प्यार इन भाड़ - 4

प्यार इन भाड़ - 4

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अगर आप ये सोच रहे है कि "प्यार इन भाड़" दल में शामिल होने के बाद, शीतल के प्यार में डूबे इस आशिक ने प्यार करने वालों की बैंड बजाई तो मैं बता दूँ..आप बिल्कुल गलत सोच रहे हैं ! वो क्या है ना, जिस वक्त मैं प्यार इन भाड़ दल में शामिल हुआ, ठीक उसी वक्त मुझे एक अन्य दल में शामिल किया गया।" प्यार इन दौड़ दल..जिसके मुखिया थे, मेरे प्यारे हर्ष भईया..ये एक ऐसा दल था, जो "प्यार इन भाड़" दल के विरुद्ध काम करता था, इस दल का सिर्फ एकमात्र नारा था, "प्यार और सिर्फ प्यार..बॉंटते चलो।" आपकी तरह मैं भी इस दल से उतना ही अनजान था, जितना एक विद्यार्थी अपने सरप्राइज टेस्ट पेपर से !

वो क्या हुआ, जब मैं " प्यार इन भाड़" दल में शामिल होने की खुशी में हर्ष भैया का मुँह मीठा कराने के लिए मिठाई का डिब्बा लेकर पहुँचा तो उन्होनें पहले मेरा मुँह मीठा करा दिया ! जब मैनें हैरानी से पूछा तो, उन्होनें कहा, "भई, बधाई हो, तुम्हें " प्यार इन दौड़ " दल में भी शामिल किया गया है। तुम्हारी प्रतिभा पर हमें इतना भरोसा है कि तुम्हें हमारे दल के चीफ सीक्रेट ऑफिसर के स्पेशल पद पर नियुक्त किया गया है। तुम्हें सिर्फ एक काम करना होगा, हमारे दल के प्यार करने वालों को बस प्यार करने के मौके देते रहने का, अपने "प्यार इन भाड़" दल की सीक्रेट इनफर्मशेन को हमसे शेयर करने का।"

" क्या कह रहे हो, भैया.." प्यार इन भाड़" दल से दग़ाबाज़ी करने का मतलब है..प्रीतम भाई से पंगा लेना ! आपको हमारी जान लेनी हो..ऐसे ही ले लो !" मैनें डरते हुए कहा।

"हॉं, भाई सही है, अब शीतल के प्यार के सामने भाई की क्या औकात ! जाओ प्यार के दुश्मन बन जाओ, हो जाओ हमारी नजरों से दूर। हम तो तुम्हें अपना छोटा भाई समझे थे !" हर्ष भईया ने इमोश्नल ब्लैकमेल करते हुए कहा।

एक तरफ शीतल थी, जिसमें मेरी जान बसने लगी थी..दूसरी तरफ हर्ष भईया जो मेरे लिए अपनी जान तक दे सकते थे ! कुछ पलों के गहन विचार के बाद एक अहम फैसला लिया गया "दोनों दलों को सरकार-विपक्ष की तरह साथ लेकर चलेंगे।"... इस फैसले के बाद हर्ष भईया लवबर्डस् की तरह चहकने लगे।

अब बारी थी, मेरे तीसरे गोल को पूरा करने की.. "प्यार इन भाड़" दल में अपनी अहम पोजिशन बनाने की, जिससे शीतल की नजरों में आ पाऊँ ! इस गोल को पूरा करने में हर्ष भैया ने बहुत मदद की..उन्होंने मुझे कॉलेज के वो खुफिया अड्डे बताये, जहॉं काफी लड़के-लड़कियॉं अपना इश्क फरमाते थे, ऐसी खुफिया जानकारी दीं.. जो उनके दल को नकुसान भी नहीं पहुँचा सकती थी और मेरे काम भी आ सकती थी। इन दोनों असुंतलित दलों के बीच खुद को सुंतलित करने के लिए मैनें अपनी कमर कस ली थी, एक तरफ "प्यार इन भाड़" दल में प्रीतम भाई के साथ प्यार करने वालों के खुफिया अड्डों पर छापे मारे, भारी मात्रा में लड़के लड़कियों के मन में प्रेम के खिलाफ विचारों को जन्म दिया, वहीं दूसरी तरफ " प्यार इन दौड़ " दल के प्यार बॉंटने वालों को पहले से " प्यार इन भाड़" की छापेमारी की जानकारी देना, उनको फुल ऑन सपोर्ट करने लगा..इस तरह कुछ ही दिनों में, मैं दोनों दलों का फेवरेट सेलिब्रेटी बन गया था।

