्टूडेंट्स अपनी अपनी नोटबुक्स यहां जमा करा जाए !
स्टूडेंट्स - ओके मैम !
(बारी बारी से सभी बच्चों को नोटबुक जमा कराते दिखाया गया लेकिन एक लडकी नहीं उठी।)
टीचर - रूही आपकी नोटबुक कहां है ?
रूही - मैम नोटबुक मेरे पास है लेकिन.....!
टीचर - लेकिन क्या ? होमवर्क नहीं किया ? लाओ नोटबुक इधर !
(रूही सहमते हुए अपनी जगह से उठी और नोटबुक देने गई। जिसे देखकर सभी बच्चो के हंसने का दृश्य दिखाया गया।)
टीचर - साइलेंस प्लीज ! क्यों हंस रहे है आप सभी ? किस बात की इतनी हंसी आ रही है ?
रूही - मैम वो_वो हमारी स्कर्ट,,,स्कर्ट पर पता नहीं क्या लग गया ! उसे ही देखकर शायद सभी हंस रहे है !
टीचर - दिखाओ क्या लगा है ?
(रूही घूमकर अपनी स्कर्ट दिखाने लगी और उसकी सफेद स्कर्ट को खून से सनी स्कर्ट देख टीचर को समझते देर नहीं लगी। वह तुरंत रूही को अपने साथ वॉशरूम ले गई। कक्षा में लडकों का रूही पर हंसने और मजाक बनाने का दृश्य दिखाया गया। तत्पश्चात दूसरा पर्दा उठा और वॉशरूम के बाहर टीचर और रूही की वार्ता का दृश्य)
रूही - (रोते हुए) मैम ये क्या हो रहा है मुझे ? मेरी स्कर्ट पर ये खून कैसे आया ?
टीचर - रूही डरो मत बेटा ! कुछ नहीं हुआ आपको ! देखो आपने बुक में मासिक धर्म के बारे में पढ़ा है ना ! ये बस वही है menstrual cycle ! इसमें कुछ गलत नहींं है ! ये चक्र हर महीने आता है और 5-7 दिन तक आपके प्राइवेट पार्ट से ब्लीडिंग होगी !
रूही - ऐसे तो हमारे सारे कपड़े यूंही खराब खराब रहेंगे मैम और सब हमारा मजाक उड़ाएंगे ! हमारे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है मैम ?
टीचर - यह सब लड़कियों के साथ होता है बेटा ! लडकों की आदत कभी नहीं सुधर सकती ! वो लोग इस चीज को नहींं समझते ना इसलिए हंस देते है ! आप ये पैड लो और इसे यूज कर वॉशरूम में जाकर ! इससे आपके कपड़े खराब नहीं होंगे, जाओ !
(रूही पैड लेकर चली जाती है। तीसरी बार पर्दा उठा और अगले चरण में छुट्टी के बाद स्कूल बस का दृश्य दिखाया गया। रूही सबसे कोने में सीट पर सिमटी सी बैठी थी।)
प्रिया - अरे रूही आज तुम वहां क्यों बैठी हो ? तुम तो हमेशा सबसे आगे की सीट पर बैठती हो ना, फिर आज पीछे क्यों ?
रूही - कुछ नहीं बस ऐसे ही दी ! आज आप आगे बैठ जाइए !
(रूही के क्लासमेट हंसते हुए बोले आज मैडम आगे नहींं बैठ सकती !किसी को मुंह कैसे दिखाए ये अपना..हाहहह्हा...!)
प्रिया - किसी ने कुछ कहा क्या तुझे ? क्या हुआ बता मुझे ?
रूही - दी मेरी स्कर्ट,,,गंदी हो रही है ! मै आगे नहीं आ सकती !
(रूही की बात उससे आगे की सीट पर बैठे उसके सीनियर संदीप ने सुनी। वह उठा और उसने अपना जैकेट उतारा।)
संदीप - रूही तुम ये मेरा जैकेट ले लो और इसे अपनी कमर पर बांध लो ! फिर तुम्हारी स्कर्ट किसी को नहींं दिखेगी (दूसरे लडको को घूरते हुए) !
