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Deepa Pandey

Children Stories

4  

Deepa Pandey

Children Stories

नई सीख

नई सीख

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उस दिन भी हमेशा की तरह दादी जी चार बजे उठ गयी .उन्होंने उठकर आगंन में बने शौचालय की बत्ती जलायी .वे अपने कुल्ला मंजन में व्यस्त हो गयी . दादा जी की आँख भी इसी हलचल से रोज ही खुल जाती हैं. वे उठे और आंगन का दरवाजा खोलकर ,आम के बगीचे की तरफ नित्य क्रिया के लिए चल दिए .  

अचानक उनकी नजर आम के पेड़ के नीचे बैठे सियार पे पड़ी .उसे देखकर उन्होंने उससे घुड़का “ चल हट्ट हट्ट ”

ऐसा सुनते ही सियार भाग जाते हैं, वे मनुष्य से नहीं उलझते .मगर वो  पागल सियार था .उसने लपककर दादाजी टांग में दांत गड़ा दिए .दादाजी अपनी टांग को झटका मगर वो अलग न हुआ . पलभर को दादा जी ने इधर उधर देखा, कोई डंडा न दिखा .तो उन्होंने सियार के जबड़े को अपनी पूरी ताकत से खीचा और उसे वैसे ही घसीटते हुए सूखे कुँए तक ले गये . वहां पहुँच कर उन्होंने, उसे पूरी ताकत लगाकर, कुंए में फेंक दिया .

“मुन्ना ,बहु कहां हो सब?”  खून से लतपत दादा जी ने, आगंन में आकर आवाज लगाई . 

 सभी सदस्य उनकी ऐसी हालत देख कर हैरान  रह गये .उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया .घाव गहरा होने से ,लगातार रक्तस्राव हो रहा था . दादाजी को रेबीज का इंजेक्शन लगाया गया और घाव में मरहम लगाकर खुला छोड़ दिया गया .जिससे इन्फेक्शन न फैले .

दादाजी बैठक में शांत बैठे थे . आठ वर्षीय वासु ,दादाजी की बहादुरी देख कर दंग रह गया .गावं वाले उनकी समझदारी और बहादुरी की बहुत प्रशंशा कर रहें थे . उनका कहना था कि यदि दुष्ट  सियार  गावं की तरफ दौड़ जाता तो आज कई जानवर और लोग ,उसका शिकार बन जाते  मगर दादाजी की  बहादुरी से, वो सूखे कुंए में पड़ा है .  

वासु ,दादाजी के पास, बैठ कर बोला “ दादाजी आप सियार से डरे नहीं ?”

“ नहीं बेटा ,डरना कैसा ,किसी भी मुसीबत के समय ,अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए।ठंडे दिमाग से सोचो तो , हल निकल आता हैं.घबराने से हम मुसीबत से निकलने का रास्ता नहीं सोच पाते   ”

“ दादाजी आज से, मैं भी व्यायाम करूंगा .मुझे भी आपकी तरह ताकतवर बनना हैं .अब मैं घंटो मोबायल और टी .वी . के साथ बैठकर, अपना समय बर्बाद नही करूँगा ”.

“एक प्रोमिस मैं भी करता हूँ कि अब खुले में ,शौच नहीं जाऊँगा .अपने घर में बने ,शौचालय का इस्तेमाल करूँगा ” दादाजी हंसकर बोले .

घर के सभी सदस्य उनकी बातें सुनकर हँस पड़े .दादा और पोता , दोनों की सोच बदल गयी थी ,उन्हें नई सीख मिल गयी थी .



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