Deepa Pandey

Romance

4.4  

Deepa Pandey

Romance

रिमझिम गिरे सावन

रिमझिम गिरे सावन

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रसोई में पराठे सेकती रागिनी की नजर खिड़की से बाहर , बारिश के नजारों पे जा टिकी । जल की महीन बूंदे हवा में घुल मिल , खिड़की के रास्ते उसके तन मन को सिहरा गई ।वो गुनगुना उठी "हाय हाय ये मजबूरी ये मौसम और ये दूरी ,

मुझे पल पल हैं तड़पाए , तेरी दो टकिया दी नौकरी मेरा लाखों का सावन जाएं हाय ..."

गाना सुनते ही नौकरी के लिए , तैयार हो रहे अविनाश का मन मयूर भी नाच उठा ।वो सोचने लगा "लॉक डाउन में सब बंद हुआ मगर उसका बैंक नही ,बेचारी रागिनी सही तो कह रही हैं लाखों के पैकेज वाले , वर्क फ्रॉम होम, के मजे ले रहे हैं और वो दो टके के लिए , सड़कों की खाक छानता रहा "

रागिनी ने टेबल पर ब्रेकफास्ट और टिफिन दोनों ही सजा दिए और घड़ी देखकर बुदबुदाई " ये अविनाश क्या कर रहे हैं अभी तक, आज तो लेट हो जायेंगे "

"हम तुम एक कमरे में बन्द हो और चाभी खो

 जाए ,

तेरे नैनों की भूल भुलैया में, अविनाश खो जाएं ss " गुनगुनाते हुए अविनाश ने, कार की चाभी टेबल पर फेंक दी ।

"आज बैंक नहीं जाना क्या ? " रागिनी ने आश्चर्य से पूछा ।

" हां आज छुट्टी का मूड बन गया है मौसम देखो कितना रोमांटिक हैं । मैने आज ऑफ ले  लिया " 

"अरे वाह क्या बात है ।आज तो तुमने मेरे मन की मुराद , बिन मांगे ही पूरी कर दी । तुम ब्रेकफास्ट कर ओलंपिक देखो मैं अपने डेली रूटीन निपटा लू "

कहकर रागिनी तो बाई के साथ, घरेलू कार्य में व्यस्त हो गई । अविनाश सोफे पर अधलेटा हो , टी वी के चैनल बदल बदल कर ,देखने लगा ।

रागिनी सताइश वर्षीय आकर्षक युवती हैं और अविनाश तीस वर्ष का हैं। उनके विवाह के दो वर्ष बीत चुके है। वे दोनों बहुत समझदारी से, अपनी घर गृहस्थी संभाल रहे हैं ।

रागिनी पीली शिफान की साड़ी पहन मटकने लगी

 "धक धक करने लगा ,ओ मोरा जियरा डरने लगा । सैंया , बईया छोड़ न, कच्ची कलियां तोड़ न "

अविनाश अविनाश ss आवाज़ सुनकर अविनाश का सपना टूट गया । सामने जीन्स टॉप में सजी, रागिनी मुस्कुरा रही थी ।

"तुमने तो साडी पहनी हुई थी , फिर चेंज क्यों करी ?" 

"चलो अच्छा है तुम्हारे सपनों में ,मैं ही आती हूं ।अब जल्दी करो। बारिश रुक गई है ,हम पास की नर्सरी से कुछ पौधे ले आते हैं । वीकेंड  में कर्फ्यू लगा हैं बाकि दिन तुम्हें फुरसत नहीं मिलती । चलो न , इस मौसम में पौधे , आसानी से लग जाते हैं "

अविनाश की नीद उड़ गई ।वो कार निकाल कर , रागिनी के संग , रोड में निकल गया । बारिश घनघोर हो चली थी तेज हवाओं के संग, बरखा रानी इधर उधर लहराने लगी ।

रागिनी गुनगुना उठी ।

"बरखा रानी जरा जम के बरसो ,मेरा जी घबरा न जाएं , झूम के बरसों ssss, बरखा रानी "

अविनाश उसके मुख से, मधुर गीत सुनकर मुस्कुराया और बोला "चलो डियर , लॉन्ग ड्राइव में चलते हैं "

"क्या बात आज बड़े रोमांटिक हो रहे हो ,मौसम अलर्ट याद है आज तूफानी बारिश के आसार हैं । दूर

 निकलना उचित नहीं , आगे बाएं हाथ पे गाड़ी रोक लेना ।इसी नर्सरी से , हमारी पड़ोसन अनु सभी प्लांट लाई है " रागिनी ने इशारा कर बताया ।

अविनाश ने झटके से ,कार रोक दी ।रागिनी ने छाता निकाला और तेजी से नर्सरी में समा गई । आधे घंटे बाद पंद्रह ,बीस छोटे बड़े क्रोटन ,बेला, चमेली , केने के पौधे और गमले लेकर प्रकट हो गई ।इस दौरान अविनाश को लगातार बैंक से फ़ोन 

 आते रहे ।आज कई लोग ,अपने लोन की फाइनल रिपोर्ट के लिए ,आए थे। स्टाफ से कैशियर रीमा का, फोन आया तो उसने बोल दिया कि हल्का बुखार है इसलिए आज नहीं आ रहा । बुखार का सुनते ही बाकी स्टाफ के भी फोन , धड़ाधड़ आने लगे । उसे कितने देशी नुखसे सुझाने लगे ।तब अविनाश को समझ आया कि आजकल बुखार को सब कोरोना से जोड़ लेते हैं तो फिर उसने, अन्य लोगो को समझाया कि उसे बुखार नहीं, लूज मोशन हो रहे हैं ।रीना को बोलने में झिझक लगी थी तो बुखार बोल दिया । बड़ी कठिनाई से स्टॉफ को समझा बुझा कर शांत किया । उसे अपने ऊपर गुस्सा भी आ रहा था ।

