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मेरे पिया

मेरे पिया

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"अनु की आँखों से आँसू झर झर बहे जा रहे हैं, जैसे आज वो सारे गिले शिकवे मिटा देना चाहती थी, सारी लड़ाई झगड़े रूठना मनाना सब भुला कर अबीर की बाहों में रहना चाहती थी।"

अबीर : "अरे भई, क्या हो गया इतना क्यों रो रही हो, सिर्फ मेरा बटुआ ही तो चोरी हुआ है, हां थोड़ा नुकसान हुआ है, पर इतना बड़ा भी नहीं की तुम ऐसे रो रही है। अच्छा..अब समझा तुम सुबह के झगड़े की वजह से रो रही हो, अरे बाबा माफ़ कर दो, पर अब रोना बंद करो।"  

अब आपको मैं थोड़ा पीछे ले चलती हूं। पूरे घटनक्रम को समझने के लिए।

सुबह के 9 बज रहे थे, अनु अबीर के लिए टिफिन तैयार कर रही थी। और अबीर ऑफ़िस के लिए तैयार हो रहा था।

"अबीर तुमने ऑफ़िस में छुट्टी के लिए अर्जी दे दी है ना ? याद है ना दो हफ्ते बाद मेरी सहेली की शादी है, बड़े प्यार से उसने बुलाया है।"

अनु ने अबीर से पूछा।

"नहीं यार, मैंने बात की थी, लेकिन अभी ईयर एंडिंग की वजह से छुट्टी से मना कर दिया बॉस ने, फिर अभी ज्यादा जोर भी नहीं दे सकता, दो महीने बाद पर्मोशन होने वाला है उसमे कोई दिक्कत ना आए। अपने भविष्य के लिए ये जरूरी है।"

"तुम चाहो तो चले जाना, चाहे दो दिन ज्यादा रह आना" अबीर ने उतर दिया।

"तुम हमेशा ऐसे ही करते हो, तुम्हें मेरी कोई फिकर ही नहीं है, सब सहेलियाँ अपने पति के साथ आएगी, मैं ही अकेली रह जाऊंगी, मुझे शादी ही नहीं करनी चाहिए थी तुमसे, दो दिन क्या मैं आऊंगी ही नहीं तुम्हारे पास कभी।"

अनु गुस्से में बोल रही थी।

अबीर ऑफ़िस के लिए देर हो रही थी, इसलिए उसने ज्यादा बहस में ना पड़ते हुए अपना बैग उठाया और ऑफ़िस के लिए निकल गया।

"कभी बात नहीं करूगी अबीर से, दो महीने से बोल रही हूं छुट्टी ले ले, पर नहीं इन्हे तो कोई परवाह ही नहीं। अब आगे से कोई उम्मीद नहीं रखूंगी। इनको मेरी जरूरत नहीं तो मुझे भी नहीं।"

अनु गुस्से में बड़- बड़ा रही थी। और जोर जोर से बर्तन पटक के काम कर थी ।

शाम को आज अनु ने खाना भी नहीं बनाया ,अबीर के ऑफ़िस से आने का वक्त हो रहा था। पर एक घंटा देर हो गई अबीर आया ही नहीं। मन में संदेह था लेकिन अहम अबीर को फोन करने से रोक रहा था।

अनु की नजर घड़ी पर टिकी थी। पर अबीर अब तक ना आया।

तभी फोन की घंटी बजी। अनु ने सोचा अबीर का फोन होगा, लेकिन ये तो कोई नंबर है, किसका फोन आया है।

अनु : "हेल्लो"

दूसरी तरफ से : "जी आप अबीर झा को जानती है क्या।"

अनु : "जी मेरे पति है, आप कौन"

दूसरी तरफ से : "जी मैं पुलिस स्टेशन से बोल रहा हूं, अभी आपके पति का एक्सिडेंट हो गया है, सिर पर गंभीर चोट आई है, बचना मुश्किल है। उनका मोबाइल और पर्स हमारे पास है। आप जितनी जल्दी हो सके अस्पताल पहुंचिए।"

अनु वहीं पत्थर की मूर्ति की तरह जम गई, जैसे शरीर में प्राण ही ना हो, पूरे दिन का घटना क्रम उसकी आँखो के सामने आ रहा था,

"क्यूँ मैंने बोला अबीर को की कभी नहीं आऊंगी आपके पास, क्यूँ सोच लिया कि मुझे अबीर की जरूरत ही नहीं, मैं क्या करूंगी अबीर के बिना, क्यूँ मैंने झगड़ा किया, पूरे दिन बात नहीं की, क्या अब कभी अबीर से बात नहीं कर पाऊंगी। अबीर....."चीख पड़ी अनु।

तभी दरवाज़े पर किसी की आहट हुई, डोर बेल बजी।

भागी भागी अनु दरवाज़े तक पहुंची, जल्दी से दरवाज़ा खोला।

देखा सामने अबीर खड़ा था, एक दम सही सलामत। अनु का तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। अबीर के गले लग के फुट फुट कर रोने लगी।

अबीर की कुछ समझ नहीं आया।

अनु ने रोते रोते पूछा,"तुम्हारा मोबाइल पर्स ..पुलिस का फोन आया था..उन्होंने कहा.... तुम्हारा..."

अबीर ने बीच में ही अनु की बात काटते हुए कहा।

"हां वो रास्ते में किसी ने मेरी जेब काट ली। उसी की रिपोर्ट लिखा कर आ रहा हूं तभी इतनी देर हो गई।"

"पर तुम्हें कैसे पता चला। अच्छा पर्स में मैंने तुम्हारा और मेरा नंबर लिख रखा है इसलिए तुम्हें फोन आया होगा। इतनी जल्दी पुलिस ने खोज दिया मेरा सामान, पर अब रोना बंद करो। तुम भी ना इतनी छोटी सी बात पर रो रही हो।"

अनु अब कैसे समझाएं वो पल जब उसे लगा उसने सब खो दिया, जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो, अबीर के बिना जिंदगी की कल्पना से ही वो डर गई।

अनु ने भगवान को धन्यवाद दिया। और प्रण लिया कभी ज़िंदगी में वो ये नहीं बोलेगी की अबीर की जरूरत नहीं उसे, अगर भगवान ना करे वो घटना सच होती तो, जिसने अबीर का पर्स मोबाइल चुराया था उसका एक्सिडेंट ना होकर अगर अबीर होता तो एक पल में सब खत्म हो जाता।

अब छोटी छोटी चीजों के लिए कभी नहीं लड़ेगी, हम जब तक साथ है खुश रहेंगे, चाहे पैसा आए ना आए जीवन के सारे सुख दुख में साथ निभाएंगे। जीवन साथी तेरे साथ रहूँगी हर कदम।



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