दुर्भाग्य
दुर्भाग्य
मनु बोल नहीं पा रही थी किंतु जब स्ट्रेचर से उसे आई सी यू से बाहर लाया गया तो उसकी आँखों में एक चमक थी, पर जैसे ही डायलिसिस रूम की ओर बढ़े वह बेचैन हो उठी, तेजी से हाथ हिलाने लगी। डायलिसिस शुरू हुए अभी पाँच मिनट ही बीते थे कि वह इतनी बेचैन हुई कि उसने आँख फेर ली और यही शायद उसकी अंतिम सांस थी।
पूरा स्टाफ आसपास खड़ा था, वह सिर झुकाए वह स्पेशलिस्ट डाॅक्टर भी, जिसने डायलिसिस की सलाह दी थी। नम आँखों से रेणु ने उससे पूछा-
"सर, ये डायलिसिस नहीं होता तो शायद-----।"
ये अनफोर्च्युनेटली हुआ "- डाक्टर बोला।
रेणु ने उसके चेहरे पर अपनी आँखें गड़ा दी-
विज्ञान गर्दन झुकाए खड़ा था और दुर्भाग्य उसका मजाक उड़ा रहा था।