(रूही ने स्कर्ट अपनी कमर पर बांधी और मुस्कुराते हुए संदीप को थैंक यू बोला। उसने सोचा सभी लड़के एक जैसे नहींं होते, कुछ लड़कियों की इज्जत करना भी जानते है। बस चली जाती है और इसी के साथ पर्दा गिर जाता है। रूपाली जांगिड़ एक बार पुनः स्टेज पर आती है।)
रूपाली - सो लेडीज एंड जेंटलमैन आपने देखा एक लडकी का जब पहली बार रक्तस्राव होता है, तो वह कितना डर जाती है ! उसे समझ ही भी आता कि अचानक से उसके शरीर से इतना खून कैसे बहने लगा ? कैसे ठीक होगा ? क्या होगा ? क्यू हुआ ? लेकिन दूसरे लोग सिर्फ मजाक उड़ाते है ! वह लडकी की मन:स्थिति को नहीं समझ पाते ! ये सिर्फ स्कूल में ही नहीं बल्कि कॉलेज, घर, सड़कों पर हर जगह लड़कियों को इसका अपमान सहना होता है ! तो चलिए देखते है रूही के घर पहुंचने पर उसे क्या देखने, सुनने को मिलता है !
(सभी उत्सुकता से देखते है। रूपाली पर्दे के पीछे चली जाती है और चौथा पर्दा उठता है। रूही के घर का दृश्य मंच पर सजा है।)
कविता - रूही ये क्या हालत बना रखी है तुमने ? ये कमर पर जैकेट किसका बांधा है ?
रूही - मम्मी पेट में दर्द हो रहा है बहुत तेज ! मुझे पीरियड्स आ गए मम्मी !
कविता - क्या ? कब ? कपड़े तो खराब नहीं हो गए ?
(रूही ने स्कूल में जो भी हुआ, वो सब अपनी मम्मी को बताया।)
रूही - मम्मी मै कल स्कूल नहीं जाऊंगी ! सब मेरा मजाक उड़ाएंगे फिर से !
कविता - ठीक है मत जाना लेकिन अभी जाओ जाकर चेंज कर लो !
(रूही चेंज करके रसोई में जाने लगी।)
कविता - रूही,,,तुम रसोई में क्या कर रही हो ?
रूही - मम्मी मै तो बस पानी ही पीने आई थी ! क्या हुआ आप मुझ पर गुस्सा क्यों कर रही है ?
कविता - पीरियड्स में 3 दिन तुम ना तो रसोई में घुसोगी और ना किसी चीज को हाथ लगाओगी और पूजाघर में भी नहीं जाना ! और एक बात तुम 3 दिन सबसे दूर अपने अलग बिस्तर पर सोगी, ठीक है !
रूही - लेकिन क्यों मम्मी ? आप जानती है ना मुझे अकेले नींद नहींं आती ! मै आपके साथ सोऊंगी मम्मी !
कविता - हर बात पर बहस नहींं करते रूही ! तुमसे जितना कहा है, तुम बस उतना करो ! दोबारा मुझे ये बातें दोहरानी न पड़े, इसलिए आगे से याद रखना ! 3 दिन सबसे अलग रहना, किसी चीज को भी नहीं छूना ओके !
रूही - ठीक है मम्मी, जैसा आप कहे !
कविता - जाओ अब अपने कमरे में ! मै पानी गर्म करके लाती हूं, उससे पेट की सिकाई कर लेना, तुम्हे बैटर फील होगा !
(रूही उदास होकर अपने कमरे में चली गई। उसे किसी भी चीज की जरूरत होती, उसे हर काम के लिए अपनी मम्मी का मोहताज बनना पड़ गया। रूही को यह बातें मन ही मन चुभ रही थी कि एक तरफ तो कहते है यह अच्छी बात होती है और दूसरी ओर अछूत लोगो की तरह सबसे अलग थलग रहना पड़ रहा है। रूही को यह बातें बिल्कुल अच्छी नहींं लग रही थी। वह सोच रही थी और पर्दा गिर गया।)
रूपाली - तो देखा आप सभी ने हमारे समाज की यह दोगली सोच ! एक ओर तो लोग इस बात की खुशी मनाते है कि लड़की का मासिक धर्म शुरू हो गया ! कही कही तो लोग पूरे गांव में दावत भी देते है अगर उनकी लड़की का मासिक धर्म प्रारंभ होता है तो ! वहीं दूसरी ओर उस नाजुक वक्त में उन्हे ऐसे ट्रीट किया जाता है जैसे यह कोई पाप हो ! उन्हें सबसे अलग रखकर बहुत छोटा महसूस कराया जाता है ! हर चीज पर रोक टोक की जाती है ! एक औरत इतना दर्द सहने के बाद भी घर का सारा काम करती है और फिर भी उसे प्यार के बोल भी सुनने को नहींं मिलते ! कभी हम घर से बाहर हो या कही रास्ते में जाते वक्त पीरियड आ जाए, तो लोग ह्यूमिलिएट करने का कोई मौका नहींं छोड़ते ! इसी की एक छोटी सी झलक दिखाते है हम आपको अपने नाटक के जरिए ! तो चलिए आज बढ़ते है अब हम !
