Deepa Pandey

Romance

4.8  

Deepa Pandey

Romance

प्रीत के रंग

प्रीत के रंग

6 mins
448


"तुम दोनों इस पूरी में मावा भरने का काम करो और मैं बेलने का काम करूंगी इस तरह गुजिया जल्दी बनेंगा " सुनीति ने अपनी बेटी मेघा और उसकी सहेली मिहिका से कहा ।

"आंटी हर बार आपके घर , मेरे घर से पहले ही गुजिया बन जाती हैं । मेरे घर तो कल बनेगी, मैं मेघा को बुला लूंगी ।

"हां बेटा तू जरूर से बुला लेंना , जरा जल्दी हाथ चलाओ, खी खी बाद में कर लेना "उनकी बात पे दोनों फिर खिलखिला उठी ।

मेघा और मिहिका दोनों सत्रह वर्षीय किशोरी हैं अल्हड़पन उनके रोम रोम में बसा है गाने गाना झूम उठना ,बिना बात हंस पड़ना । रंग रूप भी यौवन की दहलीज़ पे खड़ी युवतियों सा पूरे शबाब पे छाया हुआ है । बसंत मानों इसी बरस आया ।

मेघा से पांच बरस छोटा भाई विहान हैं जिसे दोनों अपनी उंगलियों पर नचाती रहती और उसे ढेर सारा प्यार भी करती। वो भी उन्ही की गोद चढ़ कर बड़ा हुआ है, इसी से दोनों से, बहुत मान सम्मान से पेश आता ।मिहिका का, चार वर्ष बड़ा भाई आकाश हैं जिससे वे तीनों ही बेहद डरते ।वो हैं भी गंभीर स्वभाव का, अपनी मेडिकल की पढ़ाई में व्यस्त रहता, उन तीनो को भी पढ़ने के लिए टोकता ।तीनो ही उसकी नजरों के सामने नहीं आना चाहते ।

"अबकी होली का क्या प्रोग्राम हैं ?"मिहिका ने पूछा ।

" दीदी मैंने तो एक टब भर कर पानी के गुब्बारे तैयार करने हैं "विहान ने कहा ।

" गलत बात विहान गुब्बारे नहीं अपनी पिचकारी से रंग डालना " मिहिका ने कहा ।

" मेरी नई पिचकारी आ गई है दिखाऊं " कहता हुआ वो अपने कमरे को भागा ।

" रंग खेलते समय क्या पहनेंगी बोल ना " मेघा ने पूछा 

"सोच रही हूं सफेद स्कर्ट और गुलाबी टॉप पहन लूं " मिहिका ने कहा।

" मेरी मानों तो पूरी बांह की टीशर्ट और पुरानी जींस पहन लो ।पूरा बदन ढका रहेगा और ज्यादा रंग भी नही लग पायेगा । वर्ना रंग छुड़ाने में आफ़त आयेगी ।पहले पूरे शरीर और बालों में अच्छे से नारियल तेल लगा लेना " सुनीति ने समझाया ।

" सिर पर केप या स्कार्फ बांध लेंगे और आंखों में गॉगल्स " मेघा बोली ।

"सही कहा, पहले तू मेरे घर आना ,एक सेल्फी लेंगे होली के रंग से पहले की, एक होली की धमाचौकड़ी के बाद की । इंस्टाग्राम मे पोस्ट करेंगे ।" मिहिका हां में हां मिला कर बोली ।

होली को सुबह नौ बजे ही मेघा जींस पहन, गॉगल्स लगा, तैयार हो गईं और अपने छोटे भाई को लेकर जैसे ही बाहर को जाने लगी, सुनीति बोल पड़ी 

"मेघा गुलाल का टीका तो लगा ले "

" मां आप मेरे हाथ में लगा दो, मेरे चेहरे पर नहीं ,मुझे सेल्फी लेनी हैं, मिहिका के संग "

" इस सेल्फी को भी आग लगे " सुनीति झुंझलाई ।

मेघा ने अपने मम्मी पापा के गालों को तो, गुलाबी ,हरा कर दिया और अपने हाथ आगे बढ़ा दिए । उसकी इस हरकत पे, उसके मम्मी पापा दोनों हंस पड़े ।वो अपने साथ विहान को लेकर, मिहिका के घर चल दी । मिहिका का घर का गेट, उसके घर के बगल में ही था ।

मिहिका का गेट खुलते ही उसे मिहिका जींस टीशर्ट और केप लगाए , गेट की तरफ पीठ किए , लॉन चेयर में बैठी हुई दिखाई दी ।

