पछतावा
पछतावा


"मेरा बच्चा ठीक तो हो जाएगा न डॉक्टर ?" रमा ने रोते हुए डॉक्टर से पूछा।"
"देखिए भगवान पर भरोसा रखिए, सब ठीक होगा ! यह बताइए बच्चे के सिर पर चोट कैसे लगी ?"
"मैंने उसे दूध पिलाने लिटाया था, पर पता नहीं कैसे अचानक खटिया से फिसल कर गिर गया।"
"अचानक ? अचानक बच्चा कैसे गिर सकता है,क्या उसकी और आपका ध्यान नहीं था।"
सवाल के जवाब में रमा चुप थी।
थोड़ी देर में डॉक्टर ने बच्चे को उसके पिता की गोदी में देते हुए कहा।
"देखिए मिस्टर राहुल! किस्मत हर बार अच्छी हो, जरूरी नहीं है।आपकी पत्नी से कहिए बच
्चे को संभालते समय मोबाइल को अपने से दूर रखे।"
रमा अवाक हो डॉक्टर का मुँह ताकती रह गई।
"आपने सच्चाई कह दी डॉक्टर साहब। मैं इस बात के लिए रमा को कई बार टोक चुका हूँ और यह हर बार अनसुनी कर देती है।
"पर अब मुझे इसकी कोई चिंता नहीं, आज मेरी माँ आ रही है।अब तुम्हें भी मोबाइल देखने की पूरी आजादी रहेगी रमा।"
नन्हें विपुल का रोता चेहरा और सिर से बहता खून देख अंदर तक सिहर उठी थी रमा।
"अब घर चलें ?
आज उसके पास राहुल की किसी भी बात का कोई जवाब नहीं था। उसे भी अपनी गलती पर पछतावा हो रहा था।