Nandini Upadhyay

Horror Thriller

4  

Nandini Upadhyay

Horror Thriller

भूत बंगला

भूत बंगला

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निमिषा शादी होकर ससुराल आयी, यह पहली बार था जब वह रोमेश के घर मे आ रही थी।अभी तक तो वो लोग बाहर ही मिले थे। 

एक महीने पहले तो, फेसबुक पर मिले थे, पहले मित्र बने फिर घनिष्ठता और फिर प्यार, और मुलाकात, फिर शादी सब कुछ इतनी जल्दी हो गया पता ही नहीं चला।

रोमेश बहुत ही सुलझा हुआ व्यक्ति था, पहली ही मुलाकात में निमिषा का दिल जीत लिया था।

निमिषा के माँ बाप की डेथ हो चुकी थी, कोई भाई बहन भी नहीं था बिल्कुल अकेली थी, अपना कहने के नाम पर एक सहेली थी किरण बस।

और आज किरण को उपस्थिति में, में इन लोगो ने कोर्ट मैरिज कर ली,और अपने ससुराल आ गयी।

उसी का गृह प्रवेश हो रहा है।

बहुत खुश थी निमिषा रोमेश से आज उसकी शादी हो ही गयी अपने प्रियतम से।

उसका प्रवेश एक नैकरानी करवा रही थी,

रोमेश के परिवार में भी कोई नहीं था, 

निमिषा अंदर आती है देखती है बंगला बहुत बड़ा है सुंदर है। मगर जैसी ही कदम बढ़ाती है एक बड़ी सी मकड़ी आकर उस पर गिर जाती है। 

वह बहुत जोर से चिल्लाती है, तो रोमेश कहता है यह क्या तुम मकड़ी से डरती हो। वह हाथ मे लेकर मसल डालता है।

निमिषा की उबकाई आ जाती है।

बड़ी मुश्किल से वह सहन करती है।

अब उसे रूम में ले जाया जाता है। 

रोमेश कही चला जाता है।

निमिषा उसका इंतजार करने लगती है, रात के दस बज जाते है कोई आता ही नहीं, उसे प्यास लगने लगती है। वह रूम में देखती है, मगर वहाँ कुछ नजर। नहीं आता, तो वह नैकरानी कोआवाज लगाने का सोचती है मगर वो नाम तो जानती नहीं थी तो वह रोमेश कोआवज लगाती है।

पर उसकी आवाज पर कोई रियेक्सन नहीं होता है। करीब आधे घण्टे बाद वह खुद ही, उठकर कमरे के बाहर आती है तो क्या देखती है पूरे बंगले में अंधकार है, झरोखों से जो चाँद की रोशनी आ रही थी उससे उसे उतना नजर आ रहा था कि बहुत ही सुनसान और खस्ता हाल बंगला है ये, और डरावना भी, हर चीज के ऊपर धूल की इतनी मोटी परत है, जिससे पता चलता है कि कई सालों से यहाँ कोई रहने नहीं आया।बड़े-बड़े जाले लटक रहे थे, और उन पर चमगादड़ जैसी मकड़ियां थी।

वह बहुत घबरा जाती है रोमेश रोमेश चिल्लाती मगर कीसी की आवाज नहींं आती है वह भागकर वापस अपने कमरे में आती है। शुक्र है वहां की लाइट नहीं गयी थी।

वह देखती है की बेड पर कोई बैठा है उसकी पीठ निमिषा की साइड थो, फिर वो मन ही मन मे कहती है अरे यार ये तो रोमेश है।

फिर वह उसे पीछे से ही गले लगा लेती है।रोमेश तुम कहाँ चले गये थे,मैंने तुम्हें कितनी आवाजे लगायी पर तुमने सुनी ही नहीं।मुझे कितना डर लग रहा था बाबू।

फिर निमिषा को कुछ चुभता है, उसे ऐसा प्रतीत होता है रोमेश के शरीर मे कांटे है। तो वह तुरंत अपने हाथ पीछे ले लेती है।

तो रोमेश पलटता है। 

तो उसे देखकर निमिषा की चिख निकल जाती है।

 बहुत ही डरावना था वो बड़ी बड़ी लाल आँखे, बड़े बड़े दांत जो बाहर निकले थे, शरीर पर बाल इतने सारे थे की जैसे किसी भालु के हो। और सब बाल काँटो के समान खड़े थे।

 सर के बालों का भी यही हाल था।

वह शख्स बोलता है क्या हुआ बेबी कुछ चुभा क्या।

तो निमिषा कमरे के बाहर निकल कर चिल्लाती है, हेल्प हेल्प कोई बचाओ मुझे।

रोमेश रोमेश कहाँ हो तुम बचाओ मुझे।

तो वह जानवर जैसा शख्स बोलता है। बेबी मैं ही तुम्हारा बाबू हूँ।सुनो रुको ना।

निमिषा के कदम ठिठक जाते है, वह कहती है नहीं नहीं, तुम मेरे रोमेश नहीं हो रोमेश कहां हो तुम, आ जाओ।

