पतिता
पतिता


सोनाली इस बात को सहन नहीं कर पा रही थी की इतने बड़े व्यक्ति से उसकी शादी तय कर दी गई है। वह चाचा को क्या कहती की, उसके भी अरमान है, ऐसे व्यक्ति से कैसे शादी कर ले उसकी जोड़ी बिल्कुल भी नही जमेगी, अरे मेरे बाप की उम्र का आदमी है वो।
और माँ, उसने तो अपनी मौन स्वीकृति दे दी उस्की आंसुओं से भरी हुई आंखों को देखकर ही मुझे उस्की स्वीकृति का एहसास हो गया था।
मगर मेरा क्या,मेरे सपनों का क्या, मुझ से 15 साल बड़े व्यक्ति से मेरी शादी कर रहे है। और मैं कुछ बोल भी नहीं सकती मेरी लड़कपन के सपने, मेरे अरमान सब बर्बाद हो जाएंगे। एक अधेड़ व्यक्ति से मेरी शादी करा रहे है, पता नही चाचा ने क्या सोचा है, मैं अगर उनकी अपनी बेटी होती तो ऐसे ही करते क्या।
नहीं, ना, तो कर देते चांदनी की शादी उसके साथ, मेरे लिए क्यों नरक ढूंढा।
मैं अभी जाकर मना कर देती हूं।कि मैं शादी नहीं कर सकती।
या फिर मैं मर ही जाती हूँ। सब झंझट ही खत्म।
यह सब बातें सोनाली सोच रही थी।
उसकी शादी उसके चाचा ने उसकी उम्र से 15 साल बड़े व्यक्ति से तय कर दी थी जिसका वह कुछ कर भी नहीं पा रही थी।
आज से करीब दो साल पहले तक सब सही चल रहा था। सोनाली,मां,पापा और दो छोटे भाईयो के साथ खुशी-खुशी शहर में रहती थी।
सबसे बड़ी और इकलौती होने के कारण सोनाली माँ,पापा की बहुत ही लाडली थी। समझदार भी बहुत थी सोनाली।उसके पापा एक प्राइवेट फर्म में जॉब करते थे।
पापा जब ऑफिस के काम से टूर पर जाते थे सोनाली बाहर का काम भी संभालती। मां की मदद भी करती थी। पढ़ाई में भी बहुत होशियार थी वह।
छोटे-छोटे बच्चों को ट्यूशन तक पढ़ा कर अपना खर्च भी निकाल लेती थी। वैसे पापा की सैलरी भी अच्छी थी। सब कुछ बढ़िया से चल रहा था। किसी चीज की कमी नहीं थी।
सोनाली का ट्वेल्थ का रिजल्ट आया, उसके 85% बने थे घर में खुशी का माहौल था। सभी लोग खुशियां मना रहे थे। मिठाई बट रही थी। आस पड़ोस वाले भी बधाई देने आ रहे थे।
इतने में पापा बेहोश होकर गिर पड़े। अस्पताल ले जाया पापा को। पर वह नहीं बचे, हार्ट अटैक आया था, पहला ही था मगर इतना तेज था, की सह नहीं पाए।
पर सोनाली और उसके परिवार की तो पूरी दुनिया ही उजड़ गयी।
जब सब क्रियाकर्म पुरे हो गये तो चाचा ने गांव चलने के लिये बोल दिया। माँ मान भी गयी और कोई चारा भी तो था नहीं उनके पास।
सोनाली ने कहा मां को कि
" माँ मैं कॉलेज करूंगी तब तक यहीं रहो ना,अच्छी नौकरी लग जाएगी फिर, "
मगर माँ ने यही कहा कि
" तुम्हारे कॉलेज में तीन साल लगेंगे।तब तक हम क्या करेंगे, अपने पास पैसा तो है नहीं, तुम्हारे पापा की कोई पेंशन भी नही मिलेंगी और उनके बचाए पैसा कितने दिन चलेगे। गांव जाने में ही भलाई है कम से कम चाचा की छाया रहेगे तो अच्छा रहेगा।
और आखिर सब गांव आ ही गये।
चाचा के भी तीन बच्चे थे। दो लड़की एक लड़का।
सोनाली के दोनों भाइयों को चाचा ने अपने बच्चों, के साथ ही गांव के सरकारी स्कूल में दाखिला दिला दिया। एक नववी में तथा और एक सातवी में, और चाचा की लड़की,मीना आठवी में और लड़का पंकज पांचवी में था।
अब गांव में तो दसवीं तक ही स्कूल थी। तो सोनाली की पढ़ाई तो दूर की बात थी। सोनाली 12वीं तक पढ़ी हुई थी यह गनीमत थी। चाचा की बड़ी लड़की चांदनी थी वह भी दसवीं तक पड़ी थी, और इस साल से स्कूल नही जा रही थी।
गांव आकर सोनाली को एक यह बात अच्छो लगी कि, उसको चांदनी के रूप में एक अच्छी सहेली,बहन मिल गई थी। जिससे वह अपने दिल की बातें करती थी।
चांदनी चाचा की लड़की थी, वह सोनाली से 2 साल छोटी होगी। दोनों में अच्छी पटती थी।
धीरे धीरे सोनाली ने खुद को गांव के अनुरूप ढालना चालू कर दिया।
