" प्यार इन Bhaad - 3 "
" प्यार इन Bhaad - 3 "
" प्यार इन Bhaad " दल में हमेशा दो प्रकार के लोग शामिल होते थे, एक वो जिन्हें प्यार से सख्त नफरत होती थी..दूसरे वो जिन्हें दल में शामिल होकर, कॉलेज में प्रीतम भाई की तरह अपनी ताकतवर पहचान बनानी होती थी, पर मैं इकलौता एेसा शख्स था जो इस बजरंग दल में शामिल सिर्फ अपने प्यार को करीब से जानने के लिए हो रहा था । जब हर्ष भईया ने मेरे प्लान के बारे में पूछा तो मैनें एक चार्ट लिया और अपने गोल्स की लिस्ट बनाने लगा,
पहला गोल : किसी भी तरह दल में शामिल होना और शीतल की नजरों में नजर आना !
दूसरा गोल : शीतल के दिल की बात जानना, क्या वो गुलाब की पंखुड़ी की तरह नरम है या अपने भाई की तरह सबकी आँखों में चुभने वाला कॉंटा !!
तीसरा गोल : अगर शीतल के दिल में भी प्यार को लेकर कुछ-कुछ होता है तो उसके दिल में अपने नाम की घंटी बजाना !!
चौथा गोल : शीतल के भाई को रास्ते से हटा., चलो, उसे भी देख लेंगे !!
~ वाह, वाह टॉपर कृष्णा जी के क्या कहने, शीतल के प्यार में एेसे गज़ब दीवाने हुए है कि चार्ट पर पढ़ाई के गोल्स बनाने की जगह प्यार के गोल्स बना रहे है । सही कहते है,
" प्यार की गली में जिसने अपना रुख मोड़ा,
उसे प्यार ने कहीं का नहीं छोड़ा " हाहा !!
हँसते हुए हर्ष भईया कमरे से बाहर चले गए ।
चाहे, हर्ष भईया की बात में सौ प्रतिशत सच्चाई हो, पर हम भी कोई कच्चे खिलाड़ी थोड़ी ना थे, जैसे एग्जाम की तैयारी करते थे, वैसे ही प्यार के एग्जाम की भी तैयारी करने लगे ।
सबसे पहले अपने करीबी सूत्रों से पता लगाया कि अगर किसी को दल में शामिल होना हो तो क्या प्रकिया होती है ?? पता चला.. उसको सबसे पहले दल का एंट्री फार्म भरना होगा, अगर खुशकिस्मती से फार्म सलेकट हो गया तो दल की मुख्य कमेटी आपका इंटरव्यू लेगी..अच्छा इस पूरी प्रकिया की सबसे कड़क बात ये होती थी कि आखिर में आपको एक वाक्य बोलना होता था कि
" मैं प्रेम में विश्वास नहीं रखता हूँ/ रखती हूँ "
वैसे तो दल में शामिल होने वाले, सभी लड़के-लड़कियों के लिए इस वाक्य को बोलना उतना ही आसान था, जितना दल में शामिल होना, पर मेरे लिए कहॉं !! इस वाक्य को बोलने के मतलब, मुझे अपने दिल पर पत्थर रखना ! कितनी बार तो बोलने की प्रैक्टिस भी की !!
आखिरकार वो एक अहम दिन आ ही गया, जब मुझे " प्यार इन Bhaad " दल के खास इंटरव्यू के लिए बुलाया गया..वैसे तो हर्ष भईया के साथ-साथ मेरे दिल को भी यकीन नहीं हो रहा था कि मेरा फार्म स्लेकट कैसे हो गया !! पर उन्होनें मुझे " ऑल द बेस्ट " विश करने के साथ- साथ हँसते हुए कहा, " अब तेरी किस्मत में तेरा ढोल बजना ही लिखा है, तो क्या कर सकते है ?! "
" ये तो वक्त बताएगा ढोल किसका
बजेगा और कौन बजायेगा ! ", मैनें मन में हँसते हुए कहा ।
जिस हॉल में इंटरव्यू चल रहा था, वहॉं मेरे पहले कदम रखने का अनुभव ठीक उस प्रकार था, जैसे किसी नयी नवेली बहू का अपनी ससुराल में अपनी पहला कदम रखना.. अंजानों की नगरी में खुद के दिल की धड़कनों ने जैसे फरारी की तरह रफ्तार पकड़ ली थी ! मैं सबकी नजरों से छुपते छुपाते पीछे की सीट पर जा बैठा और मेरी बदकिस्मती का हाई लेवल तो देखो हॉल में कदम रखने के और सीट पर बैठने के चंद सेकॅन्ड के अंतराल में मेरा नंबर आ गया !! अचानक से नम्बर आ जाने पर, मेरी कॉन्फिडेंस की हालत एेसी तंग हुई कि डरते-डरते कॉंपते हाथों और लड़खड़ाते पैरों के साथ किसी तरह स्टेज पर पहुँचा । जैसे ही मेरी नजरों का एंगल स्टेज से हटकर ऑडीअन्स पर आया तो देखा इन्टर्व्यूर पैनल में खूबसूरती की मूरत शीतल के साथ उसके पास वाली सीट पर उसका डरवना भाई प्रीतम बैठा है और राकेश, दल का इकलौता मैनेजर..मुझसे पूछे जाने वाले सवालों की लड़ी में से, मैं कुछ चंद सवालों का जिक्र करता हूँ.,
सबसे पहले खुद का परिचय दो, हमारे दल को क्यों जॉइन करना चाहते हो ? तुम्हारे अनुसार प्यार की क्या डेफिनेशन है ? अगर किसी वजह से दल में शामिल नहीं हो पाए तो क्या करोगे ?? वगैरह वगैरह..
