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Ritu Verma

Romance

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Ritu Verma

Romance

प्यार हमें किस मोड़ पे ले आया?

प्यार हमें किस मोड़ पे ले आया?

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अनिल की आँखें रह रह कर सरिता की तरफ मुड़ जाती थी। सरिता का रंग गहरा था पर उसके नैन नक्श बेहद आकर्षक थे। सरिता के बाल जो अभिनेत्री डिंपल की तरह स्टेपकट थे वो अनिल को सबसे अधिक अपनी ओर खींचते थे। भारतीय परिधान हो या आधुनिक सरिता हर प्रकार के कपड़ों में जंचती थी।

अनिल ने हर तरह से कोशिश करके देख ली पर सरिता उसे कंधे पर हाथ नहीं रखने देती थी। अनिल 38 वर्ष का हो चुका था पर देखने में अभी भी 30 वर्ष से एक साल भी अधिक नहीं लगता था। उसकी आँखों को कोई लड़की जंचती ही नहीं थी। आजतक वो कितनी ही रिश्तो को ठुकरा चुका था पर अब अनिल ने फैसला कर लिया था कि वो सरिता से ही विवाह करेगा। सरिता अनिल की ही कंपनी की सिस्टर कंसर्न में पांच माह पहले कानपुर से आई थी। वो कानपुर की रहने वाली थी और यहाँ दिल्ली में उसका कोई सोशल सर्किल नहीं था। अनिल पिछले तीन माह से जी तोड़ कोशिश कर रहा था पर सरिता से मेलजोल नहीं बढ़ा पाया था।

आज ऑफिस में दीवाली की पार्टी थी। अनिल ने डार्क ग्रे कलर का सूट पहना हुआ था। तभी उसने सरिता को देखा, मेहंदी रंग की शिफॉन की साड़ी में वो बेहद आकर्षक लग रही थी। सरिता ने तभी एक झटके से अपने बाल हाथों से कान के पीछे किया तो सरिता के कानो में चांदी की बालियां झिलमिला उठी थी। ये बालियां सरिता के सौंदर्य को दुगना कर रही थी और अनिल की धड़कनों को बढ़ा रही थी।

पार्टी के पश्चात अनिल ने देखा सरिता कैब की प्रतीक्षा कर रही थी। अनिल ने कहा "सरिता, चलो मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ "

सरिता को अनमना देख कर अनिल बोला

"बैठो खा नहीं जाऊंगा, क्यों इतना भागती हो "

सरिता जब कार में बैठ गयी तो अनिल ने फिर पूछा "सरिता, घर में कौन कौन हैं? "

सरिता बाल झटकते हुये बोली "पावस, अक्षत और मैं "

अनिल ने पूछा "छोटे भाई बहन पढ़ाई करते हैं क्या? "

सरिता हँसते हुये बोली "अनिल, पावस और अक्षत मेरे बेटा और बेटी हैं "

अनिल एक दम से चिल्ला कर बोला "ये कैसे हो सकता है? "

सरिता बोली "क्यों आपको क्या प्रॉब्लम हैं? "

अनिल बोला "तुम शादी शुदा हो? "

सरिता बोली "शादी शुदा नहीं ,तलाक़शुदा हूँ, इसलिये कानपुर से दिल्ली शिफ़्ट हुई थी "

अनिल तब तक संभल चुका था ,इसलिये बोला "सरिता मैं तुम्हें बेहद पसंद करता हूँ। "

" पिछले तीन महीने से मैं तुमसे ये कहने की कोशिश कर रहा था कि मैं तुमसे विवाह करना चाहता हूँ "

सरिता लापरवाही से बोली "अब शायद आपकी गलतफहमी दूर हो गयी होगी और शादी करने का ख्याल भी "

अनिल बोला "मैं अगर ये कहूँ कि मैं तुमसे अब भी शादी करना चाहता हूँ "

सरिता बोली "मैं 44 वर्ष की हूँ, मेरे 14 और 10 वर्ष के बच्चे हैं, कुछ सोच समझ कर बोलो "

अनिल बोला "मुझे कोई समस्या नहीं हैं "

सरिता ने कहा "तुम्हें भले ही ना हो, तुम्हारे घरवाले ? "

अनिल के ऊपर सरिता का नशा ऐसे सिर चढ़ कर बोल रहा था कि वो ना सुनने को तैयार नहीं था।

सरिता जब कार से उतर रही थी तो अनिल बोला "सरिता मुझे तुम्हारे जवाब की प्रतीक्षा रहेगी "

