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anuradha chauhan

Tragedy

3  

anuradha chauhan

Tragedy

प्यार का जुनून

प्यार का जुनून

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ज़िंदगी के अहम फैसले,

सबकी सहमति से हो तो बेहतर होते हैं।

जिद्द और पागलपन हमेशा,

इंसान को बर्बादी की ओर ले जाते हैं।

स्नेहा!! क्या बात है बड़ी चहक रही हो।माँ ने हाँ कर दी प्रिया...माँ मान गई मेरे और जय के रिश्ते को, विवाह की मंजूरी मिल गई हमें।

स्नेहा.. एक बात कहूँ..हाँ बोल प्रिया एक क्या दस बातें बोल दे पर जय के बारे में कुछ नहीं सुनूंँगी।

फिर तो कुछ कहने से पहले ही बात ही खतम...पर जाते-जाते एक बात कह रही हूँ। किसी भी काम की जल्दबाजी अच्छी नहीं होती।अभी जय से मिले एक महीना हुआ और तूने इतना बड़ा फैसला ले लिया।

प्रिया जय बहुत अच्छा और सच्चा इंसान है। मुझसे बहुत प्यार करता है।

यह उसका लालच भी तो हो सकता है स्नेहा।वो जानता है तुम्हारे पिता ढेर सारी दौलत छोड़ गए हैं। तुम्हारे साथ-साथ रोहन और माँ की ज़िंदगी न खराब हो जाए।

प्रिया की बात सुनकर स्नेहा नाराज़ हो गई। मुझे तो लगता है तुझे जय से प्यार हो गया है।तू जलती है मेरी खुशियों से इसलिए तू नहीं चाहती मेरी शादी हो।

ऐसी कोई बात नहीं है तुम ग़लत समझ रही हो। मैं सब सही समझ रही हूँ। दरवाजा उधर है तुम जा सकती हो।

प्रिया चली गई।स्नेहा और जय की शादी हो गई और जय घर जमाई बनकर साथ रहने लगा।

जय ने स्नेहा को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था।उसे तो दौलत से प्यार था।वह दवाब बनाने लगा सब पर। उसके अत्याचार बढ़ने लगे थे।

बिना बात के ही रोहन पर और स्नेहा पर हाथ उठा देता था।शराब पीकर घर आना।रोज की दिनचर्या हो गई थी।

एक दिन जायदाद के पेपर पर दस्तखत नहीं करने पर जय ने स्नेहा की माँ पर हाथ उठा दिया।स्नेहा से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने जय को गोली मारकर खुद आत्महत्या कर ली।

प्यार के जुनून में खोई स्नेहा ने प्रिया की बात न सुनकर, अपने साथ-साथ माँ और भाई की ज़िंदगी में भी जीवनभर का दर्द भर दिया था।



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