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Anita Jha

Drama

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Anita Jha

Drama

कठपुतलियाँ

कठपुतलियाँ

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मिस्टी अपने कबर्ड में सभी राज्य की बेजान कठपुतलियों का पेयर सजा कर रखा है। 

घर के बाहर राज्य में किसी भी काम से कोई सदस्य बाहर जाते। 

कहती - मुझे तो जयपुर के जैसी सजी सँवरी सुंदर कठपुतली चाहिये। जिसे अपने अनुसार नचा सकूँ ? 

मम्मी कहती - इतनी बड़ी हो गई ?कठपुतलियाँ नचाने से बाज नही आती। 

मिस्टी कहती - ये भी एक करिश्मा है। जिस राज्य की कठपुतली है। वहाँ बोली भाषा खान पान गीत संगीत नित्य सब सीखना होगा। 

जितनी सरल दिखती है नहीं ! अपने हुनर से सब का मन जीत लेती। 

पढ़ाई लिखाईये मेट्रिक तक। 

पिता ने कहा - रोज़गार भी तो नहीं मिल रहा हैं।

हुनर से कैसे आगे बढ़ जायेगी। हुआ भी यही मिस्टी ने चार महीने में २०० कठपुतलियाँ बना ली। हर राज्य में मेले का आयोजन किया। जीत हासिल की उसकी सारी कठपुतलियाँ बिक गई। और जिस परिवार ने उसे अशिक्षा के कारण अस्वीकार कर कहा था। हम इसे बहू बना ले जा कर क्या करेंगे ? हमारे यहाँ सारी बहुएँ उच्च शिक्षित विदेश में नौकरी करती है। 

ये तो इस कठपुतली की तरह है। 

आज उसी घर के सबसे छोटे लड़के ने उसे पसंद किया यही मेरी असली जीवन संगनी साबित होगी। मैं विदेश की नौकरी छोड़ आया। यहीं से विदेश व्यापार शुरू करूँगा।


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