सोनाली की उम्र 18 साल थी, यौवन पूरे निखार पर था। वह बहुत सुंदर थी. गोरा दूध सा रंग, छरहरा बदन,कमर तक लंबे बाल,आंखें हिरनी जैसी, होंठ गुलाब की पंखुड़ी, कोई उसे देखे तो ऐसा लगता था,जैसे, साक्षात इंद्र की अप्सरा उर्वशी खड़ी, वही उस के मुकाबले चांदनी का गेहुआ रंग था, नाक नक्स ठीक-ठाक, पर कद छोटा था।
जब सोनली गांव में चांदनी के साथ निकलती थी तो ऐसा लगता था, सभी लड़कों की निगाहें उसी पर टिकी हुई है। और बातें भी सब उसी के बारे में हो रही है।
सोनाली को भी खुद पर बहुत गर्व होता था। उसे लगता था भगवान ने भले ही दुख बहुत दिए हैं मगर मेरी सुंदरता की वजह से मुझे जीवन साथी बहुत अच्छा मिलेगा। हमारी जोड़ी तो ऐसी रहेगी जैसे राम सीता की जोड़ी।
कई बार वह सपने में अपनी राजकुमार को देखती बहुत ही सुंदर राजकुमार,ऊंचा पूरा कद, भरा बदन ऐसा व्यक्ति जिसे देखकर किसी को भी जलन हो जाए।
मगर हाय रे किस्मत
2 साल हो गये सोनाली 20 साल की हो गई और चांदनी अट्ठारह की।
चाचा को हालत भी सही नही थी वो दूसरे के खेत मे काम करके गुजर बसर करते थे, अब घर मे भी नौ लोग हो गये थे खर्चा भी बढ़ गया था। चाची और सोनाली की माँ भी खेत मे काम कर उनकी मदद करती थी।
अब चाचा को भी चिंता हुई, उनके पास कुछ नहीं था।
वे सोच रहे थे धीरे-धीरे लड़कियों के हाथ पीले कर दे। तो सही रहेगा।
उनके खुद के भी तीन बच्चे थे।
उन्होंने सोचा चांदनी और सोनाली का हाथ एक,दो साल में पिले कर दे, बाकी चार तो छोटे है पढ़ रहे है।
फिर आखिर एक दिन संजय कुमार का रिश्ता खुद से ही आया सोनाली के लिए।
संजय कुमार 35 साल के व्यक्ति थे,उन्होंने शादी नहीं की थी। माँ बाप छोटी उम्र में गुजर गये थे। उनके ऊपर अपने छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी थी,माँ बाप गये तब दोनो बच्चे बहुत छोटे थे। वे संजय कुमार के जन्म के दस साल बाद पैदा हुये थे दोनो जुड़वा थे।इसलिये दोनो को उन्होंने ही पाला,पोसा पढ़ाया लिखाया भाई को पढ़ने शहर भेज दिया और बहन की शादी कर दी। उन्होंने अपने बारे मे कभी नही सोचा,फिर ऐसा कोई रिश्ता ही नहीं आया जो उनके मन को भाये। अब तो उम्र भी होने लगी थी।
उनकी छोटी बहन शांति,सोनाली के गांव में ही ब्याही गई थी। जब उसने सोनाली को देखा तो सोचा मेरे भाई के लिए यह लड़की सही रहेगी। और यह बिन बाप की भी बच्ची है, गरीब है वह मेरे मायके में जाकर मेरे भाई का घर संभाल लेगी। मेरे भाई के घर में अब एक औरत की बहुत जरूरत है।
तो उसने सोनाली के चाचा को रिश्ता के बारे में बोला। तो चाचा तो सोच ही रहे थे शादी करने का उन्होंने सोचा घर बैठे रिश्ता आ रहा है। क्यों मना किया जाए तो चाचा ने भी हां कर दी।
जब सोनाली ने सुना तो उसे भी खुशी हुई चलो मेरे लिए रिश्ता आया है। फोटो जब दिखाई गयी तो फोटो में भी ठीक-ठाक ही लगे सोनाली को। सपनों के राजकुमार जैसे तो नहीं थे,फिर भी उसने सोचा कि चलो हो सकता फोटो ढंग से नहीं आती होगी, कुछ लोगों की फोटो अच्छी नहीं आती।पर दिखने में बहुत अच्छे लगते है।
सोनाली भी उस दिन का इंतजार करने लगी जिस दिन संजय कुमार उसको देखने आएंगे। अब उसके सपनो के राजकुमार को एक नाम मिल गया था, संजय कुमार।
संजय कुमार भी अकेले रहते रहते तंग आ गए थे।उन्हें भी लग रहा था कि कोई जीवनसाथी होना चाहिए हमारा। पर वो खुलकर कह नहीं पा रहे थे। उनकी बहन ने उनकी यह समस्या हल कर दी तो उन्हे मन में बहुत खुशी हुई । कि चलो मुझे जीवन साथी मिल रहा है,जिससे मैं अपने सुख दुख की बातें कर सकता हूं क्योंकि अकेले तो अपने घर काटने को दौड़ रहा था।
आखिर वह दिन आ गया, जब संजय कुमार को सोनाली के घर जाना था।
, वक्त ने संजय कुमार को उम्र से ज्यादा ही बूढ़ा बना दिया था। 35 साल के थे मगर 40 से ऊपर के नजर आ रहे थे। खिचड़ी बाल, यहां तक कि मूछों पर भी थोड़ी सफेदी आने लगी थी। धूप में तपा हुआ रंग था, आंखों पर मोटा चश्मा चढ़ा था। खाना ढंग से ना खाने के चक्कर में, बदन फूल भी गया था। मोटे तो नहीं थे मगर थोड़े वजनी तो नजर आते थे। हाइट भी सामान्य ही थी। खुद पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते थे। जैसे उन्हें इस चीज से मतलब ही नही था।