गज़ब की बात तो ये थी कि प्रतीम भाई और कॉलेज की प्रशासन कमेटी को लगता था कि लव-रेट कम हो रहा है बस फर्क इतना था कि वो अदृश्य हो रहा था, हा हा।

कुछ महीनों की मेहनत भरी कारवाई से मैनें "प्यार इन भाड़" दल से लेकर शीतल की नजरों में अपनी अहम पोजिशन बना ली थी, इसलिए अब बारी थी, अपने दिल से शीतल के दिल में सुंरग बनाने की...

जब मैं इस उधेड़बुन में उलझा हुआ था तो हर्ष भैया ने मुझे एक बढ़िया सुझाव दिया, "इस हफ्ते वेलंटाइन वीक शुरु होने वाला है, क्यों ना सही मौके पर शीतल के दिल में प्यार का तीर मारा जाए !" बस इस सुझाव को हमने इतना सरियसली ले लिया कि वैलेंटाइन वीक के हर दिन का चार्ट बनाकर, अपनी स्टडी टेबल के सटीक ऊपर चिपका डाला..अब तो बस इंतजार था, वैलेंटाइन वीक शुरु होने का..चलिए, यादों की ट्रेन की स्पीड बढ़ाता हूँ और आपको वैलेंटाइन वीक की फाईनल डेस्टिनेशन पर ले चलता हूँ...

वैलेंटाइन वीक का पहला दिन- रोज डे

कहते हैं, फूलों को तोड़ने वाले बड़े ही निर्दलीय होते हैं, इसलिए मैनें पहले से ही कॉलेज के मैन माली से डील कर ली थी, "प्यारे प्यारे लाल गुलाबों को मेरे लिए एक छोटे से गमले में लगाने के लिए "हा हा !! जी, हॉं, मैंने शीतल को सिर्फ एक गुलाब नहीं दिया, बल्कि पूरा गमला ! सुबह तड़के माली से पूरे गमले को लेकर "प्यार इन दौड़" दल की एक लड़की से शीतल के हॉस्टल के कमरे में रखवा दिया, उसमें एक छोटे से कागज पर लाल रंग से दिल बनाकर भी रख दिया...अब उस गमले को शीतल ने तोड़ा या फोड़ा या फिर अपने कमरे की बालकनी में सजाया ये अभी नहीं बताऊँगा !

वैलेंटाइन वीक का दूसरा दिन..

"प्रोमिज डे"

कहते हैं "जहॉं नैनों का मिलन हो जाये, वहॉं जुबॉं की जरुरत महसूस नहीं होती" फिर क्या करना था, हमने पल भर में नैनों के बाण चलाने का फैसला किया...

कॉलेज का पार्क..एक तरफ मेरी नजर किताब के पन्नों पर थी, वहीं दूसरी तरफ मेरी नजर शीतल को प्यार की नजरों से घुरे जा रही थी..वो भी मुझे हैरानी से देखे जा रही थी, पर कुछ कह नहीं पा रही थी..मैनें अपने नैनों से प्यार का संदेश पहुँचाने की कितनी सफल कोशिश की ! ये आपको बाद में पता चलेगा..

वैलेंटाइन वीक का तीसरा दिन...

