एक प्याली चाय
एक प्याली चाय
ये एक प्याली चाय भी क्या कमाल की चीज है, मिल जाये तलब वालो को अगर तो उस से बड़ा क्या खुशनसीब है.. हमारी भी कहानी इस एक प्याली चाय से ही शुरू हुई .. एक दिन सुबह फोन की घंटी बजी जब मैंने फोन उठाया तो उधर से आवाज आयी अगर समय हो तो एक कप चाय पर घर आ जाइये, हमने भी कहा नेकी और पूछ -पूछ, अभी कुछ देर में आते है, हम जल्दबाजी में तैयार होकर उनके घर की तरफ निकल पड़े, और थोड़ी ही देर में उनके घर के दरवाजे पर पहुँच गये, जैसे ही घंटी बजायी, वो दौड़ कर दरवाजा खोलने के लिये आयी.. हमने उनकी तरफ देखा और वो हमें देखती रही..ना वो कुछ कह पायी और ना हम कुछ बोल पाये, फिर उन्होंने हमें घर के अंदर आने को कहा,
शरमाते हुए बोली आप बैठिये हम कुछ ही देर में चाय बनाकर लाते हैं, वो किचन की तरफ मुड़ी और हम पीछे से उन्हें देखते रहे, कुछ ही देर में वो चाय बनाकर लायी,और मुस्कुराते हुए चाय की ट्रे हमारे हाथों में थमायी,फिर एक कप चाय का हमें दिया और एक कप खुद लेकर पास में बैठ गयी.. चाय पीते-पीते ही हम दोनों में कुछ बातें हुई और फिर आगे चाय के ही ऊपर कुछ मुलाकातें हुई.. क्या पता था उस दिन की ये चाय भी क्या- क्या रंग दिखायेगी, "ये एक प्याली चाय" हमें उनका दीवाना कर जाएगी.. इस एक प्याली चाय के बहाने हम रोज उनसे मिलने लगे और धीरे- धीरे दिल ही दिल में उन्हें अपना समझने लगे.. फिर भी अब तक ना उनसे कह पाये हैं हम कि हमें आपकी "ये एक प्याली चाय" बड़ी पसंद है, मिल जाये अगर आपके हाथ से हर सुबह तो हमारे जीवन में ना इस से बड़ा अब कोई आनंद है।