"मैं 38 वर्ष का हूँ और मेरे पद और वेतन के बारे में तुम्हें मालूम ही हैं, तुमसे पहले बहुत सारी लड़कियां आयी और गयी पर तुम्हें देखते ही मैंने फैसला ले लिया था कि शादी करूँगा तो बस तुमसे"

पूरी रात सरिता सोच विचार करती रही, अनिल का प्रस्ताव बुरा नहीं था। अच्छा खासा कमाता था,अच्छे परिवार का भी था और सबसे बड़ी बात अनिल को उसके बच्चो से कोई प्रॉब्लम नहीं थी।

सरिता ने जब ये बात अपने बच्चो से करी तो पावस और अक्षत ने सुनते ही कहा "आपने पापा से बात कर ली हैं "

सरिता बोली "वो तुम लोगो के पापा जरूर हैं पर मेरे पति नहीं हैं कि मैं उनसे परमिसीन लूं "

14 वर्षीय पावस और 10 वर्षीय अक्षत हालांकि सरिता के दूसरे विवाह के फैसले से अधिक खुश नहीं थे पर वो दोनों व्यवहारिक थे, उन्हें पता था कि उनके पापा के साथ उन लोगों का गुजारा सम्भव नहीं हैं। सरिता का पहले पति शारद ने दूसरी शादी कर रखी थी और उस विवाह से उसके दो बच्चे थे। राहत की बात बस ये थी कि उनकी माँ के दूसरे पति अनिल के कोई बच्चा नहीं हैं।

सरिता के घरवाले उसके विवाह के फैसले पर तथस्ट थे। विवाह से पहले दो बार अनिल सरिता के घर भी आया था पर बच्चों ने उसे अधिक भाव नहीं दिया था।

एक छोटे से सादे समारोह में अनिल और सरिता ने विवाह कर लिया था। दफ़्तर के कुछ करीबी लोग ही शामिल हुये थे। बाद में उसी दिन उन्होंने अपना विवाह कोर्ट में पंजीकृत भी करवा लिया था।

अनिल के घर से कोई भी नहीं आया था। उसके परिवार के हिसाब से अनिल के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया हैं। इसी कारण वो अविवाहित होते हुए भी एक तलाकशुदा और बालबच्चेदार महिला से विवाह कर रहा है। बरहाल अनिल ने अपने और सरिता के फोटो जरूर मोबाइल से भेज दिए थे।

अनिल का दिल्ली में अपना फ़्लैट था। 1075 वर्ग फूट का फ़्लैट हालांकि बहुत बड़ा नहीं था पर अनिल के लिये काफी था। अब सरिता और उसके बच्चो के आने के बाद वो ही फ़्लैट छोटा लगने लगा था।

अनिल को शुरू में बहुत अच्छा लगा था। घर अब घर लगने लगा था। अनिल जब फ़्लैट के बाहर लगाने के लिये नेमप्लेट लाया तो सरिता बोली "अनिल बहुत कलात्मक और सुंदर हैं, उस पर अनिल और सरिता का नाम अंकित था "

पावस चिड़े हुये स्वर में बोली " इसमे मैं और अक्षत कहां हैं? "

सरिता बोली "अनिल तुम्हे ध्यान रखना चाहिए था "

अनिल बोला "यार बच्चो का नाम कौन लिखवाता हैं? "

रात को भी जब अनिल सरिता के करीब जाता तो अनिल को लगता था कि सरिता हमेशा उसे हिस्सों में ही मिली हैं। सम्पूर्ण सरिता उसे कभी नहीं मिल पाई हैं। अपनी सुहागरात पर भी सरिता ने औपचारिकता ही निभाई थी। हर बार जब अनिल उसे कुछ कहता तो सरिता बोलती "अनिल बाजू वाले कमरे में बच्चे हैं, कुछ तो शर्म करो "

अनिल जब कहता "अरे तुम्हारा पति हूँ, ऐसे क्यों बोल रही हो? "

सरिता बोलती "हाँ पर मैं उनकी भी माँ हूँ "

अनिल को नाश्ते में दलिया और अंडे पसन्द थे पर अब पूरा नाश्ते का कार्यक्रम ही बदल गया था। कभी पकौड़े तो कभी पराँठे तो कभी मैग्गी। एक ही महीने में अनिल का वजन बढ़ गया था। इसलिये एक माह बाद फिर से अनिल ने अपना नाश्ता खुद बनाना शुरू कर दिया था।