"संभाल कर रखना भैया डिक्की में , देखो कोई पौधा टूटने न पाएं " रागिनी डिक्की में पौधे रखवाती हुई, नर्सरी के कर्मचारी से बोली ।

"आप बिल्कुल भी चिंता न करें हमने ध्यान से सब रखवा दिया है " कर्मचारी अपने पान मसाले से रंगे, दांत दिखाते हुए बोला ।

रागिनी भी मुस्कुरा कर ,कार में सवार हो गई और बोली "चलो डियर , यहीं पास में एक चाइनीज रेस्त्रां खुला हैं वो अपनी पड़ोसन सुनीता हैं न, बड़ी तारीफ कर रही थी "

अविनाश ने बैल की तरह मुंडी हिला कर अपनी सहमति दी और गाड़ी रेस्त्रां की ओर घुमा दी ।

अविनाश देशी खाने का शौकीन मगर आज रागिनी की खुशी के लिए तैयार हो गया ।

रागिनी जिस भोजन को स्वाद लेकर खा रही थी वही 

चाइनीज फूड उसके गले में फंस रहा था । रेस्त्रां में मधुर संगीत बज रहा था ।

".. सुनो सुना , कहो कहा ,कुछ हुआ क्या

अभी तो नहीं...... अभी तो नहीं..."

बारिश रुक गई थी मगर अभी भी आसमान में काली घटा छाई हुई थी । अविनाश के मोबाइल पर, बैंक से अभी भी, किसी न किसी विषय पर, राय लेने के लिए लगातार फोन आ रहे थे ।

"चलो डियर " रागिनी ने पेमेंट चुका कर ,अविनाश से कहा ।गाड़ी अब घर की तरफ मुड़ गई ।

घर पहुंचते ही रागिनी ने उससे कहा

 "चलो फटाफट गमलों में पौधे शिफ्ट कर देते है , फिर टैरेस पर रख देंगे , अभी फिर वर्षा होने वाली है इन्हें भी वर्षा का हैल्दी वाटर , मिल जायेगा "

अविनाश ने सोचा " जब ओखली में सिर रख ही दिया है फिर मूसल से क्या डरना " उसने घड़ी देखी दोपहर के तीन बज चुके थे । उसने फटाफट गमले में पौधे, ट्रांसफर करने शुरू कर दिए । सारे गमले तैयार हो , टैरेस में सज गए ।

रागिनी बादलों से घिरेआकाश की ओर देख कर 

बोली "मुझे यह मौसम बेहद पसंद हैं ।आज तो मैं बारिश में जरूर नहाऊँगी "

अविनाश मुस्कुरा कर बोला "मैं तो सुबह से ही , ऐसा नज़ारा देखने को बेताब हो रहा हूं , अगर तुम साड़ी पहन कर , रैन डांस करो मेरे संग ,तो समझो मेरी बरसों की मुराद पूरी हो जाए, जो ,फिल्म देखते समय हीरोइन को, बारिश में भीगते ,देखकर जागी थी "

यह सुनकर रागिनी मुस्कुराई और बोली "इसमें कौन सी बड़ी बात है मैं अभी आई "उसे नीचे

 उतरता देखकर अविनाश बोला "पीली शिफान की साड़ी पहनना " 

 आधे घंटे बाद ,वर्षा की तेज झड़ी लग गईं । अविनाश रागिनी के ऊपर आने का ,इन्तजार करना छोड़ कर , बारिश का आनंद उठाने लगा ।बारिश में लगातार भीगते हुए ,उसे छींके भी आनी शुरू हो गई मगर रागिनी अभी तक ऊपर, चढ़ कर नही आई ।


वो गुस्से से नीचे उतर कर आया और बाथरूम में गीले कपड़े बदल कर, जब ड्राइंग रूम में पहुंचा तो देखा रागिनी अपनी सहेलियों को, चाय पकौड़े सर्व कर रही थी उसे देखकर बोली "अरे आपके अचानक छुट्टी लेने से मैं तो भूल ही गई थी कि आज हमारे घर "किटी" हैं । नीचे जैसे ही उतरी तो देखा ये सभी दरवाजे की घंटी बजा रही थी मैने आपको मैसेज और फोन दोनो कर दिये , शायद आपने देखा नही "अविनाश क्या कहता कि झमाझम बारिश में फोन उसने सीढ़ी के पास रखा हुआ था और वो बारिश में भीग रहा था ।

"आइए भाईसाहब ये मेरे हाथ के बने घेवर को चख कर देखिए और मीनू के ढोकले तो लाज़वाब है ये अंजू के छोले और रूपाली के कुलचे भी कमाल है ।..."सुनीता बोलती जा रही थी कि अविनाश के बैंक से फिर काल आ गई ।

वो फोन  का बहाना कर, बेडरूम में आ गया । फोन उठाते ही, दो तीन छींक, निकल गई  । उधर से फिर पूछताछ होने लगी और उसे कोरोना रिपोर्ट निगेटिव होने पर ही, बैंक आने का ऑर्डर मिल गया । अविनाश ने गुस्से से फोन पटक दिया ।बैठक में समवेत स्वर में महिलाएं गा रही थी 

"रिमझिम गिरे सावन ,सुलग सुलग जाएं तन ,

भीगे आज इस मौसम में , जानें कैसी है अगन "




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