जिस दिन वह सोनाली को देखने जा रहे थे उस दिन भी उन्होंने यह नहीं सोचा कि खुद को अच्छी तरह से प्रजेंट करे बस वैसे ही उठे और कपड़े पहने, कपड़े थोड़े अच्छे पहने थे बस। और चले सोनाली को देखने। पहले बहन के घर गए।
तो बहन ने देखकर ही कहा "अरे भैया जी बाल तो काले कर लेते, मेहंदी वेहंदी लगा लेते "।
तो संजय कुमार शर्मा गए। और कहा नहीं मैं जैसा हूं वैसे ही ठीक हूँ.।
तो जवाई जी बोले अरे भैया जी आप तो ठीक हो। परसोनाली का तो सोचो जिसे आप देखने जा रहे हो। उसे अच्छा लगता अगर आप बन सवंर के आते।
तो संजय कुमार खिसिया के बोले " अरे नहीं "
" उसे भी देखने दो कि मैं कैसा हूं"
हालांकि संजय कुमार को मन में लग रहा था कि। हां यह बोल तो सही रहे है, तैयार होकर आता तो सही रहता।फर्स्ट इंप्रेशन अच्छा होना चाहिए था।
फिर वह बाथरूम में गए और मुँह हाथ धोया और गए सोनाली के घर।
उन्हें देखते ही सोनाली की मां का दिल धक से रह गया।अरे ये तो बहुत बड़ी उम्र का दिख रहा है। और कहाँ मेरी नाजुक सी लड़की।
जब सोनाली ने भी पर्दे में से झांक कर देखा कि लड़का कैसा है तो उसकी तो रुलाई ही निकल गयी, दिल धक से रह गया, इससे अच्छा तो फोटो में लग रहा था। यह तो पूरा बुड्ढा है मैं इससे कैसे शादी करूंगी।
वह चांदनी के गले लगकर रोने लगती है। चांदनी को भी बहुत बुरा लगता है। हमेशा सोनाली उसे अपने राजकुमार के बारे में बताती रहती थी।
फिर भी किसी तरह चाचा के कहने पर चाय,पानी, नाश्ता दिया।
सोनाली को देखकर संजय कुमार की तो बांछे खिल गयी इतनी खूबसूरत लड़की यह तो स्वर्ग की अप्सरा है। यह अगर उन्हें जीवन साथी के रूप में मिल जाए तो उनका जीवन ही सफल हो जाए। उनको अपनी उम्र का अंतर भी ध्यान नहीं रहा था।
औपचारिक वार्तालाप होते रहे किसी ने भी नहीं कहा कि लड़का लड़की आपस में बात करें, गांव में वैसे भी इस बात का चलन कम ही रहता है।
जाते जाते संजय कुमार की बहन शांति बोल गई की हमें लड़की पसंद है अब जल्दी से शादी की तारीख निकलाते है।
रास्ते में शांति ने संजय से पूछा भैया जी में कहती थी कितनी सुंदर है। कैसी लगी,
अच्छी लगी, बहुत अच्छी थी पर उसे क्या मैं पसंद आऊंगा।
अरे भैया जी लड़कों को पसंद थोड़ी किया जाता है। लड़कों की तो जमीन जायदाद नौकरी पानी देखी जाती है। और आपके पास यह सब है, कौन आपको मना करेगा।
इतनी बड़ी खेती के आप अकेले मालिक हो, किसी बात की कमी नहीं है घर में। और वह बिन बाप की बेटी है, आराम से उसके घर वाले तैयार हो जाएंगे उसके तो भाग खुल गए।
संजय कुमार को लगा, शांति सही ही कह रही है।
इधर सोनाली ने तूफान मचाया हुआ था मुझे शादी नहीं करनी। आप कह रहे थे इतने अच्छा घर है इतना अच्छा लड़का है आपको यह लड़का इतना अच्छा लगता है।
रोते रोते कहती है "कितना बुरा लड़का है वह, चाचा कितना बुरा
वो तो आपके बराबर लगता है। चाचा आप मेरी शादी उससे कैसे कर सकते हैं।
तुम समझ क्यों नहीं रही हो सोनाली। तुम जैसा लड़का चाहती हो वैसा हमे नहीं मिलेगा हम गरीब लोग हैं।
तुम्हारी किस्मत अच्छी है की तुम्हें उन्होंने पसंद कर लिया तुम कर लो शादी। 5 छोटे भाई बहनों का देखो।तुम शादी नही करोगी तो इनकी शादी में भी आफत आएगी।
तो आप चांदनी की ही शादी कर दो उसके साथ।
हां हां मैं चांदनी की शादी कर देता पर वह छोटी है तुम बड़ी हो इसलिये। पहले चांदनी की शादी कर दी तो तुम्हारी शादी में मुसीबत आएगी।
इसलिए मुझे तुम्हारी शादी पहले करना जरूरी है।
तो सोनाली रोते हुए कहती है।चाचा 1 साल और रुक जाओ। वह आदमी कितना बुरा लग रहा था,
वैसे कितना अंतर है उसमे और मुझ में,?
