प्यार इन Bhaad -2
प्यार इन Bhaad -2
मैनें हर्ष भईया को अच्छे मूड में देखकर, उन पर दो-तीन सवाल और दाग़ दिये..
हर्ष भईया, इस दल के बनने के पीछे कोई कहानी है ??
~ हॉं, है ना..बिल्कुल जबरदस्त !! मैं शुरुआत से बताता हूँ.. जब बॉयज हॉस्टल के बड़े भाई..मतलब हमारे प्रीतम भाई को प्यार हुआ तो, हॉस्टल की रौनक ही बदल गई..ना किसी को पार्टी में जाने से रोक-टोक, ना किसी को हॉस्टल में लेट आने पर कोई डॉंट पड़ना, ना कोई झगड़ा- ना कोई लफड़ा, पर एक दिक्कत थी, वो लड़की जिससे हमारे भाई को प्यार हुआ.. " रंगोली ", कॉलेज के प्रिंसिपल सर की इकलौती बेटी..सुंदरता की एेसी मूरत कि रंगोली के सारे रंग भी शर्मा जाएें, जो लड़का उसे देखे बस उसका ही हो कर रह जाये..एट्टीट्यूड तो सौ प्रतिशत था, उसमें कूट कूट कर भरा हुआ,क्या लड़की थी, वो..कॉलेज का हर लड़का उस पर अपनी जान न्योछावर करने के लिए तैयार था, पर एक मुश्किल थी !
" प्रीतम प्यारे, आप सबके प्यारे से बड़े
भाई !! ", मैनें हँसते हुए कहा ।
~ बिल्कुल, सही कहा..बस सब लड़के उस वक्त का इंतजार कर रहे थे कि कब प्रीतम भाई के नाम का कॉंटा, उनकी फूल सी लव स्टोरी से रफूचक्कर होगा !! आखिरकार, वो खास दिन भी आ गया..जब प्रीतम भाई ने हॉस्टल में सब लड़कों के सामने, अपने इश्क का इजहार करने का एेलान किया,
" वेलेंटाइन डे का दिन "...उस दिन हॉस्टल का वातावरण कुछ बदला-बदला सा नजर आ रहा था, प्रीतम भाई के दिल से ज्यादा तो सब लड़कों के दिलों की धड़कन बढ़ी हुई थी, चाहे सब प्रीतम भाई को " ऑल द बेस्ट भईया ",
" वो जरुर हॉं बोलेगी, भला आपको कौन लड़की मना कर सकती ", " आप तो दी बेस्ट हो भईया ", कहकर खूजर के पेड़ पर चढ़ा रहे थे, पर अपने दिल ही दिल में एक राग अलाप रहे थे कि " उनकी प्यारी रंगोली प्रीतम भाई को नो सिग्नल का बोर्ड दिखा दे, और उनको कोई चॉंस मिल जाये ! " ।
" उन लड़कों में एक नाम हर्ष भी था, ना ?! ", मैंने अपनी चुलबुली हँसी छुपाते हुए कहा ।
~ हाहा, थोड़ा-थोड़ा ! वेलेंटाइन डे के दिन कॉलेज के सभी लड़के क्लास से ज्यादा कैंटिन में अटेंडेंस लगा रहे थे और हो भी क्यों ना, प्रीतम भाई के साथ-साथ सब लड़कों को बेसब्री से रंगोली के आने का इंतजार, जो था...
.लंच ब्रेक में जैसे ही रंगोली ने कैंटीन में कदम रखा तो प्रीतम भाई को इन्फार्म किया गया, तो सीन कुछ एेसा था...
जब रंगोली अपने दोस्तों के साथ हँसी ठिठौली कर ही रही थी, तभी प्रीतम भाई ने पीछे से एेंट्री ली.. उनके हाथ में गुलाब का एक प्यारा सा फूल, एक सुंदर सा लिफाफे में बंद ग्रीटिंग कार्ड, किटकेट चॉकेलट का पैकेट और एक छोटा सा टेडी था, जो सब उन्होनें एक साथ रंगोली वाली टेबल पर रख दिया और अपनी रफ्तार की स्पीड में चंद लाइनों में प्रपोज मार दिया, जैसे उनकी ट्रेन छूट रही हो
" प्रीतम प्यारे नाम है मेरा,
इस छोरे का दिल तुझपे जाके है ठहरा,
मेरा रौब है यहॉं, सबका बड़ा भाई हूँ
तुझे जिंदगी भर खुश रखूँगा, फुल ऑन गारंटी देता हूँ,
बोल बनेगी मेरी गर्लफ्रेंड, मेरी दिलरुबा
अगर सब कुछ ठीक चला, तो वाइफ भी बन जाना ?? "
.सबकी नजरें रंगोली पर टिकी थी और रंगोली की प्रीतम भाई पर...आँख-मिचौली का खेल चल ही रहा था, कि
" आगे क्या हुआ भईया, काहे संस्पेस बना रहे हो ! ", मैनें आँखें चौड़ी करते हुए कहा ।
~ आँख-मिचौली का खेल चल ही रहा था कि तभी एक जोरदार आवाज आई । प्रीतम भाई के चेहरे पर पड़े रंगोली के थप्पड़ की छाप, आज तक कोई नहीं भूला है.. इधर रंगोली ने भाई से तीन-चार बार तेज आवाज़ में " नो ", " नो " बोला..उधर भाई को " नो " शब्द से प्यार हो गया !!