(रूपाली स्टेज के पीछे चली जाती है और पर्दा उठता है। अगले चरण में बाजार का एक दृश्य दिखाया गया।)
रूही - यार नैनसी, मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरा पीरियड आ गया शायद !
नैनसी - यहां आस पास कहीं कोई वॉशरूम भी नहीं बना यार, जहां तू सेफ्टी यूज कर सके !
रूही - अब क्या करे ?
नैनसी - चल आगे चलकर केमिस्ट की शॉप से पैड खरीद भी लेंगे और तू वहीं चेंज भी कर लेना !
(रूही और नैनसी जाते है और 3 लडके रोड साइड बाइक पर बैठकर रूही की खराब जींस को देखकर उस पर हंसते है और तानाकशी करते है - "अरे मैडम क्या हुआ ? आज कौनसी होली खेल कर आ रही हो ? कहो तो हम मदद कर दे आपकी घर तक जाने में ?" नैनसी और रूही बिना उनकी ओर देखे वहां से निकल जाते है और केमिस्ट शॉप पर पहुंच जाते है। पेमेंट करके वो वापस जाने को मुड़े तो तीनों लड़के उनके सामने खड़े थे।)
रूही - हटिए आप लोग, हमे जाने दीजिए !
एक लड़का - जाने देंगे पर पहले ये बताओ खरीदा क्या है आपने ?
नैनसी - (गुस्से में) कुछ भी हो तुमसे मतलब ?
दूसरा लड़का - अरे मैडम हम आपसे थोड़ी ना बात कर रहे है, जो आप बीच में बोल रही है !
पहला लडका - बताओ ना मैडम क्या खरीदा है ? कोई दिक्कत है तो हम मदद करदे आपकी ?
दूसरा लड़का - यार लगता है मैडम जी हमारी मदद नहींं लेना चाहती ! लेगी भी कैसे ? बेचारी उठने बैठने लायक ही नहींं रही ! जहां बैठेगी वहां गंदा करेगी... हाहाहाहाहा..!
(रूही की आंखों में आंसू आ गए और उसने नजरें झुका ली।)
तीसरा लड़का - ब्रेड खरीदे है क्या मैडम जी ? हाहाहाहाहा....!
नैनसी - (गुस्से में) हां खरीदे है, बोलो क्या कर लोगे ?
पहला लड़का - तो हमे नहींं खिलाओगी,,,ब्रेड...? हाहाहाहाहा..!
नैनसी - ब्रेड खाना है ना ? एक काम करना सुबह आना घर ! ब्रेड खिलाऊंगी वो भी विद जैम !
(नैनसी के इस पलटवार से और उन्ही की भाषा मे जवाब सुनकर लडकों ने खुद को बहुत अपमानित महसूस किया। वह गुस्से में दांत पीसते हुए नैनसी की ओर बढ़े। तभी बीच में रूपाली ने एंट्री की और उस लड़के को थप्पड़ मार दिया।)
रुपाली - क्या हुआ अब ? तुम इन लड़कियों से बदतमीजी कर रहे थे, तब तो बड़े दांत दिखा रहे थे तुम लोग ! इस लड़की ने तुम्हे तुम्हारी भाषा में ही जवाब दे दिया तो तुम्हे मिर्ची लग गई ! अरे शर्म आनी चाहिए तुम लोगो को खुद के मर्द होने पर ! जिस पर तुम हंस रहे हो ना, भूलो मत एक औरत की इसी खून की पैदाइश हो तुम ! एक लडकी प्रॉब्लम में है ! उसकी मदद करने के बजाए तुम लोग उस पर हंस रहे हो ! उसका मजाक बना रहे हो, उसे बेइज्जत कर रहे हो ! ऐसे मर्द बनते है देन सॉरी टू से तुम मर्द के नाम पर एक धब्बा हो,,,धब्बा !
