होम्योपैथी की दवा
होम्योपैथी की दवा
जब एक शाम को, सुबह से ऑफिस में गधे की तरह अपने बॉस की नौकरी-चाकरी करने के बाद एक थकेला इंसान अपने घर में कदम रखता है, तो उसकी देवी, मेरा मतलब "पत्नी-देवी" उसे पानी का गिलास पकड़ाते हुए कहतीं है,
"सुनिये जी, ये टी.वी वालों ने सुबह से क्या नोटबंदी-नोटबंदी लगा रखी है! ऐसा हो सकता है, क्या कि एक साथ 500 और 1000 के नोट बंद कर दिये जाएगें?"
पति - ऐसा होगा नहीं, हो गया है। सुबह से ऑफिस में दिन भर सरकार के इस कदम पर चकर-चकर ही चलती रहीं। वैसे भी, मुझ जैसे मिडिल क्लास इंसान के लिए क्या नोटबंदी, क्या काला धन, हाहा"
"अरे! क्या हुआ, तुम्हारे चेहरे का रंग क्यों उड़ गया?"
"वो, वो सुनिये, बिट्टू के कमरे में जाकर उसके पेंसिल बॉक्स में से पेंसिल लाइये ना"
पति - "क्या कह रही हो? कुछ खुल कर बताओगी?"
"दरसअल बात ये है कि मैनें बिट्टू की पढ़ाई और शादी के लिए इतने सालों में आपसे छुपाकर कुछ पैसे जमा किये है"
पति - "कितने पैसे है? मुझे ये तो बताओ पेंसिल क्यों मँगा रही हो !"
"ज्यादा पैसे नहीं है। बस ये ही कुछ 5 लाख होगें। वो क्या है ना, मैनें अपने इस छोटी मात्रा के घरेलू जमापूंजी को गुप्त स्थानों छुपाया है, पर इन स्थानों की जानकारी एक कोरे-कागज पर लिखी है, जिस पर पेंसिल फेरते ही, सब गुप्त स्थानों की जानकारी तुंरत मिल जायेगी'
पति - "हे मेरी भागवान ! ऐसा तुमने क्यों किया? तुम्हें कौन से चोर का डर सता रहा था या फिर तुम्हारे दिल में मुझे या अपने दुलारे बेटे बिट्टू को लेकर कुएँ से गहरा शक हो गया था। अब बताओ भी, मुझे हार्ट-अटैक आ जाएगा"
"अरे ! नहीं नहीं शुभ बोलिये। दरअसल, वो बचपन के दिनों में मुझे खजाने को खोजने का बड़ा शौक जागा था, पर कोई खजाना नहीं ढूंढ पाई। सालों पहले जब बिट्टू छोटा था और आप भी सेंविग पर जोर देते थे तो मैनें सोचा क्यों ना सेंविग के साथ-साथ खुद का अपना खजाना इजाद किया जाए। बस फिर क्या था, पैसे को छुपाती रही और कोरे कागज पर छुपाने वाली जगह का नाम लिखती गयी। पर आप इतने परेशान क्यों हो रहे है?"
पति - "अब मैं तुम्हे कैसे बताऊं, कि तुम दो साल से बातों को ना भूलने के लिए होम्योपैथी की दवाई ले रही हो। क्योंकि तुम्हें पैसों को छुपाने वाली बात अच्छे से याद है तो मुझे यकीन है तुम उस कोरे कागज को कहीं रखकर भूल चुकी होगी"
वो बेचारा रोने लगा।
