MITHILESH NAG

Drama Romance

5.0  

MITHILESH NAG

Drama Romance

पत्र जो लिखा मग़र भेजा नहीं

पत्र जो लिखा मग़र भेजा नहीं

6 mins
354


“चल यार,कितना देर करेगा।बार बार बोलने के बाद भी नहीं समझ मे आता क्या ?” ( रवि का हाथ खीचते हुए)

“भाई...भाई... कुछ देर और रुक जा, मैं कुछ देर बाद आता हूँ”

“अब तो हद हो गयी... पागल तो नहीं हो गया क्या बे तू।”

सतीश सुबह से रवि का इंतज़ार कर रहा था।कि अभी सब पार्टी के लिए क्लब जाएंगे...लेकिन..“इसको पता नहीं किस बात का भूत चढ़ा है।कि जब देखो बाहर की खिड़की पर ना जाने किसको देखता रहता है”। 

“आज तक मुझे ये नहीं समझ मे आया कि ! उस खिड़की से ना तो कोई लड़की देखती है ना कोई और फिर भी पता नहीं किसको देखता रहता है।”

“ठीक है, भाड़ में जाओ,अब मैं सब के साथ जा रहा हूँ”। मर यही पर..

(आखिर सतीश गुस्से से उ पिछवाड़े पर एक लात मार कर निकल जाता है)

रास्ते मे....

रास्ते मे जब,राहुल,करन और दो तीन और दोस्त जा रहे है, अभी कुछ दूर ही हुआ था... 

“यार... एक बात समझ मे नहीं आ रहा है, आखिर रवि हो हुआ क्या है ?”

हाँ... यार “ बात तो तू ठीक बोल रहा है,न किसी के साथ आना न किसी के साथ कही जाना”

(राहुल ने करन की बात पर सहमती जताते हुए)

“अबे! छोड़ हमे क्या लेना देना हो सकता हो उसको अकेले ही रहना पसंद हो”।

“हो सकता होगा”.... भाई.. करन ने कहाँ।

रूम में .....

इधर रवि अकेले ही अभी तक खिड़की की ओर देख रहा है।और जैसेउस्को किसी के आने का इंतजार हो। पता नहीं कौन है ?

कुछ देर ऐसे ही देखता रहा,फिर वो भी तैयार हो कर क्लब के लिए निकल गया।

क्लब में.....

सब अपनी अपनी मस्ती में नाचे जा रहे है। चारो ओर लाडे लड़कियों का झुंड नाचने में मगन था। इधर ये तीनो एक टेबल पर अपनी अपनी बोतल लिए मस्ती में चूर है।

अबे ! “ये देख अकेले पन का सरदार आ गया”। (सतीश हँसते हुए इशारा करता है)।

तीनो उसको देख कर और हँसने लगे।

रवि चुपचाप उनके पास बैठता है।फिर कुछ देर तक ऐसे ही सब को देख रहा है,।

करन के बोतल से एक पैक बनाता है।लेकिन तीनो उसे एक टक देख रहे है। 

“अबे! ऐसे क्यो देख रहे हो ? सब के सब मैं ठीक हूँ। बस थोड़ा सा सर दर्द हो रहा था। इसलिए आने में देर हो गयी।”

अब तीनो के शरीर मे जान में जान आ गयी।

”मुझे लगा क्या हो गया और ऐसे क्यो कर रहा है” (राहुल उसको पानी देते हुए)।

रात को 9 बजे....

रास्ते मे सब गाना गाते और मस्ती करते आ रहे है। कुछ देर के बाद रूम पर आ जाते है। रवि और सतीश एक साथ रहते है। जब कि राहुल और करन एक साथ पास वाले रूम में रहते है।

“अच्छा भाई लोग... मैं तो चला सोने मुझे बहुत तेज़ नींद आ रही है।”

ठीक है,गुड़ नाईट, शुभ रात्रि... (सतीश हाथ हिलाते रूम में घुस गया)

सतीश और रवि भी थके होने के कारण कब नींद लग गयी दोनों को पता ही नहीं चला।

अगली सुबह.....

सुबह सुबह दोनों बिस्तर पर ही अपने अपने मोबाइल पर पता नहीं क्या कर रहे थे। अचानक रवि के चहरे पर एक चमक आ जाती है।उसकी नज़र फिर सतीश पर गयी कि कही वो मुझे देख तो नहीं रहा है।

फेसबुक पर सतीश फ्रेंड लिस्ट देख रहा है, लेकिन जिसको वो खोजे जा रहा है। वो वही लड़का है जिसको हर रोज रवि देखे जा रहा था।

बिना देरी किये उसको फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज देता है,लगभग 5 मिनट बाद ही फ्रेंड रिक्वेस्ट अक्स्पेट हो जाता है। फिर क्या था।दोनों की चैट शुरू होने लगी।

“हेलो”... रवि

“हेलो”... विनय

कैसे हो आप ?...रवि

मैं ठीक हूँ।आप कैसे हो ? विनय

मैं भी....

