प्रिय डायरी ,लूडो
प्रिय डायरी ,लूडो


इस कोरोना काल में दुनिया सांप सीढ़ी और लूडो के खेल की तरह हो गई है ।जी हां, सांप- सीढ़ी ,लूडो का खेल।खेला है ना आपने बचपन में ? दो ऐसे खेल जिसे हम सब ने बचपन में कभी ना कभी खेला जरूर होगा ।
सांप सीढ़ी एक अव्यवस्थित खेल है। आज दुनिया में सब कुछ अव्यवस्थित हो गया है ,कोरोना वायरस के कारण। कोरोना वायरस वह सांंप है जो कब दंश ले पता नहीं। एक अनदेेेखा शत्रु , जिससे भागने के लिए हम सीढियां तलाश रहे हैं ।अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए हम बार -बार सीढियां चढ़ रहे हैैं अौर बार-बार दंशे जा रहे हैं ।आज की दुनिया मेें जो देश ऊपरी पायदान पर हैैं , मतलब विकसित देश, आज काेरोना वायरस के दंश से परेशान हैं। उनकी अर्थव्यवस्था लड़खड़ा चुकी है ।सुपर पॉवर अमेरिका अपने लोगों की लांशों के बोझ से दबा जा रहा है ।वह तेल भी देने को तैयार है और पैसे भी । जर्मनी ,जापान , इटली, इजराइल, और सिंगापुर जैसे विकसित देश काेरोना सांप के दंश को झेल रहे हैं।
आज हमें लूडो जैसे व्यवस्थित खेल को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है । दुकानों के बाहर झुंड नहीं लगाएं, अपने -अपने खानों में खड़ा रहना है, दूर - दूर रहना है , सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना है ।
इन दोनों के बीच याद आता है एक और खेल ,पतंगबाजी का।आजकल बड़े इस खेल को खूब खेल रहे हैं । बीस साल से इंटरनेट के दौर में आने के बाद हम लोग बचपन के इस खेल को भूल ही गए थे ।वही आज के बच्चों को तो इस खेल में कोई रुचि ही नहीं थी ।वीडियो गेम में लीन रहने वाली उंगिलियां अब मांझे मे ढील देने में लगीं हैैं। पतंगों की ऊंचाइयों में जीवन की गहराइयों को छूने मेें लगी हैैं।
फंडा यह है कि कोरोना ने जहां आज हमारे जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है वहीं हमारे जीवन के कुछ भूले बिसरे खेलों को पुनः वापस जीवंत कर दिया है ।