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Vibha Rani Shrivastava

Horror

3  

Vibha Rani Shrivastava

Horror

"पूर्णता के निकट"

"पूर्णता के निकट"

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 "अरे! जरा सम्भलकर..., तुम्हें चोट लग जायेगी। इस अंधरे में क्या कर रही हो और तुम्हारे हाथ में क्या है?" बाहर दौड़ती-कूदती नव्या से उसकी मौसी ने पूछा।"क्या मौसी? आप भी न! इतने एलईडी टॉर्च/छोटे-छोटे बल्ब की रौशनी में आपको अंधेरा नजर आ रहा है!"अपने हाथ में पकड़े जाल को बटोरती रीना बेहद खुश थी।

"वाहः! तुमने सच कहा इस ओर तो मेरा ध्यान ही नहीं गया.., यूँ यह भी कह सकती हो कि अमावस्या की रात है और हम नभ में तारों के बीच सैर कर रहे हैं। इतनी संख्या में जुगनू देश के किसी और कोने में नहीं पाए जाते होंगे जितने यहाँ किशनगंज में देखने को मिल रहे हैं। लेकिन तुम इनका करोगी क्या ?"

"नर्या भाई को दूँगी.. जब से माँ-पापा उसे पुनर्वासाश्रम से गोद लेकर आये हैं, वह किसी से कोई बात ही नहीं कर रहा है मौसी।" जुगनू से भरा जाल थमाने के लिए ज्यों नव्या नर्या के कंधे पर हथेली टिकाती है, वह सहमकर चिहुँक जाता है।

"उसे थोड़ा समय दो..., वह पहले जिस घर में गया था वहाँ नरपिचासों के बीच फँस गया था..। बंद दीवारों के पीछे शोषण केवल कन्याओं का नहीं होता है। उसे जुगनुओं की जरूरत नहीं है, उसे उगते सूरज की जरूरत है..!"


शब्दार्थ

"नैध्रुवा" = पूर्णता के निकट

नर्या = वीर/मजबूत



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