Swity Mittal

Inspirational Others Children

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सीख

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पापा ये कोरोना क्या है? 5 साल के अंश ने जब अपने पापा अंकुर से ये सवाल पूछा तो अंकुर ने उसे कहा कि कोरोना बहुत बड़ा मॉन्स्टर है, जो मास्क ना लगाने पर और हाथों को गन्दा रखने पर आपको बीमार कर देता है, तो जिज्ञासावश अंश ने दूसरा प्रश्न किया पापा तो क्या हम जब भी बीमार होते है इसका मतलब हमें कोरोना मॉन्स्टर होता है, अंकुर का ध्यान अपने मोबाइल में लगा हुआ था, इसलिए उसने बिना पूरी बात सुने ही अपना सिर हिला दिया और अंश भी कमरे से बाहर आकर खेलने लग गया।


कोरोना की वजह से अंकुर घर से ऑफिस का काम कर रहा था, ऊपर से लॉकडाउन और लगा दिया सरकार ने, तो अब तो दिन -भर घर में काम करते हुए वो भी बोर हो जाता, उसका स्वभाव भी थोड़ा चिड़चिड़ा हो गया।


लेकिन कुछ उपाय भी नहीं था सिवाय सावधानी बरतने के, ना कहीं आ जा सकते थे और ना ही किसी को अपने घर पर बुला सकते थे, अंकुर को तो हर दिन ऐसे ही लगता था जैसे जीवन थम सा गया है, जो जहाँ था वहीं रुक गया हो। वो घर से काम जरूर करता था परन्तु घर से काम करना उसे रास नहीं आ रहा था, क्योंकि घर में कभी अंश तो कभी बानी की वजह से उसका ध्यान अपने काम से हट जाता था।


दूसरी तरफ बानी का भी काम अब पहले से ज्यादा बढ़ गया था, ना ही काम वाली आ रही थी, ऊपर से अंकुर और अंश भी घर पर ही थे, अंश की भी ऑनलाइन क्लास की वजह से बानी भी पूरी तरह व्यस्त हो गयी थी।


इस तरह से दिन बीतते गये और फिर धीरे-धीरे लॉकडाउन भी अलग -अलग चरणों में खुलने लगा, अब अंकुर का भी ऑफिस फिर से शुरू होने वाला था, लेकिन अंश का स्कूल खुलने में अभी थोड़ा वक्त था, जब अंकुर का ऑफिस शुरू हुआ तो शुरुआत में वो बहुत सावधानी बरतता था, हमेशा ऑफिस में मास्क लगाकर जाना, हाथों को सेनेटाइज करना, घर पर आने के बाद गर्म पानी से गारगल करना।


अंश पापा को रोज ये सब करते हुए देखता था, वैसे भी उसे तो सिर्फ ये बताया गया था कि कोरोना बहुत बड़ा मॉन्स्टर है, जो मास्क ना लगाने से हो जाता है।


कुछ दिनों तक अंकुर हर बात में सावधानी रखता था, लेकिन कुछ दिनों के बाद वो थोड़ा लापरवाह हो गया, हालांकि कोरोना के इलाज के लिए कोई वैक्सीनेशन नहीं आया था, अब अंकुर कभी मास्क लगाना भूल जाता था तो कभी घर आकर बिना गारगल किये ही बाकी काम में लग जाता, बानी काफी बार उसे टोकती थी, लेकिन उसके कान पर जू तक नहीं रेंगती थी, उसकी ये लापरवाही देखकर बानी भी चिंतित रहती थी, एक दिन अचानक उसने ऑफिस जाकर बानी को फोन किया कि उसके सिर में बहुत दर्द हो रहा हो, और वो जल्दी घर वापिस आ जायेगा।


अंकुर की बात सुनकर बानी चिंतित हो गयी, उसके मन में बुरे -बुरे ख्याल आने लगे और उसकी नजर सामने टंगी घड़ी पर टिक गयी, अब तो उस से इंतजार नहीं हो रहा था, वो चाह रही जल्दी से अंकुर ऑफिस से आ जायें।


कुछ समय बाद अंकुर घर वापस आ गया, उसका मुँह उतरा हुआ था, शाम होते -होते उसे हल्का बुखार भी आ गया, जिस बात का डर था अब लक्षण सारे वैसे ही थे, उन्होंने सोचा क्यों ना कोरोना का टेस्ट ही करवा लें, कम से कम मन को तसल्ली तो हो जाएगी।


