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Vandana Dubey

Drama

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Vandana Dubey

Drama

समझ और भाषा

समझ और भाषा

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सामान्य रूप से केतकी किसी सामाजिक संस्था का हिस्सा बनने से गुरेज करती थी, किन्तु शिक्षकों को आमंत्रित करने से संस्था का विद्यार्थी हितैषी होने का संदेश केतकी को प्रभावित कर गया।

बहुमत से केतकी को अध्यक्ष चुना गया। केतकी अपने अनुभव और ज्ञान के द्वारा अच्छी दिशा में परिवर्तन करने को कटिबद्ध, थी पर थोड़े ही दिनों में नकली चेहरे धुलने लगे और केतकी के काम में अड़ंगा बनने लगे। इस बीच केतकी ने सबूत के साथ पर्चे तैयार किये और सारे समाज में उन्हें बँटवा कर समाज जनों की एक मीटिंग बुलाई।

समाज के ठेकेदार जो अब तक संस्कार ,सभ्यता और मर्यादा पर भाषण देने में सिद्धहस्त थे। अपनी मर्यादाएँ भूल गए।

केतकी उनका जो चेहरा सबको दिखाना चाहती थी ,वह स्वतः ही सबके सामने आ गया।

"दीदी , आपके पास समझ भी है और भाषा भी"

-कहते हुए अभिषेक ने जोर से ताली बजाई।

सभा में से एक ताली और बजी, फिर एक और अब पूरी सभा तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज रही थी। आज सम्मान ने अपना घर बदल लिया था।


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