मन के भावों को शब्दों का रूप देती हूँ।
Share with friendsतुम लोगों के पास एक महीने का वक्त है एक महीने बाद संस्था यहाँ वृद्धाश्रम चालू करेगी।
Submitted on 23 Feb, 2021 at 05:04 AM
अब बताइए दया ममता से भरी हुई लड़की आपके घर को ख़ुशियों से भरेगी या स्वार्थ में डूबी लड़की
Submitted on 13 Sep, 2020 at 11:30 AM
खुश क्यों नहीं होगी मेमसाब,अब उसे दिन भर अपने माता-पिता का प्यार जो मिल रहा है
Submitted on 25 Jul, 2020 at 07:48 AM
सही बात तो यह थी कि गंगा अंदर से टूट गई थी और गाँव वालों का सामना नहीं करना चाहती थी।
Submitted on 08 Jul, 2020 at 04:56 AM
कैनवास भी कभी शापित होते हैं माँजी?आप अंधविश्वास भरी बातें कर रही हैं।
Submitted on 26 Jun, 2020 at 06:03 AM
“हाँ माँ अचानक से प्यासी रूह आई और मेरे हाथों से सब छीन ले गई!” मासूम चेहरा बनाकर रोहन बोला। दरवाजे से पिताजी दाखिल ह...
Submitted on 04 Mar, 2020 at 01:26 AM
मेरी बात याद रखना, खुशियाँ हमारे आस-पास है बस देखना आना चाहिए।
Submitted on 28 Feb, 2020 at 12:08 PM
जानकी ने संदली को रोने से नहीं रोका।वो चाहती थी उसका दर्द इन आँसुओं के साथ बह जाए।
Submitted on 27 Feb, 2020 at 12:46 PM
इस बार उसके पास विज्ञान की पुस्तक नहीं थी जो आज ठीक परीक्षा के एक दिन पहले उसे प्राप्त
Submitted on 27 Feb, 2020 at 12:06 PM
खिसियानी मुस्कान के साथ बोरिया-बिस्तर बाँधकर रामगढ़ी के लिए निकल पड़े।
Submitted on 25 Feb, 2020 at 12:59 PM
अब तो शायद आपकी प्रार्थना या कोई चमत्कार ही उसे बचा सकता है।
Submitted on 24 Feb, 2020 at 11:37 AM
किसान खून-पसीना बहाकर सबका पेट भरते हैं। खुद अक्सर भूखे सो जाते हैं।
Submitted on 02 Feb, 2020 at 01:07 AM
आया झूम के बसंत,झूमो संग संग में" और बाहर खेलने भाग जाती है।
Submitted on 01 Feb, 2020 at 08:30 AM
शायद ललिता के परिवार के भाग्य पर विधाता भी बुरी तरह रो रहा था।माई की लाख कोशिशों पर भी डॉक्टर ऐसी बारिश में आने को तैयार...
Submitted on 27 Jan, 2020 at 01:34 AM
विकास ने खींचकर महक को गले लगा लिया। अपना गाल आगे करके बोला, “यह भूल गई थी तुम...” शरारत से मुस्कुरा कर बोला।
Submitted on 25 Dec, 2019 at 05:42 AM
उसी परिवार के लोग आज गुंजन और उसके प्यार के हत्यारे बन गए।
Submitted on 15 Nov, 2019 at 05:47 AM
सास को समर्थन और स्नेह पाकर नेहा के आँसू बहने लगे।
Submitted on 14 Nov, 2019 at 01:23 AM
रघु अकेला बैठा ज़िंदगी के बारे में सोच रहा था। भरा-पूरा परिवार था। अच्छी ज़िंदगी चल रही
Submitted on 13 Nov, 2019 at 07:42 AM
स्नेहा और जय की शादी हो गई और जय घर जमाई बनकर साथ रहने लगा।
Submitted on 10 Nov, 2019 at 12:15 PM
अब इसे क्या हुआ ? बड़बड़ाते हुए माँ फैला हुआ दूध साफ करने लगी।
Submitted on 09 Nov, 2019 at 01:34 AM
बाप को बातों के सींग मार ले हा हा हा हा हा हँस पड़े बाबूजी उन्हें हँसता देखकर राजू भी
Submitted on 07 Nov, 2019 at 06:28 AM