अगले दिन सुबह वो डॉक्टर के पास गया वहां उसका टेस्ट किया गया, जिसकी रिपोर्ट अगले दिन दिन के बारे में कहाँ गया, अंश भी पापा की हालत देख रहा था, उसने मन में सोचा कि पापा को फीवर कोरोना मॉन्स्टर की वजह से आ रहा है, अब अंश भी बच्चा था, ना ही उसे कोरोना की पूरी जानकारी थी, उसने सोसाइटी में सबको कह दिया कि उसके पापा को कोरोना हो गया, अंकुर को ये बात पता नहीं थी।


अगले दिन अंकुर की रिपोर्ट नेगेटिव आयी, डॉक्टर ने कहा मौसम बदलने की वजह से उसे बुखार आ गया, इसलिए उसे घबराने की कोई जरूरत नहीं है, डॉक्टर ने कुछ दवाइयाँ दी थी, उन्हें लेकर जब अंकुर वापिस आ रहा था, तो काफी लोग उससे दूरी बनाकर चल रहें थे, एक -दो ने तो उसे कह ही दिया की वो बाहर ऐसे कैसे घूम रहा है, क्या उसे किसी की कोई परवाह नहीं, उसे घर में ही रहना चाहिए।


अंकुर को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि लोग उसे ऐसे क्यों बोल रहें है, आखिरकार उसने पूछ ही लिया कि सब उसे घर पर रहने के लिए क्यों कह रहें है, तब किसी ने उसे बताया की कल अंश ने नीचे खेलते वक्त बताया था कि उसके पापा के कोरोना हो गया, ये सुनकर अंकुर आश्चर्यचकित हो गये, उसने सबको अपनी रिपोर्ट दिखाई जो कि नेगेटिव थी, लेकिन उसके मन में एक ही प्रश्न था कि आखिर अंश ने ये क्यों कहा?


वो घर आया और अंश से पूछा कि अंश आपको किसने बताया कि पापा को कोरोना हो गया, अंश ने बहुत ही मासूमियत से कहा कि पापा आपने ही तो बताया कि मास्क ना पहनने से कोरोना मॉन्स्टर आ जाता है, और फिर हमको बुखार हो जाता है।


आप मास्क नहीं पहनते हो ना पापा और आपको फीवर भी हो गया, तो फिर कोरोना मॉन्स्टर हुआ ना पापा, मुझे समझ आ गया था अपने आप ही।

अंकुर को अब अपनी गलती का एहसास हो रहा था कि उसने अंश के बार -बार पूछने पर भी हर बार उसके प्रश्नों को टाल दिया, शायद इसी वजह से अंश ने बुखार होने को भी कोरोना समझ लिया, और सच ही तो कहा अंश ने कि वो अब मास्क कहाँ लगाता है, बल्कि बानी के टोकने के बावजूद भी वो सावधानी नहीं रखता है, आज तो भगवान की कृपा से उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आयी, किन्तु अगर वो ऐसे ही लापरवाही रखेगा तो भविष्य में उसकी इस गलती का खामियाजा उसके पूरे परिवार को भुगतना पड़ सकता है क्योंकि

 "सावधानी हटी और दुर्घटना घटी "


उसने मन ही मन निश्चय कर लिया था कि वो पूरी सावधानी बरतेगा और साथ ही आगे से अंश के प्रश्नों का भी जवाब देगा, क्योंकि आज अंश ने उसे समझा दिया था कि अगर आप किसी भी बात को पूरी तरह से स्पष्ट नहीं करोगे तो सुनने वाला उसे समझ नहीं पायेगा, और उसका गलत अर्थ निकाल लेगा, फिर अर्थ ना होकर अनर्थ की स्थिति पैदा हो जाएगी, जिस प्रकार पर्याप्त मात्रा में जानकारी ना होने की वजह से अंश ने कोरोना ना होते हुए भी अपने पिता के कोरोना होने का चारों तरफ ढिंढोरा पीट दिया।


दोस्तों, ये बात बिल्कुल सत्य है कि बचपन में जब बच्चे हमसे बार -बार प्रश्न पूछते है तो काफी बार हम उन्हें उत्तर दें देते है, परन्तु कई बार उन्हें उत्तर ना देकर झिड़क देते है, अगर हम उन्हें उनके प्रश्नों का उत्तर नहीं देंगे तो वो पूरी तरह से हमारी बात को समझ नहीं पाएंगे, इसलिए हमेशा ये जरूरी है कि उनके मन में उठे प्रश्नों का हम जवाब दें और उन्हें उस काबिल बनाएं की उन्हें पूर्ण ज्ञान हो ना की आधा -अधूरा।


आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी, कृपया मुझे बताएं और मेरी त्रुटि के लिए मुझे माफ़ करें।



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