Nandini Upadhyay

Classics Inspirational

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Nandini Upadhyay

Classics Inspirational

ऐसे है मेरे पापा

ऐसे है मेरे पापा

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मेरे पापा, मेरी जान है। बचपन से ही मैं अपने पापा की लाडली रही हूं। मेरी दीदी कहती है, नंदिनी सब बच्चे रोते हैं तो मम्मी, मम्मी कहते हैं। और तुम बचपन से ही पापा, पापा कहती थी। हम तीन बहनें हैं और एक भाई है, जो सबसे छोटा है।मेरे पापा ने कभी लड़के लड़कियों में भेदभाव नहीं किया जब मेरी छोटी बहन हुई सभी लोगों ने यही कहाँ, तीन तीन लड़कियां हो गई है,  छोटी सी नौकरी है कैसे सब करेगा। तब भी मेरे पापा ने कुछ नहीं कहा। छोटी बहन के पैदा होने पर उन्हें उतनी ही खुशी हुई जितनी दीदी और मेरे पैदा होने पर हुई थी।

मेरे पापा की एक आदत थी। वे हर कागज को बड़े संभालकर रखते थे। वे पुराने पत्रो को भी संभालकर रखते थे। वे उन्हें एक तार के बंडल में डालकर रखते थे। मैं जब बड़ी हुई। मुझे पढ़ने का बहुत शौक था। मैं एक दिन वही बंडल लेकर पढ़ने बैठ गयी। उन पत्रो को पढ़ रही थी तो, मैंने उसमें एक पत्र देखा जो मेरे पापा ने मम्मी को उस समय लिखा था जब छोटी मेरी बहन हुई थी। क्योकि उस समय मम्मी नानी के घर थी। यह सन 1979 की बात है।

वह पत्र इस तरह था।

प्रिय उषा

कैसी हो, मैं यहां कुशल से हु, और आशा करता हु की तुम लोग भी वहाँ कुशल से होंगे। बच्चे भी मजे में होंगे।

हमे तीसरी बिटिया हुई है, तुम इस बात का बिल्कुल दुख मत करना। हमारे घर एक और लक्ष्मी आयी है। मैं बहुत खुश हूं और तुम लोगो का रास्ता देख रहा हु। भगवान जो करते हैं अच्छे के लिए करते हैं।

मैं कहानी लिखता हूं पढ़ो

एक राजा था उसके उंगली में चोट लग गई सभी लोग दुख मनाने लगे। तो मंत्री ने कहा कि भगवान जो करता है वह अच्छे के लिए करता है। तो राजा को बहुत बुरा लगा उसने उसको दंड दिया। उसके एक दिन बाद राजा शिकार करने गया। तो राजा को जंगली लोगों ने पकड़ लिया। वे लोग राजा की बलि देने लगे। उनमें से एक ने देखा कि राजा की उंगली में चोट लगी हुई है। तो उसने कहाँ की इस व्यक्ति की बलि नही दे सकते क्योंकि इसकी उंगली में चोट लगी हुई है। तो उन्होंने राजा को छोड़ दिया। तब राजा के समझ में आया कि भगवान जो करता है अच्छे के लिए करता है।और जब वापस राज्य आया तो उसने मंत्री को कारावास से निकलवा लिया। इस कहानी के जरिए मैं तुमको यह कह रहा हूं कि जो बिटिया आयी है हमारे अच्छे के लिए आई है। तुम दुख मत करना । भगवान जो करता है अच्छे के लिए करता है।

बच्चो को प्यार, और सबको यथा योग्य

तुम्हारे इंतजार मैं

उमाशंकर चतुर्वेदी

तो ऐसे है मेरे पापा, पत्र पड़कर मुझे मेरे पापा पर बहुत गर्व हुआ। मैंने यह पत्र दीदी और छोटी को भी पढ़वाया। मगर हमने पापा को कभी यह बात नही बताई।

मेरे पापा में बहुत सी क्वालिटी हैं। मगर आज इतना ही फिर कभी दूसरा किस्सा सुनाऊंगी।

भगवान करे मेरे पापा दीर्घायु हो और सदा उनका आशीर्वाद हम पर बना रहे।


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