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Nandini Upadhyay

Thriller

3  

Nandini Upadhyay

Thriller

वो कौन था

वो कौन था

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400

शाम गहराती जा रही थी, हवा सायं सायं चल रही थी, मैं ड्राइव कर रही थी।

मुझे जल्द से जल्द उस जगह पहुचना था। जहाँ से फोन आया था। शुभम का एक्सीडेंट हो गया था, एक कस्बे के पास, लोग वही के एक हॉस्पिटल में उसे ले गए थे। उसमे से एक ने मुझे खबर करी थी। 

गाड़ी की स्पीड भी 110,120 रही होगी।

मुझे कुछ भी सूझ नही रहा था,इतने में तेज बारिश भी होने लगी।

मैंने गाड़ी थोड़ी धीमी कर दी, लोकेशन के हिसाब से लग रहा था वो हॉस्पिटल अब आने ही वाला है।

इतने में मुझे लगा कोई मुझे गाड़ी रोकने को बोल रहा है।

पहले तो मैंने सोचा कि पता नही कौन होगा पर फिर पास से देखा तो वह शुभम था। मैंने गाड़ी रोक दी। शुभम गाड़ी में आ गया। 

मैंने सवालों की झड़ी लगा दी। 

तुम यहाँ कैसे ?

तुम्हारा एक्सीडेंट हुआ था ?

कैसे हो ?

तुम्हारी छुट्टी कब हुई ?

तुम्हें अकेले कैसे आने दिया ?

मेरे सवालो केजवाब में बस इतना कहा उसने।

मेरी छुट्टी हो गयी ठीक हूं

मैंने सोचा शुभम को क्या हो गया, ये कब से कम बोलने लगा,

शायद चोट की वजह से।

और मैंने गाड़ी वापस मोड़ दी।

मैंने देखा शुभम के सर पर पट्टी बंधी है। हाथ मे प्लास्टर चढ़ा है। वह थोड़ा लंगड़ा के भी चल रहा था उस समय,  चोट तो ज्यादा ही लगी है। 

मैंने कहा शुभम हम अपने फैमिली डॉ. के पास चलते हैं तो शुभम ने एक दम से चिल्लाकर कहा नही हम घर चलेंगे। मैं थोड़ा सहम सी गयी पर बोली कुछ नही।

और हम घर आ गये।

मैंने शुभम को सहारा देने की कोशिश की तो उसने साफ मना कर दिया।

हम लिफ्ट से फ्लेट तक आये। और मैंने डोरबेल बजायी। माँ थी घर में

दरवाजा खुला,तो क्या देखती हूँ सामने शुभम खड़े थे।

मैं अवाक, पीछे मुड़कर देखा तो कोई नहीं था।

शुभम् बोलते जा रहे थे, कहाँ थी शाम से मैं परेशान था। फोन भी नहीं लग रहा था। कहां थी किसी को बताया भी नहीं। 

औऱ मुझे कुछ सुनायी नहीं दे रहा था। 


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