चाचा कहता है15 साल का है।
तो सोनाली कहती है, चाचा क्या कर रहे हो।15 साल मां तुम कुछ कहती क्यों नहीं।
मां कुछ ना बोली बस आंसू बहाती रही सोनाली समझ गई मां की सहमति है।
सोनाली चुप होकर अंदर चली जाती है।
फिर उसकी माँ उसके पास आती है, और सिर पर हाथ फेरते हुए कहती है। देख बेटा हम कहां जाएंगे,तुझे शादी करनी ही पड़ेगी। हम चाचा के भरोसे ही बैठे हैं, चाचा हमारा गलत नहीं सोचते, तेरे बाद भी पांच भाई बहन और है सब का भी तो सोचना है।सब अभी पढ़ाई कर रहे है।
सोनाली हताश हो जाती है वह बहुत रोने लगती है। अपने पापा को बहुत याद करती हूं पापा आप कहां चला गये। पापा आप नहीं हो तो देखो मेरी शादी किससे कर रहे हैं। मेंरी जिंदगी खराब हो रही है। पापा प्लीज आ जाओ। आ जाओ नहीं तो मैं आपके पास आ जाती हूं।
रात को सोनाली सोचती है कि कुँए में कूदकर अपनी जान दे दूंगी पर ये शादी नही करूँगी। घर के आंगन में ही कुआँ था। वह बाहर निकलती है तो उसे चाचा चाची की आवाज सुनाई देती है।
चाची कह रही थी सोनाली की इच्छा नही है तो आप मत करो ना उसकी शादी।
तो चाचा कहते है, मैं भी चाहता हूं उसकी शादी उस से ना करु पर अब मैं मजबूर हो गया हूँ। मुझे नहीं पता था यह लड़का इतना बड़ा होगा ।और ऐसा दिखता होगा ।
उनकी बहन ने बोला तो था कि उम्र का अंतर है। और मुझे पता है की लड़के तो बड़े ही होते हैं । पर ये तो ज्यादा ही बड़ा निकला।
पर अब मै मना नहीं कर सकता,हम पर बहुत कर्ज है। भाई साहब का भी पूरा पैसा खत्म होने में आया है। एक-एक करके मैंने सब बच्चों को नहीं निपटाया तो सबकी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। खेती में इतना पैसा नहीं आ रहा है। संजय कुमार के जमाई जी जो है हम उनके खेतों में ही तो काम करते है ।अगर शादी का मना किया था हमारी भूखे मरने की नौबत आ जाएंगी, क्योंकि वह अपनी बेइज्जती सहन नहीं कर पाएंगे और मुझे अपने खेतों में काम करने का मना कर देंगे। हम सब भूखे मर जाएंगे। मगर यह बात में सोनाली और भाभी को भी नहीं कह सकता। वह लोग हमारी जिम्मेदारी है। अगर सोनाली की शादी हो जाती है तो कम से कम हम पर आई मुसीबत तो चली जाएगी। नही तो हम सबको जहर खाकर मरना पड़ेगा। चाचा के भी आंखों से आंसू टपकने लगते है।वह पंचे से आंसू पोछता है।
यह बात सुनकर सोनाली के कदम ठिठक जाते हैं उसकी रुलाई ही निकल आती है, और वह सोचती है एक मेरी जिंदगी हवन करने से अगर सब का भला हो रहा है चलो मैं तैयार हो जाती हूं शादी कर लेती हूँ।शादी करने से इन लोगों की समस्या कुछ हद तक तो सही हो ही जाएगी।
आखिर में सोनाली दूसरे दिन अपनी मां को कह देती है कि मैं मां में शादी के लिए तैयार हूं।
8 दिन बाद सोनाली और संजय कुमार की शादी हो जाती है,
छोटे, संजय कुमार का छोटा भाई परीक्षा होने की वजह से शादी में नही आ पाता। शादी का पूरा खर्चा संजय कुमार ही उठाते हैं। वह भी सोनाली के घर की हालात से अच्छी तरह वाकिफ थे।
सोनाली शादी करके संजय कुमार के घर आ जाती है अच्छा बड़ा घर था उनका नौकर चाकर थे किसी चीज की कोई कमी नहीं थी सोनाली को सुहाग की सेज पर बिठा दिया गया और आपस में औरतें हंसी ठिठोली कर रही थी मगर इस बात के कोई भी मायने सोनाली के लिए नहीं थे उसके सपमे मर चुके थे। उसे यही लग रहा था की सबकी खुशियों के लिये उसे बरबाद कर दिवा गया है।
