Varsha abhishek Jain

Romance

3.1  

Varsha abhishek Jain

Romance

प्यार हो जहाँ ले चल वहाँ -२

प्यार हो जहाँ ले चल वहाँ -२

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पता नहीं काकी माँ ने मुझे क्यों बुलाया होगा। अपने कमरे में आइने के सामने तैयार होते हुए खुद से ही बात करता मलय।

अब जो भी है वहां जाकर ही पता चलेगा ।इसी बहाने शिवी से भी मुलाकात हो जाएगी।उसे भी देख लूंगा।

जल्दी जल्दी मलय शिवी के घर पहूँ चता है।

"काकी माँ आप परेशान हो ,क्या बात है क्या बात करनी थी आपको।"मलय ने शिवी की माँ से पूछा।

"मलय हमेशा से शिवी तुम्हारी बात मानती आयी है।आज भी तुम्हें उसे मानना है।" शिवी की माँ ने कहा।

"हां लेकिन किस बात के लिए।" मलय ने पूछा।

_"मलय शिवी के लिए बहुत अच्छा रिश्ता आया है,लड़का भी बहुत पढ़ा लिखा है,सरकारी अफसर है।शहर में अपना घर है। गांव में भी हवेली है।लेकिन शिवी लड़के से मिलने को भी तैयार नहीं।तू बात कर ना बेटा तेरी बात वो जरूर सुनेगी।"काकी माँ मलय को सब बताया।

मलय सुन कर समझ नहीं पाया।जिस बात को वह खुद नहीं मान पा रहा उसे शिवी को कैसे समझाए।अपने पहले प्यार को किसी ओर को कैसे सौंप दे।

अपने आप को संभालते हुए मलय ने कहा " काकी माँ ये मैं कैसे समझाऊं शिवी को।"

"तुम्हें मेरी कसम तुम्हें इस रिश्ते के लिए शिवी को मानना ही पड़ेगा।"काकी माँ ने कहा

ठीक है काकी माँ आपने मुझे कसम से बांध दिया है अब तो बात करनी ही होगी।मलय शिवी के कमरे में जाता है

शिवी बालकनी में खड़ी मलय के आने का ही इंतजार कर रही थी

आओ मलय " मुझे पता था माँ तुम्हें ही बुलाएगी।"

तो फिर माँ की बात तुम मान क्यों नहीं लेती।मिल क्यों नहीं लेती उस लड़के से मलय ने कहा।

क्या आप नहीं जानते मलय क्यों नहीं मिलना चाहती में उस लड़के से।

जानता हूं ।लेकिन ?कोई नहीं मानेगा शिवी।

जानती हूं,बात की थी माँ से मैंने, माँ कहती है हम सिर्फ दोस्त बन सकते है जीवन साथी नहीं।उन्होंने कहा वे तुम्हें अपना बेटा मान सकती है।लेकिन उससे जायदा कुछ नहीं।

इसीलिए मुझे उन्होंने मुझे तुम्हें मनाने भेजा।शिवी माँ की बात मान लो।

मलय हम कहीं दूर चले जाते है।जहां कोई ना हो ।ले चलो ना मुझे।

नहीं ये मुमकिन नहीं।माँ ने कसम दी है।ओर मैं जनता हूं तुम भी अपने परिवार के बिना कभी खुश नहीं रह सकती।ये रिश्ता ही तुम्हें मानना होगा।"

मान लूंगी ।लेकिन मेरी भी एक शर्त है मलय

बोलो शिवी क्या कर सकता हूं मैं

शादी,किसी ओर से। मेरी शादी से पहले मैं तुम्हें किसी ओर का होते देखना चाहती हूँ ।शायद यही सज़ा सही हो हम दोनों के लिए।

मंजूर है शिवी।

दोनों ही के आंखो में दर्द के आंसू बहे जा रहे थे।

to be continued..



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