Deepa Pandey

Romance

4.8  

Deepa Pandey

Romance

सच्चा प्यार

सच्चा प्यार

6 mins
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कॉलेज में कुछ दिनों में ही मेधा ,अंशिका ,प्रांजल और कार्तिक अच्छे दोस्त बन गये ।।एक दुसरे को नोट्स देना ,किताबे देना और ढेर सारी गॉसिप करना ।वेलेंटाइन नजदीक आ रहा था ।कॉलेज में इसका असर दिखने लगा ,चाकलेट डे ,टेडी डे के बाद अब रोज डे भी आ गया ।कार्तिक लाल गुलाबों का गुलदस्ता अपने बैग में रखे हुए था प्रांजल ये देखकर बड़ा हैरान हुआ ।

“ ये बगीचा किसके लिये लेकर घूम रहा हैं ?” प्रांजल ने पूछा 

“ अंशिका  के लिये ” कार्तिक ने कहा तो प्रांजल ने गहरी साँस भरते हुए कहा ।

“ यार तेरे जवाब ने मेरी जान बचा ली वरना मैं आज ही तेरी जान ले लेता या अपनी दे देता ”

“ चल नौटंकी न कर ज्यादा ,अब तू , मेरा एक कामकर ,ये फूल अंशिका  को दे आ मेरी तरफ से ,उसका दिल भी टटोल लेना अगर उसकी हाँ हुई तो ठीक वर्ना मेरी दोस्ती भी टूट जायेगी ।तू पूछकर देखना फिर कहना कि मैं मजाक कर रहा था ” कार्तिक ने कहा ।

अंशिका और मेधा दोनों कॉलेज की केन्टीन में बैठी ,कॉफ़ी के घूंट भरती हुई, सोच में डूबी हुई थी ।दोनों के हृदय में एक ही नाम गूंज रहा था “प्रांजल ”।दोनों यही सोचकर चुप थी कि कही इस बार भी दोनों की पसंद एक ही हुई तो ??? एक जैसे दो प्रांजल कहाँ से लायेगी ।इसी वजह से वे एक दूसरे को अपनी पसंद बताने की जगह , इस विषय के अतिरिक्त हर विषय पर बतियाती रही । वे दोनों तो बचपन से ही , सहेली से ज्यादा बहनों की तरह,

 रहती आई हैं तभी सामने से प्रांजल अपने दोनों हाथ पीछे किये , आता दिखा ।दोनों के दिल की धडकन रुक सी गयी ,जरुर उसके हाथों में गुलाब हैं ।किसे प्रपोज करेगा ? 

प्रांजल आया और घुटनों के बल बैठ गया और मेधा से बोला “ क्या तुम इसे कुबूल करती हो ”

मेधा को विस्वास ही नही हुआ उसका चेहरा गुलाब सा खिल उठा उसने जैसे ही सीट से खड़े होकर हाथ आगे बढ़ाया ,प्रांजल ने अपना हाथ घुमा दिया और अंशिका से बोला “क्या तुम्हें कुबूल है ” अंशिका भी खिल उठी उसने झट से हाथ आगे बढ़ा दिया ।प्रांजल ने अपना हाथ पीछे खीच लिया “ अरे पहले पूरी बात तो सुनो ,यह कार्तिक ने भेजा है ” यह सुनते ही अंशिका “धत्त ” बोलकर बैठ गयी और कहने लगी “ तुम्हारी बात का कौन विस्वास करेगा चल झूटे ”

बात बिगड़ती देख प्रांजल बोला “ अरे यार मैं मजाक कर रहा था ,आज पूरा बुके उठा लाया मगर कोई नजरों में जची ही नहीं ,अब इन खूबसूरत फूलों को फेंकने से बेहतर हैं कि तुम दोनों ,इन्हें आधा आधा बाँट लो ” ।तभी कार्तिक भी आ गया और चाय समोसे का आर्डर देकर बोला 

“ प्रांजल ये गुलाब लेकर क्यों घूम रहा है ?”

“ अबे तूने ही तो दिए थे ,अब बात बना रहा है ”

“ किसी लडकी ने तुझे घास नहीं तो अब मेरा नाम ले रहा हैं ” कार्तिक उसे चिढ़ाते हुए बोला ।

“ हाँ चल मैं झूठा ही सही, पर सच तो यह है कि तेरे नाम से, ये दोनों ही फूल लेने को तैयार न हुई ” प्रांजल ने कहा तो कार्तिक खिसिया गया और बोला “ मैं तो येल्लो गुलाब लाना चाहता था फ्रेंडशिप के नाम पर ,लेकिन येल्लो तो खत्म हो गये थे तो रेड रोज ही ले आया ”

“कोई बात नहीं अब इसे यही खत्म करो ,हम चारों ही बेस्ट फ्रेंड है ” मेधा ने कहकर बात वही खत्म कर दी ।

धीरे धीरे मेधा को अहसास होने लगा कि प्रांजल , उसे ही इम्प्रेस करने में लगे रहता हैं ।अंशिका तो शुरू से ही कम बोलती थी अभी भी ज्यादातर चुप ही रहती ।उसे भी यह अहसास होने लगा था कि मेधा का वाक् चातुर्य, सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेता हैं।

