anuradha chauhan

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लॉकडाउन के सुनहरे पल

लॉकडाउन के सुनहरे पल

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लॉकडाउन क्या लगा, पाँच साल की जिद्दी, गुस्सैल, हमेशा रोने वाली विम्मी के स्वभाव में आश्चर्यजनक परिवर्तन देखने को मिलने लगा था।

"स्नेहा एक बात नोटिस की तुमने?"

"क्या जय?"

"यही कि विम्मी अब पहले की तरह ज़िद नहीं करती है!" जय ने कहा।

"हाँ जय! मैंने भी नोटिस किया है कि हमेशा रोते रहने वाली विम्मी अब बहुत खुश रहने लगी है!" स्नेहा बोली।

"खुश क्यों नहीं होगी मेमसाब,अब उसे दिन भर अपने माता-पिता का प्यार जो मिल रहा है! माफ़ करना साब! छोटे मुँह बड़ी बात पर जो प्यार माँ अपने बच्चे को करती है वो और किसी से नहीं मिलता है! माया पोंछा लगाते हुए बीच में बोली।"

"आपने देखा होगा साब! जब से माँजी चलीं गईं और बिटिया पालनाघर जाने लगी, तभी से वह चिड़चिड़ी हो गई है। आप लोग ऑफिस से थक कर आते हो यह बिटिया क्या जाने? वो खेलने की ज़िद करती है तो आप गुस्सा करते हो।"

"यह तो इस लॉकडाउन के कारण बिटिया को मिले यह सुनहरे पल का असर है जिसके कारण उसे अपने माता-पिता के साथ समय बिताने का और साथ खेलने का मौका मिल गया! भगवान करें बिटिया यूँ हीं मुस्कुराती रहे! मेमसाब मैं भी कल से काम पर नहीं आएगी! मेरे छोटे-छोटे बच्चे और बूढ़ी सास है। कहीं मेरे कारण यह वायरस घर तक न पहुँच जाए।"

माया चली गई और पीछे ढेरों सवाल छोड़ गई कि बच्चों को पालनाघर में छोड़कर, क्या हम अपनी जिम्मेदारी सही से निभा पा रहे हैं?"



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