संजय कुमार जब कमरे में आते है और सोनाली का घूंघट उठाते है तो उन्हें अपनी किस्मत पे रश्क आ जाता है। उन्हें ऐसे लग रहा था जैसे चाँद ही आसमाँ से उतरकर उनके कमरे में आ गया हो।
वे सोमाली के साथ बात करते है। सोनाली बस हाँ हूँ मै जवाब देती रहती है, उन्हें लगता है शरमा रही होगी।
फिर वो तो टूट पड़ते है कोमल कली को मसलने के लिये।
अपनी संतुष्टि करके वह सो जाते है।
वही सोनाली भी अपनी फूटी किस्मत पर रोते रोते सो जाती है।
सुबह सोनाली की आँख खुलती है, साथ मे देखती है संजय कुमार सो रहे है। उसे उनसे और नफरत होने लगती है।
वह बाहर आ जाती है। अभी तो सभी मेहमान थे सभी उसको हाथों हाथ लेते है। सोनाली सब से अच्छे से बात करती है। शांति उसका सब से परिचय करवती है। घर दिखाती है। सोनाली देखती है की घर बहुत अच्छा है। सभी सुख सुविधा के समान है पहले वो शहर में रहती थी उससे भी अच्छा है सब। शांति उसे रसोई भी दिखा देती है। और उसे बताती है की किस तरह से भैया जी ने उसे और छोटे को पाला है। अपनी सारी खुशियां इन्ही लोगो पर न्यौछावर कर दी।
मगर सोनाली को उनकी बातें सुनने में कोई दिलचस्पी नही थी। वह उस आदमी के बारे में कुछ बातें नही सुनती है, उसे उनसे नफरत होने लगी थी उसे लगता है इसी आदमी ने मेरी जिंदगी बरबाद करी है।
कई दिन निकल जाते है, शांति भी अपने घर चली जाती है।
सोनाली अपने काम से काम रखती वह संजय कुमार से औपचारिक बातों के अलावा कोई बात नही करती। उसके आंसू भी अब सूख चुके थे। वह इस जिंदगी को अपनी नियति मान चुकी थी। अब बनाव श्रंगार का भी उसका मन नही करता, अलमारी में ढेरों साड़ियां रखी थी बनारसी जरीदार, पर वह उन्हें न पहनती, एक सादी सी सूती साड़ी हल्के रंग की पहन लेती। जिन बालों को वह दिन भर सवांरती रहती थी उन्हें भी बनाना छोड़ दिया। बस एक सादा से जुड़ा बनाये रखती। लाली लिपिस्टिक तो दूर की बात थी।
संजय कुमार को उसे ऐसे देखकर दुख होता, वो उसे कहते भी की तैयार होकर रहा करो, तो सोनाली मना कर देती घर मे ही तो रहना है। वे उसे शहर चलने का बोलते पिक्चर देखने का बोलते। मगर सोनाली का नही में ही जवाब रहता। उसने अपनी सब इच्छा आकांछाओ को मार लिया था।
संजय कुमार, उसकी उदासीनता समझ रहे थे, उसे झूट मुठ का डांटते वे सोचते सोनाली रूठे, उनसे झगड़े, और वे उसे गहने कपड़े देकर मनाये,पर सोनाली तो लकड़ी का ठूठ बन चूकी थी जिस पर किसी चीज का कोई असर नही होता था।
एक दिन सोनाली यूँही बैठी थी, की एक सुदर्शन युवक दरवाजे पर आकर बोला मैं अंदर आ सकता हूँ।
तो सोनाली उठकर उसके पास जाती है, देखती एक बहुत ही हैंडसम लड़का खड़ा है। बिल्कुल फ़िल्म का हीरो लग रहा था। पहनावा भी शहरी था, आंखों पर धूप का चश्मा लगा रखा था।
सोनाली कहती है संजय जी तो अभी घर मे नही है। तो वह शरारत से कहता है, मुझे संजय कुमार से नही आपसे मिलना था।
सोनाली आश्चर्य होकर पूछती है मुझसे।।
जी हाँ आपसे ही।
पर मैं तो आपको जानती ही नही।
पर मैं आपको अच्छे से जानता हूँ।
इतने में संजय कुमार आ जाते है और उस युवक के सर पर चपत लगाकर कहते है। अब बस भी कर, बेचारी परेशान हो रहीहै।
फिर वे सोनाली को कहते है,ये मेरा छोटा भाई अजय है हम सब इसे छोटे बुलाते है। यह हमारी शादी में नही आया था।
तो छोटे बच्चों की तरह कहता है ओह भैया क्या है, आपने सब मजा किरकिरा कर दिया। अभी देखते और मजा आता।