पहले अनिल जब अकेला रहता था तो उसे किसी बात का ध्यान नहीं रखना पड़ता था। अब अनिल बाथरूम से बाहर तौलिए में नहीं आ सकता था।

जब विवाह के अगले दिन, अनिल अपनी आदत के अनुसार तो तौलिया लपेट कर आ गया तो पावस जोर जोर से चिल्लाने लगी।

सरिता अनिल को देखकर बोली "कमाल करते हो अनिल, जवान बच्चों के घर मे कोई ऐसे घूमता हैं "

अनिल का वेतन 1 लाख 20 हज़ार था पर अब ये कम पड़ने लगा था। शुरू के दो माह तक तो अनिल ने खुशी खुशी दिया पर अब उसे अखरने लगा था। सरिता शादी के बाद शाहखर्च हो गई थी।

जब अनिल ने विवाह के बाद हनीमून का प्रोग्राम बनाया तो सरिता बोली "अनिल मैं अकेले घूमने नहीं जाऊँगा, बच्चे भी साथ चलेंगे "

अनिल ने कहा भी "सरिता, बच्चो को नाना नानी के पास छोड़ देंगे "

सरिता नहीं मानी, अनिल को वो हनीमून बहुत महंगा पड़ा और पूरा समय सरिता उसके और बच्चों के मध्य सैंडविच बनी रही थी।

तीन महीने में ही अनिल का जोश ख़तम हो गया था। उसे लगने लगा था कि क्यों सरिता उसे नहीं समझती हैं?इतना कुछ तो कर रहा हैं वो फिर क्यों सरिता कभी उसे उसके नज़रिए से नहीं देखती हैं।

उस दिन अनिल जब क्लाइंट से मिलने गया तो उसकी मीटिंग जल्दी समाप्त हो गई थी। अनिल ने सोचा घर जल्दी पहुंच कर , सरिता को सरप्राइज कर देगा पर एक दूसरा ही सरप्राइज अनिल का इंतजार कर रहा था।

अनिल ने देखा ड्राइंगरूम में अनिल के मम्मी पापा बैठे हुये हैं। अनिल बोला "अरे ,आप लोग यहाँ क्यों बैठे हैं? "

अनिल की मम्मी बोली ",बेटा एक कमरा तो तुम्हारी बीबी का हैं और दूसरा उसके बच्चो का? "

अनिल बोला "अरे,मम्मी आप मेरे कमरे में समान रखे। सरिता बच्चों के कमरे में रह लेगी "

रात को जब अनिल सोफे पर लेटा तो देखा सरिता भी अपनी चादर लेकर वही आ गयी हैं। अनिल ने कहा "अरे बच्चो के कमरे में एक फोल्डिंग आराम से आ जायेगा "

सरिता बोली "क्यों जब तुम यहाँ सो सकते हो तो मैं भी सो सकती हूँ "

अनिल भले ही ऊपर से मना कर रहा था पर अंदर ही अंदर उसे अच्छा लग रहा था। सरिता रात में जब उसी के सोफे पर आ कर लेट गयी तो अनिल घबरा उठा और बोला "क्या करती हो? "

सरिता कान में फुसफुसा उठी "प्यार हमें किस मोड़ पे ले आया "

घर का माहौल बेहद अजीब सा हो गया था। पावस के छोटे छोटे कपड़े, अक्षत का जोर जोर से अंग्रेजी गाने सुनना, सब अनिल के मम्मी पापा को विचलित कर रहा था। शुक्र हैं सरिता ने समझदारी का परिचय देते हुये अपने बच्चों को दो तीन दिन के लिये नाना नानी के घर भेज दिया था। अनिल के मम्मी पापा को अगर सरिता पसंद नहीं थी तो नापसन्द भी नहीं थी। तीन दिन बाद जब अनिल के मम्मी पापा घर चले गए तो बच्चे भी वापिस आ गए।

आज शुक्रवार था ,अनिल ने सोचा चलो बच्चों और सरिता को बाहर डिनर पर ले चले, उन्हें भी अच्छा लगेगा । अनिल जैसे ही गुनगुनाते हुये घर पहुंचा तो देखा ड्राइंगरूम में सरिता का भूतपूर्व पति शारद बैठा हुआ था । पावस और अक्षत उससे चिपके हुये थे। सरिता रसोई में पकौड़े तल रही थी। अनिल को देखकर बोली "अरे तुम जल्दी आ गए "

