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Ratna Sahu

Classics Inspirational

4  

Ratna Sahu

Classics Inspirational

पोते का इंतजार है?

पोते का इंतजार है?

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सारा काम समय से खत्म कर कमला अपने पल्लू में हाथ पोंछते हुए राधिका जी के सोफा के पास आकर बैठ गई। वह कुछ कहना चाह रही थी पर संकोच बस बोल नहीं पा रही थी।

सारा काम खत्म हो गया कमला ?

" हां सेठानी जी।"

"अच्छा! तू बैठ मैं दो कप चाय बनाकर लाती हूं।हम दोनों साथ में पिएंगे।"

"नहीं-नहीं मालकिन! मुझे चाय नहीं पीनी। आप पीयेंगी तो मैं बना कर लाती हूं।"

"तू रहने दे, बहुत ज्यादा चीनी डाल देती है और चल तू भी मेरे साथ पी ले। एक कप ज्यादा चाय पी लेगी तो कुछ नहीं होगा।"

राधिका जी उठकर रसोई में जा दो कप चाय बना लाई, एक कप खुद और एक कमला को देकर पीने लगी।

कमला हर एक घूंट के साथ कुछ कहने के लिए मुंह खोलती पर बोलते बोलते रह जाती।

"क्या हुआ कमला ? कुछ कहना चाहती हो ?"

"हां.. सेठानी जी!"

"तो बोलो क्या बात है ? पैसे चाहिए ?"

"नहीं-नहीं"

"तो फिर छुट्टी चाहिए।"

"हां..

"तो बोलो ना, शरमा क्यों रही हो ?"

मालकिन छुट्टी तो चाहिए लेकिन एक दिन कि नहीं कम से कम 15 दिन की।

"15 दिन की क्यों ? कहीं जा रही हो ?"

"हां मालकिन जरा गांव होकर आती हूं।"

"लेकिन अचानक से क्यों ?"

" वो बहुत खुशी की बात है मालकिन, मैं दोबारा दादी बनने वाली हूं। बहू का अंतिम महीना चल रहा है। कभी भी हॉस्पिटल चली जाएगी। पिछले 1 महीने से तो उसकी मां संभाल रही है अब अगर इस समय नहीं जाऊंगी तो फिर बहू बुरा मान जाएगी, हो सकता है नाराज भी हो जाए। इसलिए जाना जरूरी है। कल रात को ही बहू ने फोन किया, मम्मी कब आ रही हो ? जबसे आवाज सुनी हूं बहू की, मन नहीं लग रहा जी चाहता है कब भाग जाऊं ?"

"अच्छा दोबारा दादी बनने जा रही है, एक पोती है तो क्या अब पोते का इंतजार है ?"

"नहीं नहीं मालकिन, मैं पोते पोती का नहीं बस एक स्वस्थ बच्चे का इंतजार कर रही हूं। भगवान से दिन रात यही प्रार्थना करती हूं, जो भी हो स्वस्थ हो, मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहना चाहिए और कुछ नहीं। फिर आज के समय में क्या बेटा और क्या बेटी सब एक जैसा ही है। वैसे भी बहू का पहला बच्चा ऑपरेशन से हुआ है और यह बच्चा भी ऑपरेशन से ही होगा तो थोड़ा डर लग रहा है। और सच कहूं मालकिन तो मैंने बहू को पोता तो दूर दूसरा बच्चा लेने के लिए भी नहीं कहा। उसकी तकलीफ देखकर मैंने तो कहा भी, एक बच्चा ही काफी है पर मेरे बेटे बहू का कहना है कम से कम दो बच्चे चाहिए। तो पोता हो या पोती मुझे दोनों में खुशी होगी बस बच्चा स्वस्थ होना चाहिए।"

"हां, तुम्हारा कहना सही है लेकिन एक पोता हो जाएगा तो बेटे बहू का परिवार पूरा होने के साथ बुढ़ापे का सहारा भी हो जाएगा और तू भी जीते जी पोता खिला लेगी। एक दादी के लिए इससे और खुशी की बात क्या होगी ?"

"नहीं-नहीं मालकिन, मेरे लिए तो खुशी की बात यही है कि फिर से दादी बन रही हूं और बेटी से भी परिवार पूरा होता है। वैसे देखिए तो आजकल बेटियां ही ज्यादा जिम्मेदार है। पढाई, नौकरी, दो परिवार के साथ सारे रिश्ते नाते भी संभाल लेती है। अभी देखिए ना मैं दो बेटे की मां हूं, परिवार से दूर रहती हूं। बेटा कभी कभी फोन करता है लेकिन बहू अक्सर फोन करती है, हालचाल पूछती है। गांव भी जाती हूं तो खाने पीने से लेकर दवाई का भी वही ख्याल रखती है। कभी मुझे डॉक्टर के पास जाना हो या दवाई मंगानी हो तो बेटे को नहीं बहू को ही बोलती हूं। अगर कभी बेटे को बोल भी दिया तो अपनी पत्नी को ही कहेगा करने के लिए। दिन हो या रात कभी भी आवाज लगाऊं तो बेटे से पहले बहू ही भाग कर आती है, कभी बेटे को आवाज भी लगाऊं तो बहू को बोलेगा देखो मम्मी क्यों आवाज लगा रही है ? और सिर्फ मुझे ही नहीं अपने मायके में भी सब का हाल-चाल, खोज खबर रखती है। इसीलिए, मैं कहती हूं बेटे से ज्यादा जिम्मेदार बेटियां होती है।वे एक नहीं दो दो घरों का मान रखती है, तार देती है। आप बड़े लोग हैं आशीर्वाद दीजिए कि बहू की जच्चगी अच्छे से हो जाए, मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहे।"