फिर वह सोनाली के पैर छूता है और कहता है भाभी आप बहुत सुंदर हो जितना सुना था आपके बारे में उससे भी ज्यादा सुंदर हो।
तो सोनाली को अपनी हालत का ख्याल आता है कि कैसे बिखरे बाल है, कपड़े भी गंदे है वह तो बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही है।
फिर वह चाय नाश्ता देती है। छोटे अपने कमरे में चला जाता है।
सोनाली आईने के सामने खड़ी होती है तो खुद को पहचान नहीं पाती है। वह देखती है मैं क्या थी और क्या हो गई। उसे खुद पर ही शर्म आती है।
वह छोटे के बारे में सोचते लगती है कि छोटे ने उसे इसे देखकर क्या सोचा होगा। की कैसी औरत है जरूर वह सुंदर कहकर मेरा मजाक उड़ा रहा होगा।
दूसरे दिन सोनाली नहा कर आती है और अलमारी में से साड़ी निकालती है,तो बरबस ही उसके हाथ जरी वाली साड़ी पर चला जाता है, वह हरे रंग की जड़ी वाली साड़ी पहनती है, बालों को अच्छे से सवांरती है गजरा भी लगाती है। बड़ी सी बिंदी काजल लिपस्टिक सब लगाकर तैयार होती है ।
जय संजय कुमार उसे ऐसे देखते हैं तो देखते ही रह जाते वह सोनाली को कहते तुम इसी तरह तैयार होकर रहा करो मुझे बहुत अच्छा लगता है।
तो सोनाली का मन घृणा से भर जाता है। वह सोचती है मैं इसके लिए थोड़ी तैयार हूंई हूँ।
फिर वह बाहर आती है देखती है, छोटे कहि दिख नही रहा तो उसके कमरे में चाय नाश्ता लेकर जाती है।
छोटे उठकर कोई सी बुक पढ़ रहा रहता है। वह सोनाली को देखते से ही कहता है wow भाभी सो ब्यूटीफुल आप कितनी सुंदर लग रही हो ऐसा लग रहा है स्वर्ग की देवी मेरे लिए चाय लेकर आ रही है।
उसकी बातें सुनकर सोनाली के बदन में फूर फुरी होने लगती है।
फिर वह कहती है अच्छा छोटे बात मत बनाओ यह चाय नाश्ता करो और बाहर आ जा तुम्हारे भैया तुम्हारा रास्ता देख रहे हैं।
आज दिनभर सोनाली ने खुद पर बहुत ध्यान दिया बार-बार आईने में देख रही थी की वह ठीक है की नही उसके बाल कही बिखर तो नही रहे। साड़ी में सलवटे ना आ जाए।वह खुद का बड़ा ध्यान रख रही थी।
संजय कुमार को लगता कि सोनाली अब शायद धीरे-धीरे सही हो जाएगी। अभी तक वह अपने मायके को भूल नहीं पा रही थी। छोटे के आने से घर में रौनक आ गई है इसलिए अच्छा लग रहा है उसे भी।
खाने में भी सोनाली ने पनीर की सब्जी 2 तरीके का मीठा बनाया। संजय कुमार टेबल पर पूछे बैठे क्यों भाई क्या बात है आज तो खाने में माल ताल बना है।
तो सोनाली कुछ बोलती उससे पहले ही छोटे कहता है अरे भैया हम आए हमारा स्वागत हो रहा है और क्या।
फिर वह कहता है भाभी बहुत ही स्वादिष्ट सब्जी बनाई है, आपने, बहुत समय बाद ऐसा खाना खाया है। मेरा तो जी करता है आपके हाथ चुम्म लू।
सोनाली के गाल शर्म से लाल हो जाते हैं।
संजय कुमार उसके सर पर चपत लगाते हुए कहते है।शैतान कहीं का।
अब सोनाली की यही दिनचर्या हो गई थी, वह रोज अच्छे से तैयार होती है,नई नई साड़ियां पहनती। खुद को सवार के रखती खाने में भी छत्तीसों पकवान बनाती। और छोटे के मुहँ से एक अदद तारीफ का इंतजार करती।
और छोटे के मुंह से तो हजारों तारीफे निकलती, जिन्हें सुनकर उसका रोम-रोम पुलकित हो जाता।