जब से मैंने आप को देखा है तब से मैं आप को पसंद करने लगा।

क्या बक रहे हो... पागल हो क्या बे तू ?.... (विनय गुस्से का इमोजी सेंड कर के)

देखो ....“ मुझे पता है,समझे ज्यादा बात बनने की जरूरत नहीं है।”

 ( रवि ऐसा बोलता है,जैसे उसे सब पता हो)

और....“मुझे पता है,की तुम को लड़के पसंद है।क्यो की तुम्हरे प्रोफाइल पर गे लिखा था। जो तुमने अभी अभी हटा दिया है”

अच्छा..... अब विनय भी समझ गया है,की रवि को सब पता है।

हाँ.... “मुझे भी तुम पसंद हो, लेकिन डरता था कि कही मेरा मजाक न बन जाए।इसलिए मैं कभी किसी को नहीं बोल सका”।

और... “ मैं भी तुम को खिड़की से देखता था। लेकिन तुम्हरा दोस्त बार बार इधर ही देखता था” इसलिए खिड़की की ओर नहीं आता हूँ।

“अच्छा कल फिर बात करता हूँ”।

कुछ दिन के बाद......

सतीश किसी काम से बाहर गया था। और लगभग 2 घण्टे बाद आने के लिए बोल रहा था। 

“चल मार्केट थोड़ा समान ले लेते है। वैसे भी तुम्हरी शादी की बात भी तो चल रही है।”

“तुमको कैसे पता ?” (मुँह बनाते हुए)

अबे! “तुम्हरा फ़ोन बन्द बता रहा है।अभी भी देख बन्द है। तो दीदी तुम्हरी मेरे मोबाइल पर कॉल कर सारी बात बता रही थी।”

ठीक है....“ तुम जाओ मेरा थोड़ा तबियत ठीक नहीं है”

और फिर खिड़की की तरफ देख रहा था।लेकिन अब श्याद सतीश को भी कुक कुछ शक होने लगा था। कोई बात तो है जो मुझे नहीं पता चल रहा है। लेकिन ऐसा जता रहा था कि जैसे वो कुछ नहीं जानता हो।

“ठीक है... मैं जा रहा हूँ”।

सतीश के जाने के बाद......

रवि विनय को कॉल कर के अपने रूम पर बुलाता है। और इधर सतीश को पहले से ही कुछ कुछ शक था,की कुछ तो गड़बड़ है।

लेकिन तभी सतीश की नज़र उस लड़के पर पड़ती है। वो इधर उधर देखते हुए चोरी से रूम में जाता है। और दरवाजा अंदर से बंद कर लेता है।

अब सतीश को पूरा शक हो गया है । लेकिन बीमा सोचे समझे कुछ बोल भी नहीं सकता था।

उस टाइम तो वो वहाँ से चला गया ।

3 घंटे बाद.....

जब सतीश रूम में आता है,तो रूम का हाल देख कर चौक जाता है।

पूरा बिस्तर ऐसे था जैसे एक पति पत्नी में सब होता है।वैसे बिखरा था बिस्तर ।

“मैं कुछ देर में आता हूँ” (रवि बोल कर रूम से बाहर निकलता है)

उसके जाने के बाद वो इधर उधर देखता .... तभी उसकी नज़र उसके मोबाइल पर पड़ी जो वो जल्दी जाने के चक्कर मे भूल गया ।

उसके चैट को पढ़ कर उसके पैर की जमीन खिसक गयी ।

“आज हम दोनों का प्यार एक दम परवाना चढ़ गया था। वो तुम्हरे साथ किस लेना, सेक्स करना सब मेरे लाइफ का यादगार पल होंगे।”

“सच बोला तुम ने मेरा भी यही हाल है”

फिर उसने पूरी बात एक पत्र में लिखा और उसने सोचा कि अगर मैं उससे कुछ बोलूँगा तो श्याद कुछ कर बैठेगा।इससे अच्छा है कि मैं ये पत्र गुमनाम नाम से इसके घर पर ही भेज दूँ।

सतीश पूरे एड्रेस के साथ उस पत्र को लेकर जाने वाला ही था,की उसकी दीदी का फोन आ गया।

“हेलो.... सतीश भइया । आज मैं बहुत दुखी हूं। पता नहीं क्यो ऐसा लग रहा है कि जैसे भैया बदल गए है। ना घर पर किसी से बात करते है न मुझसे । पहले तो हमेशा बात करते थे” ।

“पापा की तबियत भी ठीक नहीं है... मैं बोल दी हूँ।कि उनका एग्जाम 2 महीने बाद है इसलिए अभी बात नहीं करेंगे और आएंगे भी ।

“ भइया... आप उनको समझाओ। ” ( रोते हुए बोलती है)

“ठीक है.... दीदी मैं उसको समझता हूँ।”

उसके हाथ मे वो पत्र था। लेकिन चाहते हुए भी वो पत्र नहीं भेज सकता था।

“दीदी..... वादा करता हूँ, आज से 3 महीने बाद फिर से आपका वही भाई फिर से आएगा”।

वो फिर उस पत्र को हाथ मे लेकर एक टक देखता है और सोचता है कि....पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं....।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama