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Varsha abhishek Jain

Romance Inspirational

4  

Varsha abhishek Jain

Romance Inspirational

अगर तुम साथ दो

अगर तुम साथ दो

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आज दुख की इस घड़ी में समीर निशा को धीरज बंधा रहा था, अचानक निशा की ज़िंदगी में ऐसा मोड़ आ जायेगा कभी सपने में भी नहीं सोचा था।

समीर निशा का बचपन का दोस्त है। अभी थोड़ी देर पहले ही तो मम्मी पापा से बात हुई थी, सब कुछ ठीक था। फिर कुदरत ने ऐसा अत्याचार क्यों किया? निशा के मम्मी पापा किसी रिश्तेदार की शादी में शरीक होने गए हुए थे। आज वापस लौटते समय उनकी कार को ट्रक ने टक्कर मार दी, वहीं निशा के मम्मी पापा की जीवन लीला समाप्त हो गई।

समीर का घर निशा के घर के पास ही था, जब समीर पांच वर्ष का था तभी समीर की मां का देहान्त हो गया था। पिता ने दूसरी शादी कर ली और शहर जाके बस गया और समीर को अपनी दादी के पास छोड़ गया।

निशा की मां कामिनी जी ने ही समीर को पाला पोसा था। समीर भी कामिनी जी को मां से बढ़ कर मानता था।

पूरे दिन स्कूल से आने के बाद कामिनी जी के पीछे पीछे घूमता, समीर को खाना बनाने में बड़ी रुचि थी, क्या कैसे बनाया देखता रहता और कामिनी जी को पूछता रहता।

कामिनी जी उसको कहती रहती थी "ये लड़कियों वाले काम सीख कर क्या करेगा, पढ़ाई पर ध्यान दे"।

समीर कहता "पढ़ाई में मेरा दिल नहीं लगता, मुझे तो खाना बनाना पसंद है। पढ़ाकू तो निशा है ना वो ही बहुत है"।

निशा बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होशियार थी, निशा के पिता जी रमेश जी निशा को आईएस बनाना चाहते थे, यही निशा भी चाहती थी, निशा घर के कामों से दूर भागती थीं। लेकिन आज सारे सपने जो निशा के पिता जी ने देखे थे धरे के धरे रह गए , मां बाप के जाने के बाद ताऊ जी ताई जी निशा की शादी के पीछे पड़ गए, पढ़ाई लिखाई करने से मना कर दिया।

निशा की ताई जी पूरे दिन निशा से घर का काम कराती थी, निशा भी निर्जीव सी हो गई थी।

एक दिन समीर निशा से मिलने आया उसने निशा से कहा "तुम्हे अपनी पढ़ाई बीच में नहीं छोड़नी चाहिए, ये तुम्हारा और तुम्हारे पापा का सपना है, अभी तुम्हारे आगे तुम्हारी पूरी ज़िन्दगी पड़ी है, अपने लिए जीना सिखो, तुम्हे ऐसे दुखी देख कर तो तुम्हारे मम्मी पापा भी खुश नहीं रह पाएंगे , वे जहां भी है तुम्हे देख रहे है, उनका आशर्वाद तुम्हारे साथ हैं"

निशा"ये सब बोलना बहुत आसान है, पर हकीकत में ये मुमकिन नहीं, कुछ दिनों में ताऊ जी कही मेरी शादी कर देगे, उसके बाद मेरे ज़िंदगी के फैसले कोई और लेगा"

मुझसे शादी करोगी निशा" समीर ने निशा की तरफ हाथ बढ़ाते हुए पूछा।

निशा कुछ नहीं कह पाई आंखो से झर झर आंसू बह रहे थे।

ताऊ जी ताई जी ने भी अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पाने के लिए शादी के लिए हामी भर दी।

समीर और निशा दोनों हमेशा के लिए एक दूजे के हो गए।

शादी के बाद समीर ओर निशा दूसरे शहर में अपना आशियाना बसा लेते है। समीर एक कंपनी में नौकरी करता है , तनख्वाह भी ठीक है, लेकिन समीर को संतुष्टि नहीं मिल रही थी, वह अपना जुनून अपना शोख पूरा करना चाहता था, जो लगाव उसे खाने से था वो कहीं ओर नहीं ।समीर अपना कैटरिंग का काम शुरू करना चाहता था, ओर ये भी चाहता था कि निशा अपनी आईएस की पढ़ाई करे। निशा ने समीर से कहा "मैं आपकी मदद कर दूंगी , कैटरिंग के काम में, पर अब वापिस पढ़ाई नहीं, आप रसोई का काम करोगे ओर मैं पढ़ाई लोग क्या कहेंगे" "लोगो की मत सोचो निशा , तुम्हारे मां पापा ने मुझे अपना समझ के पाला, अगर मैं उनका एक सपना भी पूरा कर दूं तो मेरी जिंदगी सफल हो जाएगी।उनका कितना एहसान है मुझ पर, आज जो कुछ हूं उनकी वजह से हूं, तुम मेरी पत्नी हो, तुमसे बहुत प्यार करता हूं, तुम्हारे सपने मैं पूरा नहीं करुगा तो और कौन करेगा।" निशा ने अपनी पढ़ाई शुरू की, समीर ने अपना छोटा सा कैटरीन का काम शुरू किया, समीर अपना काम घर से ही करता था, निशा को एक भी काम नहीं करने देता, निशा चाहते हुए भी मदद नहीं कर पाती।पूरे घर को समीर ने बहुत अच्छे। से संभाला।

आस पड़ोस के लोग भी तरह तरह की बातें बनाते कि कैसे लोग है पति रसोई का काम करता है और पत्नी बाहर पढ़ने जाती है, समीर ने इन सब की कोई परवाह नहीं की। कुछ समय बाद एक नन्ही सी जान की आहट सुनाई दी, दोनों बहुत खुश थे, पर निशा के मन में संदेह था क्या वह अपनी आईएस की तैयारी ओर बच्चे का ध्यान रख पाएगी। इस स्थिति में समीर ने निशा को सहारा दिया , हिम्मत दी।समीर वैसे भी निशा का बहुत ध्यान रहता था, अब ओर जायदा रखने लगा, समीर का काम भी दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा था।

समीर निशा को तरह तरह के पकवान बनाकर खिलता, दावाई देता, डॉक्टर के पास ले जाता। निशा ने अपनी कड़ी मेहनत ओर समीर की सहयोग से आईएस का सपना पूरा किया। कुछ महीनों बाद समीर ओर निशा एक बेटे माता पिता बने निशा ने कहा "मेरे मां पिता मुझे अकेला छोड़ गए थे तब मैंने सोचा मेरा जीवन ही समाप्त हो गया, लेकिन तुमने मुझे एक दोस्त बन कर संभाला, हमसफ़र बन कर मेरी मंजिल पाने में मदद की, ओर आज मातृत्व का सुख भोग रही हूं।" "तुम जैसा हमराही हो तो जिंदगी कितनी आसानी से काट जाएगी।" समीर ने निशा से कहा" अगर तुम साथ हो तो सब वैसे भी अच्छा ही होना है।


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