राधिका जी कुछ देर के लिए चुप हो गई फिर बोली ठीक है ले ले छुट्टी।

कमला ने धन्यवाद किया और जल्दी वापस आने की बात कर खुशी-खुशी चली गई।

इधर राधिका जी को कमला की कही बातें दिमाग में घूमने लगी। उन्हें याद आ गया 6 महीने पहले उसकी बहू ने भी दूसरी पोती को जन्म दिया। पोते का इंतजार कर रही राधिका जी बहू और पोती को हॉस्पिटल देखने तक नहीं गई। फोन पर कितना सुना दिया बहू को और उनके मायके वालों को। तुझे तो मां की परछाई लग गई। मां को भी लगातार तीन बेटियां ही हुई और तुम्हें भी। जैसे तुम्हारी मां के जैसे तुम्हे भी बेटा नहीं हुआ। मेरे खानदान को एक वारिश नहीं दिया। बेटे बहू ने लाख समझाया लेकिन वह एक नहीं सुनी। सवा महीने बाद जब बहू बच्चे को लेकर आई तो तेल मालिश करना, नहाना, लाड़ प्यार तो दूर कभी गोद में भी नहीं लिया। इतना ही नहीं बड़ी पोती को भी जब तब झिड़क देती अपने पीछे बहन ही ले आई भाई लाना चाहिए था तुझे।

बेटा ने कितना समझाया पर वो एक नहीं सुनी। मां का व्यवहार देख धीरे-धीरे बेटा भी दुखी होने लगा और एक दिन पत्नी और बच्चों के साथ शहर चला गया। तबसे राधिका जी यहां अकेली रहती हैं। बेटे बहू बात तो करते हैं लेकिन सिर्फ हाल-चाल और इधर-उधर की बातें। ना वो कभी आने की बात करते हैं और ना ही राधिका जी आने को कहती हैं।

सोचते सोचते मन बेचैन होने लगा। एक अनपढ़ काम वाली, जिसके पास ना तो ढंग के खाने के हैं ना रहने के फिर भी कितनी अच्छी और हिम्मत भरी बातें कही, सोच की कितनी धनी है और एक मैं पढ़ी लिखी हो कर भी सोच नहीं बदली, बहू को कितना सुना दिया, कभी पोती को गोद में नहीं लिया, बेटा बहू नाराज हो कर चले गए। सोचते सोचते फोन लिया और बेटे को घर आने फोन कर लगी कि अचानक रुक गई। सोचने लगी क्या वह आएगा ? उसे तो यही लगेगा कि मैं अकेली नहीं रह पाई इसीलिए पोती को देखने के बहाने बुला रही हूं। नहीं-नहीं मैं ही चली जाती हूं लेकिन क्या यह बेटे बहू को पसंद आएगा.. ?

हे भगवान क्या करूं ? कुछ समझ नहीं आ रहा। काश! मेरे पास कोई सुपर पावर होता है जिससे मैं बेटे बहू के सामने यह दिखा पाती कि अब मेरी सोच बदल गई है, मुझे दोनों पोतियों से प्यार है, चलो हम साथ में रहते हैं। यही सब सोचते हुए वहीं सोफे पर बैठ गई।

तभी अंतरात्मा से आवाज आई। अरे, तुम तो मां हो और मां में तो भगवान का दिया हुआ अनोखा ममता का सुपर पावर होता है। याद कर जब बेटा छोटा था दिन में सैकड़ों बार रुठता था और कैसे एक आवाज देने पर भाग कर पल्लू में छुप जाता था। तू एक बार आवाज तो दे देखना वह फिर भाग कर आएगा।

वह तुरंत उठी और पैकिंग करने लगे बेटे बहू के पास जाने के लिए।

अभी पैकिंग करके हुआ है कि डोर बेल बजी खोला तो सामने बेटा बहू और दोनों बच्चे थे। देखते ही सब को बाहों में भर जोर जोर से रोने लगी। बेटा, तेरी मां से जो गलती हो गई उसे भूल जा, मुझे दोनों पोती से प्यार है,अब कोई पोता नहीं चाहिए यही दोनों मेरे खानदान की वारिश है। मैं बहुत खुश हूं।

"मां, आप क्यों रो रही हैं ? हम बिल्कुल नाराज नहीं हैं और गलती आपसे नहीं हमसे हुई है मां कि आपको अकेला छोड़कर चला गया। हमें माफ कर दीजिए मां। हम तो कुछ दिनों के बाद ही वापस आने वाले थे फिर जाॅब का ट्रांसफर और गुड़िया की पढ़ाई चल रही थी इसलिए नहीं आ पाए। अब सब हो गया हम सीधा अपने घर को निकल गए और हां आने से पहले आपको नहीं बताया कि आप की पोती की फरमाइश थी कि हम दादी को सरप्राइज़ देंगे। इसलिए आपको नहीं बताया।"

दादी दोनों पोतियों को बाहों में भर कर प्यार करने लगी।

दादी एक और सरप्राइज़ है।

"वो क्या..!"

ये कि अब हम वापस आपको छोड़कर नहीं जाएंगे,अब हम सब हमेशा एक साथ रहेंगे। आप मुझे कहानियां सुनाओगी ना ?

हां मेरी बच्ची, खूब सुनाऊंगी।

बोलते हुए राधिका जी हंसने लगी और साथ में बेटे बहू भी।


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