कभी सोचा है एक लडकी हर महीने अपना इतना खून बहाती है, इतना दर्द सहती है, क्यों ? किसके लिए ? ताकि ये दुनिया सुचारू रूप से चल सके ! अगर ये मासिक धर्म नहीं होता, अगर लडकी का menstrual cycle नहीं होता, तो क्या आज तुम इस दुनिया में होते ? नहीं ! जिस औरत ने तुम्हे जन्म दिया, अपने खून से सींचा ! तुम उसी औरत जात को ही इस तरह सरेआम अपमानित कर रहे हो ! शर्म नहींं आती ऐसा करते हुए ? तुम्हे इनकी हेल्प करनी चाहिए और तुम ही इनका मजाक उड़ा रहे हो ! शेम ऑन यू !
लडके - (एक साथ) वी आर सॉरी मैडम जी ! आज के बाद हम कभी किसी लडकी के साथ ऐसा नहींं करेंगे ! कभी किसी लडकी को बुरी नजर से नहींं देखेंगे ! हर जरूरत मंद लडकी की मदद करेंगे !
(लडके हाथ जोड़कर लड़कियों के सामने खड़े थे और पर्दा गिर गया। रूपाली पुनः मंच पर प्रस्तुत हुई।)
रूपाली - (हाथ जोड़कर)
माहवारी पर हंसते हो, देखकर ताने कसते हो ।
कभी स्कर्ट के दाग देखकर, ही ही हा हा करते हो ।।
मंदिर मस्जिद पूजा पाठ, हर जगह से दूर रखते हो ।
कहकर पाक को पाप तुम, प्रकृति पर शक करते हो ।।
नहीं जाना कभी रसोई में, हर चीज से अछूता रखते हो ।
बिस्तर, कम्बल, खाना, बर्तन, सबसे अलग तुम रखते हो ।।
नहीं किया कोई पाप है उसने, क्यों वो इतना अपमान सहे ?
बहाकर अपने जिस्म का कतरा, क्यों सब उसको नापाक कहे ?
जब जब बात मासिक धर्म की आती है तो कोई इसके बारे में बात नहीं करना चाहता और शायद यही कारण है कि लड़कियों को इतना सहना पड़ता है ! जरूरत है लोगों की सोच बदलने की ! जरूरत है इस शिक्षा पद्धति में बदलाव की ! जहां लोग इसके बारे में खुलकर बात नहीं करते !
एक लडकी सात दिन लगातार ब्लीडिंग होने के बाद भी जिंदा रहती है ! यह एक औरत की शक्ति नहींं तो और क्या है ? लडको को जरा सा खून आता है तो वो सीधा हॉस्पिटल पहुंच जाते है ! लेकिन एक लड़की इतने रक्तस्राव के बाद भी जीवित रहती है ! बहुत से लोग ऐसे भी है जो अपने घर की औरतों को सैनेट्री पैड्स यूज नहींं करने देते ! कुछ लोग खर्चे से बचने के लिए तो कुछ लोग पैड खरीदने में शर्मिंदगी महसूस करते है !
लोग औरतों के साथ जो यह दोगला बर्ताव करते है ! उन्हे अपवित्र समझते है ! नापाक कहते है ! पवित्रता के नाम मार भेदभाव करते है ! हमे उसे बदलना चाहिए ! अपनी सोच बदलनी चाहिए ! जब भी कोई लड़की देखे, उसकी मदद करनी चाहिए ! लड़कियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाना चाहिए ताकि उसके सपनों के पंखों को पीरियड्स का डर बंदी न बना सके !
आप सभी ने अपना कीमती वक्त निकाला, इसके लिए मै रूपाली जांगिड़ आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद करती हूं !
(पर्दा गिर और हॉल में तालियों की गड़गड़ाहट गूंजने लगी।)