Swity Mittal

Abstract

4.6  

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पति बॉस या दोस्त

पति बॉस या दोस्त

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हर लड़की की तरह हिमानी ने भी जीवनसाथी को लेकर बहुत सारे सपनें बुने थे,जब से उसकी सगाई राहुल के साथ हुई थी, तब से लेकर आज तक (शादी के1साल बाद ) वो यहीं सोच रहीं हैं कि"पति बॉस या दोस्त "?

जब हिमानी की सगाई राहुल के साथ तय हुई थी, उस समय वह कॉलेज में अंतिम वर्ष में थी।राहुल को हिमानी पहली ही नजर में पसंद आ गयी थी, और हिमानी ने भी राहुल से शादी के लिये हाँ कर दी थी।अब शुरू हुई हिमानी की सपनों भरी दुनिया उसे लगता था एक नये रिश्ते की शुरुआत अगर दोस्ती के साथ की जायें तो शायद आप एक -दूसरे को अच्छी तरह से समझ सकते हैं और अगर आपका हमसफर ही आपका दोस्त बन जायें तो फिर गृहस्थी की गाड़ी सदैव पटरी पर ही चलेगी, एक्सीडेंट होने का डर तो बिल्कुल खत्म ही हो जायेगा और यहीं उम्मीदें उसने राहुल के साथ लगा ली कि राहुल एक पति से ज्यादा एक दोस्त बनकर उसके साथ रहेंगे, एक ऐसा दोस्त जो उसके हर सुख -दुःख में उसका साथ देगा, जो उसकी हर छोटी बड़ी नादानियों में उसका साथ देगा,जो घर मे एक बॉस की तरह ज़िम्मेदारियों का बोझ उसके ऊपर पर ना लाद कर एक दोस्त की तरह उसकी मदद करेगा, जो हिमानी के साथ ना होने पर भी एक दोस्त की तरह उसकी हर बात को बिना कहें समझ जायेगा, वो सोचती थी की जैसे कॉलेज में क्लॉस को बंक मारने पर दोस्त उसकी प्रोक्सी लगा देतें हैं, वैसे ही घर में कभी काम करने का मन ना होने पर राहुल उसका वो काम कर देंगे,वो सोचती थी कि दोस्त बनकर वो दोनों अपनी नयी जिंदगी की शुरुआत करेंगे, क्योंकि आपसी समझौते से तालमेल बनाकर रखने से ही पति और पत्नी दोनों का रिश्ता अटूट होता हैं और उन्हीं सपनों को, उन सब आशाओं को दिल में सँजोकर हिमानी राहुल की दुल्हन बनकर उसके घर आयी।


कुछ दिन तक तो रिश्तेदारों का आना -जाना लगा रहा, लेकिन कुछ दिनों के बाद हिमानी राहुल के साथ कानपुर आ गयी, जहाँ वो जॉब करता था, शुरुआत में तो वैसे भी एक -दूसरे को समझने में वक्त लगता हैं, कुछ ऐसा सोचकर ही हिमानी राहुल के व्यवहार को अनदेखा कर देती थी, दोस्ती में भी तो यहीं होता हैं, आपको एक दूसरे को समझने में वक्त लगता ही हैं, तब ही तो आप दोस्त बन पाते हो, लेकिन जब शादी के 1साल बाद भी राहुल के स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया तो हिमानी को लगता था कि घर में रहकर भी वो घर में नहीं बल्कि एक ऑफिस में काम करने वाली कर्मचारी हैं, जिसे हर वक्त अपने बॉस की हर बात पे सिर हिलाना हैं, समय से ऑफिस आना हैं, और अपने बॉस के द्वारा दिये गये काम को पूरा करना हैं उसे अपना खुद का घर ऑफिस जैसा महसूस होने लगा, और उस ऑफिस का बॉस था, उसका पति राहुल, जो हर एक काम को समय पर करना ही पसंद करता था, क्या मजाल कि थोड़ी भी देर हो जायें, माना कि समय की कीमत हमें समझनी चाहिए, परन्तु परिवार में कभी -कभी ज़िम्मेदारियो की वजह से कुछ देर भी तो हो सकती हैं, या कभी पत्नी का भी तो काम से छुट्टी लेने का मन हो सकता हैं, लेकिन राहुल ने इस बात को कभी समझने कोशिश ही नहीं की, वो कभी हिमानी की मदद ना करता बल्कि उसे हर काम समय पर करने की हिदायत देता था, उसे तो यें लगता था कि आखिर दो लोगों का काम ही क्या होता हैं, और पूरे दिन हिमानी घर में करती ही क्या हैं?उसने हिमानी से तो यें आशा कर ली कि वो अपने आपको उसके अनुसार बदल लें, परन्तु खुद को थोड़ा सा भी बदलने की कोशिश नहीं की, हिमानी ने अपने आप को काफी वक्त दिया और राहुल के अनुसार ढलने की कोशिश भी की, लेकिन ताली कभी एक हाथ से तो नहीं बजती, ठीक वैसा ही राहुल और हिमानी की वैवाहिक जिंदगी में हुआ, हिमानी हर वक्त राहुल में एक दोस्त की तलाश करती थी, जो उसके मन की पीड़ा को भी समझें, जो उन दोनों के रिश्ते को वक्त दें, लेकिन राहुल का सोचना था कि पत्नी कभी दोस्त नहीं बन सकती, वो तो पत्नी ही रहे तो ठीक हैं।


हिमानी जो हमसफर में एक दोस्त को ढूंढ़ रहीं थी,लेकिन उसे वो दोस्त नहीं बल्कि बॉस लगने लगा था। दोनों की अपनी -अपनी अलग -अलग सोच थी, और दोनों ही यें बात नहीं समझ पा रहे थे, शायद यहीं कारण था कि शादी के 1साल बाद भी हिमानी यें सोचने पर मजबूर हो गयी थी कि

   

"पति बॉस या दोस्त। "



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