प्यार हो जहां,ले चल वहां-1
प्यार हो जहां,ले चल वहां-1


ये कहानी है एक ऐसे प्यार की जिसमें ना इजहार है ना इनकार है ना इकरार है ना हमेशा साथ रहने का वादा है ना दूर जाने का इरादा है।ये कहानी है एक ऐसे प्यार की जिसमें ना रूठना मनाना है, बस प्यार है परवाह है इज्जत है। ये कहानी है शिवी ओर मलय की।शिवी के पिताजी ओर मलय के पिता बचपन के दोस्त थे। स्कूल की पढ़ाई से लेकर व्यापार तक के साझेदार थे।कभी ऐसा ना हुआ की दोनों के बीच कोई मन मुटाव हुआ हो अगर हो भी जाए तो वे आपस में ही मिल बैठ सारे मसले सुलझा लेते थे।दोनों परिवारों में अच्छा आना जाना था।
आज शिवी का पहला जन्मदिन था।मलय इस समय 4 वर्ष का था ।अभी तो दोनों ही बच्चे थे दोनों का ना परिचय था ना कोई प्रेम।चलो चलो केक काटने का वक़्त हो गया है ।शिवी की बुआ ने सभी को आवाज़ दी।नन्ही सी शिवी का हाथ थाम कर मलय से भी केक कटवाया गया।दोनों परिवार में घनिष्ट संबंध जो थे।
शिवी बेटा भैया को केक खिलाओ।" बुआ ने कहा।
शिवी ना नुकुर कर रही थी।इतनी भीड़ से शायद बच्चे अनमने हो जाते है,या फिर शिवी मलय के साथ कोई रिश्ते के बंधन में नहीं बांधना चाहती थी।मलय भी अपना तोहफा शिवी को नहीं देना चाहता था,नहीं चाहता था अपना खिलौना शिवी को दे जिसे बाद में वह पूरी दुनिया की खुशी देना चाहेगा।अभी इस तोहफे को बड़ी मुश्किल से उसने शिवी को दिया है ,पहला तोहफा शिवी को मलय की ओर से एक प्यारी सी गुड़िया।
शिवी मलय का एक ही विद्यालय में प्रवेश हुआ।मलय आठवीं कक्षा में था शिवी चोथी में थी।शिवी का ध्यान रखने की जिम्मेदारी मलय को दी गई थी।मलय ही सुबह शिवी को स्कूल लेके जाता वापिस घर पहुंचा के जाता।मलय द्वारा शिवी को सख्त हिदायत दी गई थी कि वह उसके पीछे पीछे चलेगी।साथ साथ चलने पर मलय के दोस्त मलय को चिढाया करते थे।शिवी भी चुप चाप मलय के पीछे पीछे चल देती । ये साथ ना मलय को पसंद था ना शिवी को।
एक दिन शिवी का अपने सहपाठी से झगड़ा हो गया।दोनों गुथम गुथा होंगे।बात शिक्षक तक पहुंची।शिवी को दण्ड स्वरूप कक्षा के बाहर खड़ा कर दिया।मलय वहां से गुजर रहा था ,उसने देखा ।फिर छुट्टी के बाद शिवी के घर जाकर उसके मम्मी पापा को मिर्च मसाला लगा के सारी बात बता दी।ओर खुद मजे लेने लगा। खूब डांट पड़ी थी उस दिन शिवी को।उसके बाद शिवी ने मलय से बात करना बंद कर दिया।पूरे दो साल तक शिवी ने मलय से बात नहीं की ।एक दिन अचानक मलय शिवी को मिलने आया।साथ में एक फ्रेंड शिप बेंड लेकर ।
"मुझे माफ़ कर दे शिवी अब तो बात कर ले ओर कितना गुस्सा करेगी।देख मैं तेरे लिए तेरी पसंदीदा चॉकलेट भी लेके आया हूं,". मलय ने कहा
"ठीक है ठीक है,आज दोस्ती का दिन है इसलिए में आपको दोस्त बना लेती हूं।लेकिन आप मुझे ओर नहीं सताओगे।"शिवी मुस्कराई।
दोनों ने एक दूसरे को फ्रेंड शिप बेंड बांधे,ओर बन गए हमेशा के लिए पक्के दोस्त।समय के साथ साथ दोनों की दोस्ती ओर गाढ़ी हो रही थी।दोस्ती परवाह का नाम ले रही थी।परवाह प्यार का नाम लेने वाली थी।शिवी कॉलेज में आ गई थी ।मलय आगे की पढ़ाई के लिए शहर चला गया था।
शिवी अपने पूरे दिन का कच्चा चिठ्ठा मलय को बताती ।कॉलेज में क्या हुआ,आज क्या खाया ,मां ने क्यों डांट लगाई, कोनसी मूवी देखी सब कुछ मलय को बताती।कोई भी समस्या होती या जब कभी कोई राय लेनी होती वो मलय से ही पूछती।घर पर भी सभी को पता था कि शिवी से कोई काम करवाना है तो मलय को बोल दो ।मलय मना लेगा।
मलय भी शिवी की उतनी ही इज्जत करता था।कहीं भी जाता खुद से पहले शिवी के लिए उपहार खरीदता ।शिवी को सारी बातें बताता।आज 4 साल बाद मलय वापिस आ रहा है।शिवी के पैर में तो घुंघरू बंध गए।
आज उसे कुछ समझ नहीं आ रहा।इतनी बेचैनी क्यों है मन में , क्यों वो मलय के सामने जाने के लिए इतनी तैयार हो रही है,क्यों तैयार होने के बावजूद मलय के सामने जाने से हिचकिचा रही है।ये शर्म कैसी।मलय ही तो है उसका मलय।
गहरे नीले रंग की सलवार कुर्ता, नीली बिंदी , कानों में छोटे छोटे झुमके,हल्के गुलाबी होठ ,काजल से भरी आंखें,हजार गुलाब खिलें हुए गाल देख मलय एक बार तो सुध बुध ही खो बैठा।यकीन ही नहीं हो रहा था ये वो शिवी है जिसे वो बचपन से जानता था। दिल दे दिया मलय ने आज।