"चॉकलेट डे"

कहते हैं "लड़कियों के दिल का रास्ता चॉकलेट नाम की अत्यधिक मीठी वस्तु से जरुर गुजरता है।"..इसलिए वैलेंटाइन वीक में चॉकलेट डे की भूमिका और भी अहम हो जाती है। मैंने सौ रुपए की एक मंहगी चॉकलेट खरीदने की बजाय, सौ रुपए की ही ढेर सारी चॉकलेट्स खरीदी और उनका बुके बनाकर, साथ में एक छोटे से कागज पर लाल रंग के स्कैच से दिल बनाकर शीतल के कमरे में रखवा दिया..अब इन चॉकलेट्स के गुच्छों ने शीतल के दिल को पिघलाया या नहीं ! ये आपको बाद में पता चलेगा...

वैलेंटाइन वीक का चौथा दिन -

"टेडी डे"

कहते हैं, "रुई का गुड्डा मतलब "टेडी" लड़कियों के लिए एक दोस्त की तरह होता है, वो टेडी से अपने सभी सीक्रेट शेयर करती है।"... मैं भी अपने तहे दिल से चाहता था कि शीतल का प्यार बनने से पहले एक दोस्त बनूँ, इसलिए कैंटीन में उसकी नजरों से छुपाकर उसके बैग में एक टेडी का की चेन लटका दिया.. अगर आप मेरे अनोखे गिफ्ट्स को मेरी कंजूसी से जोड़ रहे हैं तो आप सही सोच रहे हैं ! वो क्या है ना, उस वक्त एक-एक पैसे की कीमत बहुत होती थी पर खुद से वादा किया था, प्यार में कोई कमी नहीं छोडूँगा, हा हा !

वैलेंटाइन वीक का पॉंचवा दिन -

"प्रोमिज डे"

कहते हैं, "वादों की दुनिया क्षेत्रफल में जितनी बड़ी होती है, उसकी सीमाएँ उतनी ही असलियत में कमजोर भी ! लोगों का शब्दों को जुबॉं से निकालकर..वादों के स्वरुप में डालने में क्या जाता है ? पर जब लोगों द्वारा वादों को नहीं निभाया जाता तो दिल के साथ विश्वास करने की भी क्षमता टूट जाती है।".. इसलिए मैंने तय किया, मैं शीतल के साथ वादों का दिन उस दिन मनाऊँगा..जब इन वादों को पूरा कर पाऊँ।

वैलेंटाइन वीक का छठा दिन -

"किस डे"

क्या आपको पता है, लड़कों के लिए वैलेंटाइन वीक का सबसे फेवरेट दिन कौन सा होता है ? अरे ! किस डे या आम भाषा में कहा जाये तो "चुम्मा-चुम्मी डे"...पर मुझ जैसे छोटे गॉंव के सुशील बच्चे को इस दिन का कोई मोह नहीं था ! मैंने अपने पर्स में रखी शीतल की पासपोर्ट साइज फोटो निकाली, और उसके चेहरे पर अपने बिना लिपस्टिक के लगे होठों से एक प्यारा किस दे डाला, हा हा !

वैलेंटाइन वीक का आठवॉं दिन -

"हग डे"

कहते हैं, "जब दो लोग आपस में गले लगते हैं, चाहे कुछ पलों के लिए ही सही..उनके दिल एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं।"..भला मैं इस शुभ दिन को अपने हाथों से कैसे जाने दे सकता था, बस दिल चाह रहा था, किसी तरह शीतल के गले लगने का मौका मिल जाये ! कोशिशें भी हजार कर रहा था.. पर नाकाम हो रहा था !

बट जब गॉड जी के दरबार में अपनी अर्जी डाली तो तुंरत सुनवाई हो गयी..एक्यूचली हुआ यूँ..केल के छिलके के ऊपर शीतल का पैर और शीतल को संभालने में हमारी बॉंहों का हार..हाये, वो दो मिनट की उसकी और मेरी नजरों का मिलना..बस मजा ही आ गया था।

वैलेंटाइन वीक का स्पेशल दिन -

"वेलेंटाइन डे"

अगली बार बताऊँगा।

to be continue...


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