सोनाली छोटे की तरफ आकर्षित होने लगी थी। संजय कुमार इस बात से अनजान थे उन्हें तो लगता कि चलो सोनाली सही हो रही है घर में भी रौनक आ रही है, इन दिनों सोनाली का व्यवहार संजय कुमार से भी थोड़ा सही हो गया था। वह अब उतनी रुखाई से बात नही करती। और तीनों जब बैठकर चौकड़ी जमाते तो खूब हँसी मजाक होता। संजय कुमार भी सोनाली की तारीफों के पुल बांधते, उसके लिये रोज गजरा लेकर आते । मगर सोनाली को उनकी बातों में वो रस नही आता जो छोटे की बातों में आता। पर वह संजय कुमार का सम्मान करने लगी थी उसे छोटे ने उनके बारे में, उनके त्याग के बारे में सब बताया था। वह अब उनकी भी फिक्र करने लगी थी। पर छोटे से तारीफें सुनने के लिये तो लालायित ही रहती। और छोटे भी बार-बार सोनाली की तारीफ करता रहता दिन में दसियों बार वह उसकी तारीफ करता। उसके बनाव सिंगार की,उसके बनाये खाने की,उसकी बातों की, और सोनाली सब सुनकर खुशी से फूली न समाती। उसे छोटे के मुंह से यह सब सुनना बहुत अच्छा लगता है।
छोटे उससे कहता भाभी आप पायल नहीं पहनती क्या, तो सोनाली कहती पहनती हूँ ना,
तो आवाज क्यो नही आती,
तो सोनाली कहती बिना घुघरू वाली है,
तो आप घुघरू वाली पहना करो, मुझे उसकी आवाज पसन्द है।
और सोनाली ने पहन ली, सारे दिन घर में छम छम।
छोटे कहता भाभी आप ये दो दो चूड़ियां क्यो पहनी रखती हो। हाथ भर भर कर चूड़िया पहना करो ना। मुझको चूड़ियों की खनखनाहट बहुत अच्छी लगती है। और सोनाली तैयार हाथ भर भर कर चूड़िया पहनती। खाना बनाते समय आवाज् होती तो छोटे खुश होता।
छोटे कहता आप लाल कलर की साड़ी पहनना बहुत अच्छी लगोगी। सलोनी ने लाल कलर की साड़ी पहन ली। छोटे खुश,
और छोटे खुश तो सोनाली खुश
छोटे ने एक दिन कहा भाभी आप बड़ी लाल बिंदी लगाया करो। सोनाली तैयार, सोनाली जब बड़ी बिंदी लगाकर लाल साड़ी पहनकर उसके सामने आई तो। छोटे उसको एक टक देखता रह गया,और फिर उसके फोटो निकाली कैमरे से, और कहता है।
भाभी आप बिल्कुल देवी लग रही है आपकी फोटो मैंने निकाल कर रख ली है हमेशा अपने पास संभाल कर रखूंगा।
अरे तुम कहां जा रहे हो। यहीं तो रहेंगे मुझे देखते रहना। फोटो की क्या जरूरत है।
तो छोटे कहता है "अरे नहीं भाभी मुझे शहर जाना ही पड़ेगा अभी एक सेमेस्टर बाकी है। फिर इंटर्नशिप है। फिर नौकरी मेरा तो बसेरा शहर ही रहेगा। वह तो डेढ़ महीने की छुट्टी लगी थी तो मैं आ गया। भैया जी की शादी में भी नहीं आ पाया था और आपसे भी मिलना था।"
सोनाली का दिल धक से रह जाता है यह सुनकर।वह छोटे से नहीं बिछड़ना चाहती थी। उसके बिना कैसे रहेगी यह सुनकर ही उसका जी भारी हो रहा था।
फिर छोटे कहता है, हां भाभी मैं कल शांति से मिलने उसके गांव जाऊंगा। आपका मायका भी है ना उस गांव में आप चाहो तो आप भी चलो।
तो सोनाली तुरन्त हां कह देती है वो भी तो छोटे का सानिध्य चाह रही थी।
शाम को जब संजीव कुमार आते हैं तो उनकी तबीयत थोड़ी खराब होती है। ज्वार बहुत तेज थ।
सोनाली और छोटे उसकी सेवा में लग जाते हैं ।सोनाली उनके पैर दबाती है,तो छोटे रात भर ठंडे पानी की पट्टी रखता है।
सुबह तक संजय कुमार थोड़े सही हो जाते है। बुखार भी कम हो जाता है पर थोड़ी कमजोरी रहती है।
छोटे उनके पास आकर कहता है कि,भैया मैं शांति से मिलने उसके गांव जा रहा हूं।
तो संजय जी कहते है, हां ठीक है वो भी तुझे याद कर रही थी।
तो छोटे कहता है,आज आपकी हालत देखकर मन तो नही कर रहा,पर मैंरे जाने का समय भी नजदीक आ रहा है तो फिर मिलने नही जा पाऊंगा।
संजय जी पूछते है कैसे जाएगा छोटे।