वैसे तो मैनें उनके सभी सवालों के जवाब बढ़-चढ़कर किसी नेता के भाषण की तरह दिये, पर चलिये आपको संक्षेप में बता ही देता हूँ ।
" सबसे पहले अाप सभी को प्रणाम, मेरा नाम " कृष्णा मोहन " है और बिहार के एक छोटे से गॉंव " श्यामपली " का रहना वाला हूँ । जब दिल में उत्तम केटगॉरी की पढ़ाई करने की इच्छा जगी तो बस दिल्ली का ख्याल आया..जिस दिन इस कॉलेज में पहला कदम रखा, उसी दिन प्रीतम भईया से टकरा गया ! पर सच कहता हूँ भईया, मेरे आपसे बेवजह टकराने की वजह ये प्रेम करने वाले लड़के-लड़की ही थे ! जहॉं नजर गयी, वहॉं सरेआम रोमांस चल रहा था, बस ये देखकर मुझे शर्म आ गयी और मैं नीचे देखकर चलने लगा, तभी अनजाने में..मैं आपसे टकरा गया, सॉरी भईया, माफ कर देना
जैसे ही आपने एंट्री मारी, वहॉं रोमांस करते हुए लड़के-लड़कियॉं मिस्टर इंडिया की तरह फुर्र से गायब हो गए..बस उसी दिन मैनें फैसला कर लिया कि मैं एक दिन आपके दल में जरुर शामिल हूँगा । पता नहीं, लड़के-लड़कियों को प्यार में एेसा क्या दिखता है कि सब कुछ भूल जाते है !! मेरा बस चले तो, प्यार शब्द को जोड़ने वाले अक्षरों को ही वर्णमाला से बाहर फेंक दूँ, जहॉं देखो प्यार के नाम पर लड़के-लड़कियों ने हमारे देश की छवि खराब कर रखी है !! एक दूसरे के हाथ से खाना एेसे खाते है जैसे अपने हाथों में जंजीर लगी हो, एक दूसरे से इतनी मीठी बातें करते है जैसे नाश्ते में जलेबी-रसगुल्ला सभी खा लिये हो !! अगर आपने मुझे अपने दल में शामिल नहीं किया ना, तो मैं जीवन भर के लिए ब्रह्मचारी बन जाऊंगा..तेज आवाज में जब कहते कहते, मेरी सॉंस फूलने लगी तो कुछ एेसा गजब़ वाला सीन हुआ कि मेरा दिल उछलकर स्टेज पर डॉंस करने लगा..
वो गज़ब सीन कुछ एेसा था कि प्रीतम भाई भागते हुए स्टेज पर आकर, मुझसे गले आ लगे थे ! शीतल के साथ-साथ हॉल में उपस्थित सभी लोग हैरानी वाली मुद्रा में खड़े होते हुए भी ताली बजा रहे थे !! कुछ इस तरह मैनें गज़ब एंट्री मारी " प्यार इन Bhaad " दल में..पहला गोल अकॉम्प्लिश..
अब दूसरा गोल..अपनी प्यारी शीतल के दिल को करीब से जानना, से पता करना कि जिसने मेरा दिल मुझसे लुट लिया...उसके ही दिल में प्यार की जगह है भी या नहीं !!
काफी दिनों की मशक्कत करने के बाद, दुआ-प्रार्थना करने के बाद भगवान जी ने जैसे मेरे दिल की बात सुन ली और मुझे कुछ एेसा मिला कि जिसने मेरे सारे डाउट दूर कर दिये..शीतल के द्वारा लिखी हुई उसकी प्राइवेट डायरी, जिसमें उसने सिर्फ प्यार और प्यार का जिक्र किया था, उन दिनों रिलीज़ हुई " दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे " फिल्म का जिक्र भी उसने डायरी में किया था..हाये ! एक तरफ मेरी शीतल को अपने सपनों के राजकुमार का घोड़ी पर आने का इंतजार है और इधर, मैं ब्रहचारी बनने जा रहा था..हाहा !!
to be continue...