फिर वह दौड़कर बाहर निकलने के लिये गेट के पास जाती है।

पर राक्षस के इशारे से वह गेट एक झटके से बंद हो जाता है।

निमिषा बहुत प्रयास करती है मगर खोल नहीं पाती।

 वह रोते रोते कहती है।प्लीज कोई दरवाजा खोल दो। मुझे बाहर जाने दो, मुझे अपने घर जाना है। रोमेश कहाँ हो आ जाओ

तो वह कहता है, अरे बेबी क्यो रो रही हो, मैं ही तुम्हारा रोमेश हूँ, 

और ये अब कहाँ जाना है तुम्हे अब ये बंगला ही तुम्हारा घर है।

कहाँ भाग रही हो, तुम मेरी दुल्हन हो और अभी तो हमारी सुहाग रात बाकी है।

वह निमिषा को बांह से घसीटते हुये कमरे में ले जाता है।और पलंग पर बिठा देता है।

निमिषा चीखती रहती है मगर सुनने वाला कोई नहीं होता।

फिर वो कहता है, अरे डार्लिंग मैं तो भूल ही गया तुम्हे प्यास लगी थी ना ये लो पी लो। वह गिलास निमिषा की और बढ़ाता है।

तो निमिषा देखती है उसमें खून भर हुआ है। 

वह उस गिलास को फेक देती है।

तो वह शख्श चिल्लाता है तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस तरह गिलास फेकने की।

फिर खुद ही नार्मल होकर कहता है, नहीं नहीं आज तुम पर गुस्सा नहीं करना है। आज तो हमारी शादी हुई है।

निमिषा में थोड़ी हिम्मत आती है वह डरते डरते पूछती है तुम कौन हो मेरा रोमेश कहाँ गया।

तो वह कहता है बेबी मैं ही हूँ तुम मुझे पहचान क्यो नहीं रही। और हाथ दिखाते हुये कहता है, देखो ये अंगूठी जो तुमने दी थी।

निमिषा उस अंगूठी को पहचान जाती है, और कहती है,हाँ यह तो रोमेश की ही है।

तुम्हारे पास कहाँ से आयीं।

तो वह कहता है अरे बेबी पहचान क्यो नहीं रही मैं ही रोमेश हूँ।

फिर वो घड़ी की तरफ देखता है साढ़े ग्यारह बज चुके होते है।

फिर वह जोर जोर से हंसता है और कहता है, वह घड़ी आ ही गई जिसका मुझे इंतजार था 12:00 बजने वाले हैं और आज पूर्णिमा का दिन है 12:00 बजे चांद अपने पूरे शबाब पर रहता है। अगर उस समय मैं कुंवारी कन्या से संबंध बनाऊ फिर उसका रक्त देवी को चढाऊँ तो मुझे ऐसी सिद्धि मिलेगी जिससे मैं सारे विश्व का राजा बन जाऊंगा। मुझे एक हजार लड़कियों की बली चढ़ानी है और तुम्हे जानकर आश्चर्य होगा कि तुम्हरा नम्बर हजारवाँ ही है।

और यह काम मुझे इसी बंगले पर करना है, क्योकि यह बंगले के वास्तु बहुत ही खराब है जो तांत्रिक क्रियाओं के लिये सही रहता है।

इसीलिये मैं कई सालों से यहाँ हूँ। 

निमिषा यह सुनकर कांप जाती है।

वह कहती है मुझे छोड़ दो, 

नहीं बेबी मैं तुम्हे भगवान के पास पहचाऊंगा। 

और वह निमिषा पर टूट पड़ता है, , वह कुछ नहीं कर पाती, बहुत ही बलशाली था वो।

अपनी प्यास बुझाने के बाद वह निमिषा को कहता है।अब तुम नहा कर आ जाओ, मुझे तुम्हारी बलि देवी माँ को देनी है।

निमिषा नहा कर आ जाती है, वह उससे पूछती है तुमने मुझे ही फेसबुक पर क्यो चुना

तो वह कहता है बहुत आसान शिकार थी तुम, तुम्हारा कोई नहीं था जो तुम्हे कोई ढूढने भी नहीं आएगा। और जोर जोर से हँसता है। ऐसे ही तो बाकी 999 लड़कियों को भी फँसाया था।

तो वह कहती है इसमें से एक भी नहीं मिलती तो क्या होता, 

ऐसा हो ही नहीं सकता था। वह हँसता है 

फिर भी बताओ,

वैसे मैं तुम्हे बताना जरूरी नहीं समझता मगर तुम्हारे जीवन के कुछ ही मिनिट शेष है इसलिये बता देता हूं।

मैं अगर एक भी लड़की की बलि नहीं दे पाऊं तो मेरी सारी ताकत चली जायेगी और मैं भस्म हो जाऊंगा।

इतना सुनते ही निमिषा वहां पड़ा चाकू उठा कर खुद ही अपने पेट मे घुपो लेती है। और कहती है ये लो अब तुम मेरी लाश की बलि दे नहीं सकते, और इतनी रात को तुम्हे दूसरी लड़की मिलेगी नहीं।

वह रोकता ही रह जाता ।

इतने मैं घड़ी में बारह बजे के घण्टे बजना चालू हो जाते है और आखरी घण्टे के साथ वह राक्षस भी राख बन जाता है।


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