प्यार का एहसास

प्यार का एहसास

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प्यार कैसे होता है? कब होता है और उसके लिए कौन - समय निर्धारित किया गया है? ये सब प्रश्न मेरे दिमाग में चलता रहता था, और प्यार...प्यार तो मेरे लिए सबसे फालतू शब्द था। पर हाँ ,तब तक फालतू था जब तक मुझे प्यार नहीं हुआ था। पर मुझे आज भी विश्वास नहीं होता कि मुझे प्यार हो जाएगा और मुझे भी पागलों की तरह हरकतें करनी पड़ेंगी।

मैं भी अकेले बैठे-बैठे मुस्कुराने लगूंगी, किसी के ख्यालों में खोने लगूंगी और बिना हँसी की बातों पर हँसने लगूंगी। मुझे नहीं पता था कि एक दिन मुझे भी हर चेहरे में उसका ही चेहरा दिखेगा जिससे मुझे प्यार हो गया है। रातों में नींद आँखों से कोसो दूर रहेंगी और आएगी कब जब उसकी एक झलक देख न लूं मैं।

हाँ....... मेरे साथ भी ऐसा ही हो रहा था जब मुझे मुराद से प्यार हो गया। उस दिन मैंने तो उसके बीस एपिसोड रात चार बजे तक एकटक देखती रही। फिर दूसरे दिन भी यही हालत रही तीसरे दिन से उसके फोटो और अपने फोटो को मिलाकर कोलाज बनाया और अपने स्टेटस पर लगा दिया।

अपने पहले प्यार की खबर घर, परिवार, रिश्तेदारों और अपने मित्रों सभी को चिल्ला-चिल्लाकर बता दिया, कि मुझे प्यार हो चुका है.... और वो भी मुराद से।

तभी तो मेरी हर जुबां कहती है... 

बड़ा हसीन होता है.......... इश्क

दिल को बेचैन करता है..... इश्क

दिवानगी को हद से बढाकर फिर 

दर्द में दिल का चैन होता है इश्क

ऐसा होता है प्यार का हर एहसास।



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