मिस्टी की सोच

मिस्टी की सोच

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मिस्टी नानी नानु के साथ मार्निग वाक् के लिये आई। नानी नानु जहाँ रोज़ योगा करते हैंं । वही एक स्मॉर्ट अंकल आंटी पहरावे से पाश्चात्य संस्कृति की झलक , उम्रदराज दोनों की अलौकिक ख़ुशी , कभी गिटार की धुन पर लीन , कभी रेड रोज़ डे, एक दूसरे को और आसपास के लोगों को भी मुस्कानो से अभिवादन कर प्रभावित करते । 

योगा सीखना ध्यान रखना लोगों को परखना , बुजुर्ग अंकल आंटी की मुस्कान ही पहचान होती । 

मिस्टी सोचती काश मेरे नानु नानी भी ऐसे होते सारे घर में ख़ुशियाँ छाई रहतीं ।मेरे नानी नानु की सारे दिन नोक झोंक चलती है । एक राम बोलता तो दूसरा रहीम एक आगे चलता तो दूसरा पीछे , जब शहर से बाहर जाते तभी खुश रहते हैं । क्योंकि घर से बाहर दोनों अपने अपने आर्डर दूसरों पर फ़ालो करते खुश रहते । तभी तो मामा मौसी और मम्मा खुश रहते कहते - इन्हें घर से बाहर ही अच्छा लगता हैंं । देखो नानी आप पैरों के दर्द की वजह। नहीं गई नानु के साथ ,नानु रोज़ लेकर आये हैं । नानी ने कहा - - "रोज़ क्या लाते हैं । मैंने तो कभी देखा ही नही रोज़ मार्निग वाक् से लौटने की जल्दी रहती हैं । भविष्य वाणी ना छूट जाये । क्योंकि उन्होंने बताया । उन्होंने नही नानी वो बुजुर्ग़ अंकल ने नानु को बताया । यदि उम्र दराज पति पत्नी को खुश रहनाहैं । तो रोज़ ताज़े लाल गुलाब से अभिवादन कर ताजगी बरकरार रखिये ।" आपकी पत्नी घर आगंन को फूलदान की तरह सजा कर रखेगी । 

नानी के चेहरे में खिलखिलाती मुस्कान छा गई । 

अब बुजुर्ग अंकल आँटी मार्निग वाक् योगा के घनिस्ठ मित्र बन गये । कहते हैं चलो हम सब चल एक मुहिम चलाएं । सबके चेहरों में मुस्कान लाएंग ।



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