देवदूत
देवदूत


"हैरी ! मेरे बच्चे बस थोड़ी हिम्मत और करले।बेटा बस हम घर पहुँचने वाले हैं।मैरी अपने बेसुध होते बेटे को जगाने का प्रयास कर रही थी।
"उठ जा मेरे बच्चे..गॉड सब ठीक कर देंगे..!"कहते- कहते मैरी की आँखों से आँसू बहने लगे।
केरल में रहने वाली मैरी का छोटा-सा सुखी परिवार था।दिनभर मेहनत-मजदूरी करके मैरी और जोसेफ अपने इकलौते लाडले बेटे हैरी को बड़े प्यार से पाल रहे थे।
देश में फैले कोरोनावायरस ने लाखों लोगों की ज़िंदगी बर्बाद कर दी।जोसेफ भी उसकी चपेट में आ गया और कोरोना की बलि चढ़ गया।
लॉकडाउन के कारण जहाँ एक ओर उनका कामकाज ठप्प हो गया,वहीं दूसरी ओर महामारी की मार से घर का मुखिया चला गया।
"मम्मी कुछ खाने को दो ना.. बहुत भूख लगी है..!"हैरी भूख से तड़प उठा।
दाने-दाने को मोहताज मैरी यह देख व्याकुल हो उठी। "यह लो थोड़ा पानी पीलो बेटा.., फिर मामा के घर खाना मिलेगा..!"पास फूटी कौड़ी नहीं थी तो मैरी पैदल ही हैरी को लेकर अपनी माँ के घर के लिए निकल पड़ी।
पर नियति को कुछ ओर ही मंजूर था।अचानक तेज बारिश के साथ तूफ़ान कहर बरसाने लगा।नन्हा हैरी भूख से इतना बेदम हो चुका था और ऊपर से बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही।
" मम्मी मुझे बहुत ठंड लग रही है..!"
"थोड़ा और आगे चलते हैं बेटा शायद सिर छुपाने की जगह मिल जाए..?"आसपास कुछ ऐसा नहीं था जहाँ माँ बेटे बारिश से बचने के लिए खड़े हो जाते।
हैरी ठंड से काँपने लगा। एक तो भुख से बेहाल, ऊपर से बेमौसम बारिश हैरी अपनी चेतना खो बैठा।
"हैरी मेरे बच्चे..!उठ बेटा आँखें खोल..!"
मैरी सामान की पोटली को फेंक बेसुध होते जोसेफ को गोद में लेकर जोर-जोर से रोने लगी।
"जीसस मेरी मदद करो"लोग आते-जाते उसे देखकर अनदेखा कर रहे थे।
मैरी का रुदन देख ईश्वर को दया आ गई। अस्पताल में ड्यूटी निभाने जा रहे डॉक्टर ने मैरी को इस तरह रोते हुए देखा।
"क्या हुआ इसे..?इस तरह भीगेगा तो बचाना मुश्किल होगा।आओ मेरे साथ,उसे गोद में उठाकर कार की और दौड़े।वो डॉक्टर उसके लिए देवदूत बन गया था।
"मम्मी..!"समय पर दवा मिलने से हैरी की चेतना लौटने लगी।हैरी को होश में आया देख मैरी उसे गले लगाकर रोने लगी।
यह देखकर डॉक्टर मुस्कुराया और खाने का टिफिन और कुछ पैसे मैरी के पास रखकर नर्स से कुछ कहकर अपने मरीजों के इलाज में व्यस्त हो गया।