मेघा उस दिन प्रांजल को अकेले ,अपने घर आया देख चौंक उठी ।अपनी माँ से उसका परिचय करा कर ,वह उसे अपने लॉन में ले आई ।

“ खूबसूरत बगीचा , लेकिन तुमसे कम ” प्रांजल ने कहा  

“ बहुत बातें बना लेते हो ।आज इधर कैसे ?” मेधा मुस्कुरा कर बोली ।

“झूट नहीं बोलूँगा ,आज सिर्फ और सिर्फ अपने दिल का हाल बताने आया हूँ ” यह कहकर उसने एक सुर्ख लाल गुलाब तोडकर ,मेधा की ओर बढ़ा दिया ।

मेधा के गाल भी सुर्ख हो उठे ।उसने शरमाकर अपनी नजरे झुका ली ।

“ ओह आज मेरे दिल को बड़ा सुकून मिल गया ।पहले मुझे लगा था कही तुम्हे कार्तिक न पसंद हो ,मगर वेलेनटाईन डे पर यह बात क्लियर हो गयी थी जब तुमने कार्तिक के नाम पर अपने हाथ पीछे कर लिये थे ”

“ वैरी स्मार्ट ,मगर कार्तिक के नाम पर तो अंशिका ने भी अपने हाथ पीछे कर लिये थे ।तो क्या वो भी तुम्हें ही चाहती हैं ?” मेधा ने अपनी शंका जाहिर की ।

“उस दिन कार्तिक ने अंशिका के लिये ही गुलाब दिए थे ,तुम्हारे नाम से देता तो मैं क्यों लाता ? उसे अंशिका ही पसंद हैं ”

“ बात कार्तिक की नहीं ,अंशिका की हैं ,वो भी शायद तुम्हें ही पसंद करती हैं ।अब क्या होगा ?वो सोचेगी मैंने उसके साथ चीटिंग की हैं । ”

“ कैसी बाते कर रही हो ? इसमें चीटिंग कहाँ से आ गयी ।प्यार दो इंसानों के दिलो के बीच पनपने वाला पुल हैं ।

जब दो दिलों के बीच सेतु बन जाता हैं तो एक दुसरे का दुःख ,दर्द , ख़ुशी सभी भावनाये ,भौतिक रूप से ,कितनी भी दूर हो महसूस हो जाती हैं ।यह अहसास सिर्फ प्यार में डूबे दिल ही महसूस कर पाते हैं “प्रांजल ने समझाया ।

“ मगर मेरी प्रिय दोस्त अंशिका ,उसका दिल टूट जाएगा ।वो भी मेरे दिल के बेहद करीब हैं उसका दुःख मुझे महसूस हो रहा हैं ” मेधा व्याकुल हो उठी “ नहीं नही ,अगर तुम मुझसे सच्चा प्यार करते हो तो अंशिका को अपना लो ।मैं तुम दोनों को साथ में सुखी देखकर ,ही खुश हो जाऊँगी ”

“ नहीं नहीं मैं ऐसा नहीं कर सकता ,अंशिका को मैंने कभी अपनी प्रेयसी के रूप में नहीं देखा ” प्रांजल ने मना कर दिया ।

“ तुम्हें मुझे भी भूलना होगा ,मैं अपनी बचपन की साथी का दिल नहीं तोड़ सकती ” मेधा ने गुलाब का फूल क्यारी में फेंक दिया ।प्रांजल अपने घर लौट गया ।

कॉलेज सामान्य रूप से चलता रहा ।एम् बी ए की , परीक्षाये समाप्त हो गयी ।सभी कम्पनियों के , साक्षात्कार में व्यस्त हो गये ।

मेधा के घर आज सुबह से साफ़ सफाई के साथ पकवान बन रहे थे ।मेधा के पूछने पर माँ ने बताया कि आज उसके पिताजी के मित्र ,अपने बेटे के लिये ,तेरा हाथ मांगने आ रहे हैं ।मेधा का दिल कसक उठा ।मगर उसने अपने दुःख को जाहिर न किया ।

शाम को मेहमानों की जगह, प्रांजल के परिवार को देख कर, वो चौंक गयी ।वो जानती थी कि उसके पापा और प्रांजल के पिता कभी मित्र थे ही नहीं फिर माँ ने झूट क्यों बोला ?

तभी अंशिका उसके पास आकर बोली “ मेरी त्याग की देवी , तुझे त्याग करने की कोई जरूरत नहीं ,प्रांजल ने मुझे सब बता दिया था ।प्रांजल तुझे बहुत चाहता है और तू भी तो उसे चाहती है फिर बिना बात दूरी क्यों बढ़ाई ?”

“ अंशिका तू भी तो ?”

“ धत्त पगली ,मैंने कब कहा कि मुझे प्रांजल से प्यार है ।अपने मन से सब सोच कर बैठ गयी ।जा ड्राइंग रूम में ,सब तेरा इंतज़ार कर रहे हैं ”

मेधा के जाते ही ,अंशिका के आंसू बह निकले उन्हें पोछ कर बुदबुदाई “ प्रांजल मैंने तुम्हें और मेधा को आपस में मिला कर ,अपना सच्चा प्यार, साबित कर दिया । मेरे एकतरफा प्यार का तो, यही हश्र होना था ।मगर फिर भी मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि मैं तुम दोनों से ही ,पागलों की तरह, प्यार करती हूँ ”

 



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