पप्पू

पप्पू

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अपने दादाजी से पूछता हैं - गाँव के हर घरों में देखता हूँ। अपने अपने घरों में सभी गीता श्लोक “यदा यदा हे धर्मस्ये माँ फलेषु “ महाभारत , रामायण का बड़ा ,सा पोस्टर रघुकुल रित सदा चलीआई , लव कुश अश्वमेघ के साथ हो पोस्टर लगे हुए हैं। मैंने दादी से पहले पुछा इन पोस्टरों का महत्व समझाइये। दादी ने कहा- ये हमारे कर्म क्षेत्र को याद दिला हमारे जीवन की राहे सुगम कर जाते है।  

पप्पु वो कैसे ? 

दादी माँ ने कहा - कृष्णा उस युग में रक्षक बन। राम पुरुषोत्तम बने। 

दादी कहती -अब पप्पु तुम भी बड़े हो रहे हों। तुम क्या सोच रहे हो।  

पप्पु कहता है - माँ कहती है - शिवा से बड़ा कोई नही है। क्योंकि विष ,अमृत रस पान किया वही सब से बड़े है।  

पार्वती जैसी पत्नी दुर्गा का रुप धरा था सौ सौ सिंहों से बल शाली अष्ट भुजाओं वाली।

उनके पास बादल ,पवन ,चेतक जैसे घोड़े हो ना, आज के युग में गणेश जैसा सारथी, शिवा जैसा गाइड, विश्व शान्ति मानवता का राह दिखा पथ प्रदर्शक बन जाये।

दादी कहती - वाह वाह पप्पु जवाब नहीं ?


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