" मतलब, एक " नो " की वजह से..अब कॉलेज में नो प्यार ?! ", मैंने उदास मन से
पूछा ।
~ हॉं, भाई ! इस छोटे से " नो " ने सबकी लव-स्टोरी की बैंड बजा दी, उसी दिन प्रीतम भाई ने " प्यार इन Bhaad " दल की नींव रखी..
" अच्छा, रंगोली का क्या हुआ ? कॉलेज वालों को इस दल से कोई प्रॉब्लम नहीं है.. "
~ प्रिंसिपल सर के कानों में जैसे ही इस घटना ने अपनी दस्तक दी, उन्होंने अपनी प्यारी बेटी को विदेश पढ़ने भेज दिया और कॉलेज वाले तो इस दल से उल्टा खुश है, आखिर दोनों का उद्देश्य तो एक ही है ना " कॉलेज में सिर्फ पढ़ाई ", हॉं, कभी कभी दोनों संगठनों के बीच में भी भिडंत हो जाती है पर शीतल है ना, वो सब कुछ आराम से संभाल लेती है ।
" भईया, अब ये शीतल कौन है ? ", मैनें अपना सिर खुजाते हुए पूछा ।
~ अरे ! वहीं पीले सूट वाली, जिसे तू आज घूर-घूरकर देखा जा रहा था.. " शीतल प्यारे ", प्रीतम भाई की इकलौती बहन..बेटा, अभी भी कहता हूँ, सुधर जा..जिस लड़की के बारे में जानने के लिए, तूने मेरे साथ सवालों की हेरा-फेरी करी है ना.. " वो टेढ़ी खीर है !! "
" चाहे टेढ़ी खीर हो या लाल मिर्ची का शरबत..उसके दिल में कृष्णा नाम की बासुंरी बजाकर मानूंगा ", मैनें मन में कहा ।
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जानता हूँ, कॉलेज के पहले दिन ही किसी से मोहब्बत हो जाना कोई बड़ी बात नहीं, पर उस मोहब्बत का चेहरा अगर आपकी आँखों में कैद हो जाये तो जरुर मायने रखता है । मुझे जागते-सोते, खाते-पीते, पढ़ते-सोते..हर वक्त शीतल की मौजूदगी का अहसास होता..जब वो मेरे दिल में किरायेदार के तौर पर रहने लगी तो मैनें सोचा क्यों ना, उसे अपने दिल की " रानी ", मालकिन बनाया जाये..
बस फिर क्या था, हर जगह उसका पीछा करने लगा.. उसकी आँखों की गहराई में डूबकर अपनी तस्वीर ढूढंने लगा, क्या ना हो सकता है कि बाई चांस उसे भी मुझसे इलू-इलू हो गया हो !! हाये, जब भी उसके गुलाबी पंखुड़ी जैसे होठों पर मेरी नजर जाती है मुझे शर्म आ जाती है ! वैसे तो मैं उसका सरेआम पीछा कर रहा था, कभी क्लास में तो कभी कैंटीन में..पर सबकी नजरों से बचकर, पूरी आशिक वाली फींलिग आ रही थी । कुछ महीने बीते पीछा किया तो कुछ जानकारी भी मिली, जैसे वो मुझसे एक क्लास सीनियर थी, अपने भाई के बनाये दल की को-हेड थी, भाई की वजह से बुलेटफ्रुफ सिंगल थी, व्यवहार में नारियल जैसी..ऊपर से सख्त, अन्दर से नरम.. मैनें लगभग सब कुछ पता कर ही लिया था, पर मेरी बुरी किस्मत..ये कैसे पता करूँ.. " लड़की प्यार में विश्वास करती भी है या नहीं ! पता चले, मैं प्रपोज करने जाऊं...और उसके भाई का प्यारा सा, छोटा सा शिकार बन जाऊं !! "
.इस सवाल की वजह से मेरी तमाम रातें नींद के बिना गुजर गई.. तभी एक दिन मेरी ऊपर की ट्यूबलाइट जली और मैनें हर्ष भईया के सामने एेलान कर दिया " मैं कृष्णा मोहन, प्यार इन Bhaad दल में शामिल होने जा रहा हूँ " ...
" ओ तेरी, पहली बार देख रहा हूँ..कोई आशिक बंजरग दल में शामिल होने जा रहा है !! ", हर्ष भईया ने हँसते हुए कहा ।
to be continue...

