प्लास्टर
प्लास्टर
पूरे समय वह केवल धृष्टता करता । न खुद पढ़ता न दूसरों को पढ़ने देता । सारे विद्यार्थी और शिक्षक उससे परेशान थे । किन्तु नेता का बेटा होने के कारण सब चुप रह जाते । उसके उत्तीर्ण होने की कोई संभावना नहीं थी ।
नेताजी ने एक अच्छे राइटर की व्यवस्था करवाई और वह सीधे हाथ में बड़ा- सा प्लास्टर चढ़ाए शाला में प्रविष्ट हुआ ।