तो वह कहता है 25 किलोमीटर दूर ही तो है। बाइक से ही चला जाऊंगा । फिर आने में भी परेशानी नही होगी रात तक या कल लौट आऊंगा। मैंने भाभी को भी साथ में चलने के लिये कहा था। मगर अब आप की तबीयत खराब है तो नही जाएगी वो।
सोनाली मन ममोस के रह जाती है। उसकी तो बहुत इच्छा रहती कि वह छोटे के साथ अपने गांव जाए ।अपने परिवार वालों से मिले। मगर कहती कुछ नहीं।
संजय कुमार ने छोटे से कहा सही कहा तूने शादी के बाद से सोनाली अपने घर गई भी नहीं ऐसा करो तुम ले जाओ उसे उसकी मां,चाचा,चाची भाई बहनों से मिलवा लाना।
तो छोटे कहता है नहीं भैया आप की तबीयत खराब है कैसे जाएगी भाभी ।
तो सोनाली भी मन मार कर कहती है नहीं मैं नहीं जा रही आपकी तबीयत खराब है।
नहीं मैं ठीक हूँ, संजय कुमार जबरदस्ती करते है। नही तुम्हे जाना पड़ेगा,
सोनाली को यू हट करते हुए संजय कुमार दुनिया के सबसे अच्छे आदमी प्रतीत होते है।
और आखिर छोटे भी तैयार हो जाता है।
सोनाली बहुत खुश हो जाती है, वहअच्छे से तैयार हो जाती। लाल चौड़े बार्डर की साड़ी पहनती है । हाथ भर के चूड़ियां, माथे पर बड़ी सी गोल बिंदी लगती है। जब वह बाहर आती है तो छोटे उसे एकटक देखते ही रह जाता है। सोनाली शरमा जाती है।
संजय कुमार सोनाली को कुछ रुपये देते है कि अपने भाई बहन को कुछ खिला पिला देना।
और फिर छोटे और सोनाली निकल हो जाते ।
गांव के रास्ते में धूप बहुत तेज थी। आधे रास्ते पहुंचते हैं तो दोनो की हालत खराब होने लगती है। वो लोग एक खेत देखते है उसमें ट्यूबवेल चल रहा है।
तो सोनाली कहती है हम थोड़ा सुस्ता लेते थे उसके बाद आगे बढ़ते है।
तो छोटे भी हां में हैं मिला देता है।
दोनो खेत में जाते हैं,,पानी वगैरह पीते हैं । और एक आम के पेड़ के नीचे सुस्तानेबैठ जाते हैं।
सोनाली कहती है पता है छोटे मुझे यह गांव हरियाली यह शांति बहुत पसंद आती है ।
तोछोटे कहता है हां भाभी मुझे बहुत अच्छे लगते है।
फिर छोटे कहता है भाभी मुझे आपसे एक बात कहना है। बहुत दिनों से कहने की सोच रहा हूं।
सोनाली के दिल में धक-धक होने लगता है उसके दिल की धड़कन बड़ जाती है।उसे लगता है पता नहीं छोटे कौन सी बात कहने वाला है।
फिर वह दिल को सयंत करके कहती है। हाँ हाँ कहो ना।
तो छोटे कहता है भाभी आप नाराज तो नहीं होगी ना।
तो सोनाली अपनी घबराहट छुपाकर कहती है कहती है,अरे नहीं बोलो ना क्या बोलना चाहते हो।
छोटे कहता है, भाभी, भाभी आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो, आप बिलकुल माँ जैसी लगती हो। आपने मुझे मां नजर आती मैंने कभी अपनी मां को नहीं देखा। मुझे बस उसके धुंधली सी परछाई याद है उन की पायल की छम छम, चूड़ी की खनखन और लाल साड़ी पहने हुए बड़ी सी बिंदी लगाए। मैं जब भी आपको ऐसे देखता हूं तो मुझे मेरी मां जैसी लगती हो। मुझे लगता मैं भाभी की जगह आप को मां कहने लगू।
सोनाली की रुलाई निकल जाती है, पश्चाताप के आंसू उसके गालों पर बहने लगते हैं। उसे संजय कुमार का प्यार और समर्पण दिखने लगता है । उसे खुद से ग्लानि होने लगती है।
तो छोटे कहता है भाभी क्या हुआ, मैंने कुछ गलत कह दिया, आप क्यो रो रही हो।
अरे नहीं छोटे, तुमने तो सही समय पर सही बात कही है, मेरा एक काम करोगे भैया।
हां भाभी बोलो ना आपका बेटा हमेशा तैयार है आपके लिए।छोटे घुटनो के बल बैठकर कहता है।
छोटे मुझे वापस घर ले चल, तेरे भैया की तबीयत खराब है, मेरा मन नही लग रहा हर मैं उनको छोड़कर नहीं जा सकती।
वापस ले चल भैया, मुझे वापस ले चल।