अनिल चिढ़ कर बोला "कहो तो चला जाता हूँ "

सरिता खिसिया कर बोली "अरे मैं तो बस पूछ ही तो रही थी "

अनिल अपने कमरे में लेट गया पर उसके कान ड्राइंगरूम की तरफ ही लगे हुए थे। शारद शायद पावस के बचपन का किस्सा बता रहा था और फिर सरिता भी कुछ उस किस्से में जोड़ रही थी। अनिल सोच रहा था "ऐसा होता हैं परिवार "

"वो लोग तो बस एक साथ रहते हैं "

आधा घण्टा हो गया था पर सरिता से इतना भी नहीं हुआ कि एक बार आकर चाय या पानी पूछ लें। अनिल का सिर जब दर्द से फटने लगा तो वो बिना कुछ कहे बाहर निकल गया। पीछे से उसे सरिता की आवाज़ सुनाई दे रही थी पर उसका मन कड़वा हो गया था।

अनिल ने अपनी कार अपने दोस्त कार्तिक के घर की तरफ मोड़ दी। कार्तिक ही उसके जीवन में एक ऐसा व्यक्ति था जो उसके जीवन का संकतमोचक था। उसके जीवन की हर छोटी बड़ी समस्याओं का वो आसानी से हल कर देता था।

अनिल को देखते ही कार्तिक चहक उठा "आज कैसे याद आ गई जनाब को ,इस नाचीज़ की "

अनिल गुस्से में बोला "कार्तिक मम्मी पापा ठीक कहते थे, सरिता को मुझसे कभी प्यार था ही नहीं "

"मैंने एक बीबी चाही थी पर मुझे एक माँ मिली "

फिर अनिल ने बिना किसी लाग लपेट के कार्तिक को सारी बाते बता दी थी "

कार्तिक सारी बात सुनकर बोला "अनिल देखो सरिता का एक अतीत हैं और तुम उसके वर्तमान और भविष्य हो, तुम उसके अतीत को खुले दिल से स्वीकार करो "

"वो तुम्हारे भविष्य को संवार देगी "

"अनिल हर रिश्ते को पनपने में समय लगता हैं और इस रिश्ते के साथ तो बहुत सारे अतीत के पन्ने भी जुड़े हुये हैं "

रात में जब अनिल घर में कार पार्क कर रहा था तो सरिता दौड़ी हुई बाहर आई और शिकायती स्वर में बोली "क्या करते हो तुम अनिल? "

"बिना बताए चले गए और फ़ोन भी नहीं उठा रहे थे "

अनिल जब कपड़े बदल कर बाहर आया तो सरिता खाने की प्लेट ले कर आ गयी। अनिल ने पूछा "आज तुमने बच्चों और शरद के साथ खाना नहीं खाया "

सरिता बोली "मैं तुम्हारे और बच्चों के साथ खाती हूँ "

इस बहाने से ही सही मगर तुम और बच्चे एक दूसरे को थोड़ा बहुत जान तो सकते हो ना।

सरिता बोली "अनिल मुझे मालूम हैं तुम गुस्से में चले गये थे और इसलिये मैं विवाह नहीं करना चाहती थी "

"पावस और अक्षत को मैं असुरक्षित महसूस नहीं करवाना चाहती हूँ, इसलिये शायद तुम्हारे साथ ज़्यादती कर देती हूँ "

"मैं नहीं चाहती कि मेरे पावस और अक्षत तुम्हें बोझ लगे "

अनिल ने झिझकते हुये पूछा "तुम्हें ऐसे क्यों लगता हैं "?

"मेरा क्या पावस और अक्षत से कोई रिश्ता नहीं हैं। हम दोनों मिल कर संभाल लेंगे "

सरिता बोली "अनिल अगर कल मैं तुम्हारा क्रेडिट कार्ड का स्टेटमेंट ना देखती तो शायद मेरी आंखें अब भी नहीं खुलती "

"मुझे माफ़ कर दो अनिल। मैं भी तुम्हारे वेतन को अंटशंट खर्च करने लगी थी "

अनिल सरिता के बालों पर हाथ फेरते हुए गा रहा था "प्यार हमें किस मोड़ पर ले आया? "

सरिता प्रश्नसूचक नजरों से बोली "किस मोड़ पर ? "

अनिल हँसते हुये बोला " कि दिल करे हाय हाय पर तेरे बिना रह भी ना पाए "

"अब तेरे साथ हर हाल में ही हम निभाये"


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