" अच्छा तो मेरे इंतज़ार में कोरी बैठी हैं " मेघा ने सोचा अगले ही पल, उसकी नजर, उसके बगल में नीले रंग से भरी ,पानी की बाल्टियो की ओर, चला गया ।

" भाड़ में जाए सेल्फी , इससे अच्छा मौका ,मिहिका को तर बतर करने का फिर न मिल पाएगा , हर बार मुझे पहले रंग देती हैं, इस बार बच्चू नही बच पाएगी "

यह सोचते ही उसने अपने भाई को चुप रहने का इशारा किया और रंग भरी बाल्टी ,उस पर उलट दी ।यह क्या हुआ ? मेघा का सिर ही घूम गया । जिस पर उसने मिहिका समझ कर बाल्टी उड़ेली थी वो मिहिका नहीं बल्कि उसके बड़े भाई, आकाश का दोस्त ऋषभ था । सुदर्शन देह का, छह फिट का गौर वर्ण का , ऋषभ नीले रंग में रंग चुका था । ऋषभ ने अपने सर से बहते पानी को दोनों हाथों से निचोड़ कर मेघा की ओर देखा तो उसका छोटा भाई विहान, ताली बजा कर बोल पड़ा "होली है भाई ,होली हैं ।बुरा न मानो होली हैं"

उसका हल्ला सुनकर मिहिका और आकाश दोनों बाहर लॉन में आ गए ऋषभ को, सिर से लेकर पांव तक ,रंगा हुआ देखकर, वे भी हंसने लगे ।ऋषभ ने भी आव देखा न ताव एक बाल्टी उठाई और मेघा के उपर रंग उड़ेल दिया ।फिर क्या था मिहिका और आकाश भी मैदान में उतर आए खूब धमाचौकड़ी मची ।

मिहिका की मम्मी, रेणु ने लॉन के एक कोने में सजी मेज की तरफ इशारा करते हुए कहा "चलो अब कुछ खा लो "

मेघा के एक कुर्सी पर बैठते ही ऋषभ उसके बगल में दूसरी कुर्सी पर बैठ गया और बोला "मैं तुम्हें अक्सर इस खिड़की से , मिहिका के साथ , बाते करते , घूमते और बैडमिंटन खेलते हुए देखा करता था । तुम शायद मुझे नही जानती मैं आकाश का फ्रैंड ऋषभ , मेडिकल कॉलेज में थर्ड ईयर का स्टूडेंट हूं । "

"मैने भी आपको कई बार आकाश भैया के साथ देखा था "

" और क्या सोचा था ?" 

" हूं सोचती थी कि आप भी आकाश भैया की तरह गर्म दिमाग के होंगे मगर .." वो शर्मा के चुप हो गई ।

" मगर क्या ?"

" आप एकदम कूल हैं " वो हंस पड़ी चारों तरफ मानों फुलझरियां फूट पड़ी । ऋषभ उसे अपलक देखता ही रह गया फिर बोल उठा "तुम्हें क्या लगता हैं कि यह रंग कब तक छूट जायेगा ?"

"दो नहीं तो चार दिन में " मेघा ने लापरवाही से कहा।

"और दूसरा रंग कब तक रहेगा ? " ऋषभ उसकी काली कजरारी आंखों में झांकते हुए, ढिढाई से बोला ।

"दूसरा रंग ?" मेघा ने अपनी पलके झुकाते हुए पूछा ।

"हां मेरी प्रीत का रंग , देखो ना, आज हम दोनों ही नीलवर्णी हो गए हैं । मुझे नहीं पता था कि ये होली मुझे हमेशा के लिए ,तुम्हारे रंग में रंग देगी । मैं तो तुम्हें आकाश कुसुम सा दूर से ताकता रहता था "

" देखा तो मैने भी तुम्हें बहुत बार था मगर तुम्हारे बारे में , कुछ पूछने की हिम्मत नहीं हुई "

" तभी तो मैं ने ऋषभ भाई को यह ड्रेस कोड बताई थी मैं जानती थी कि आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई हैं " मिहिका उन दोनों की बातों के बीच कूद पड़ी

मेघा का ध्यान अब मिहिका की ड्रेस पर गया वो लॉन्ग स्कर्ट और टॉप में थी ।

" रुक मैं तूझे नहीं छोडूंगी " मेघा, मिहिका के गालों में गुलाल मलते हुए बोली ।

" और मुझे भी " ऋषभ ने भोलेपन से कहा तो मेघा के गाल आरक्त हो उठे ।

लॉन में गाना बज उठा "होली के दिन दिल मिल जाते हैं रंगो से रंग मिल जाते हैं "



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance