Ragini Pathak

Abstract Romance

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Ragini Pathak

Abstract Romance

पहली मुलाकात

पहली मुलाकात

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एक औरत के जीवन मे बहुत से पड़ाव आते हैं। लेकिन जब एक लड़की की शादी की उम्र होती है। तो शादी तय होने के बाद से लेकर शादी होने तक के बीच का जो सफर होता हैं ।वो हर औरत के जीवन मे बहुत ही खास होता हैं।

रिया और अजय की इंगेजमेंट हो चुकी थीं. लेकिन रिया के घर में बिना शादी पूरी हुए ....…फोन पर बात करना और मिलना मना था।

पापा अमरदीप जी के फ़ोन पर ही रिया के होने वाले पति अजय का फ़ोन आता था, और वही आपस मे बात कर के रख भी देते।

एकदिन अमरदीप जी के फोन पर अजय का फोन आया। रिया के पापा बाथरूम में मम्मी रसोई में थी, और फोन की रिंग बज रही थीं।

तभी मम्मी की आवाज़ आयी।" अरे!रिया फोन उठा के देखो.... किसका है?"

रिया ने जा के फोन उठाया !

" हेलो"! बोलते ही उधर से आवाज़ आयी।

बाबुजी प्रणाम!" अजय बोल रहा हूं। "

इतना सुनत ही तो ....जैसे रिया की धड़कने ही रुक गयी।

बहुत हिम्मत कर के कह पायी।" जी पिताजी थोड़ी देर! में आपको फ़ोन कर लेंगे । मैं उनको बतादूँगी। "

फोन रखने ही जा रही थी, कि उसे अजय कि आवाज़ आयी।

"सुनिये !कल मिल सकती है क्या ?"

" दोपहर में 3बजे कोशिश कीजिएगा। मैं इंतजार करूँगा। आप के घर की मोड़ पर मैं रहूंगा बाइक पर रखता हूं।"

'बिना जवाब सुने ही" ..."अजय ने फोन रख दिया।"

रिया ने मन ही मन निश्चय किया.... "कि वो नही जाऊंगी।"

लेकिन अगले दिन सुबह से ही मन में मिलने की बेचैनी बढ़ती जा रही थीं ।

"कभी मन हाँ कहता..... कभी ना।"

तभी रिया ने अपनी मां से कहा"माँ मेरी सहेली अंजना से मिलने का मन हो रहा था। फिर पता नही कब मिलना होगा? मिल आऊँ..... बोलो तो ...उसकी तबियत नही ठीक है, वरना उसे ही बुला लेती।"

माँ ने कहा"ठीक है। लेकिन जल्दी आ जाना बरसात का समय है।"

रिया ने झट से हाँ तो कह दिया..... लेकिन सोचने लगी ।

"कि झूठ क्यों बोला माँ से ?....

"सच बता देना चाहिए था।"

खैर! मन की उलझनों और डर के साथ तैयार होकर मिलने के लिए रिया अजय से घर से आ गयी। तय समय और जगह के हिसाब से अजय रिया का इंतजार वहीं कर रहा था ,हेलमेट पहने हुए अजय को रिया ने पहचान लिया लेकिन मन मे अजीब एहसास तभी अजय ने रिया को बाइक पर बैठने का इशारा किया। बाइक पर एक दम सीधा हो के और पर्स को बीच मे रखकर रिया बैठ गयी।

थोड़ी दूर जाने के बाद अजय ने कहा"मुझे ऐसा क्यों लग रहा हैं ?जैसे कि तुम मुझसे डर रही हो। मैं तुम्हें भगा के जबरदस्ती से ले जा रहा हूं।"

रिया को इतना सुनते ही हँसी आ गयी। और अजय ने मुस्कुराते हुए .."उसका पर्स ले के, बाइक के हैंडल पर लटका लिया। रिया ने पहली बार अजय को स्पर्श किया। अजय के कंधे पर हाँथ रख के दोनों चल दिये। तभी इतनी जोर की बारिश शुरू हो गयी। जिसकी उम्मीद भी नहीं थी। बिजली की कड़कड़ाहट के साथ जोरदार बारिश जिसमें बाइक चलाना मुश्किल था।

प्यार भरी बातें .... करने का ख्वाब रिया को भूल गया ।सब भूलकर रिया को डर के रोना आ गया ।कि अब घर कैसे जाऊंगी?क्योंकि सोनभद्र की पहाड़ियों पर ऑटो रिक्शा नहीं चलते थे।

उसे ऐसा रोता देख के अजय ने रिया को गले से लगाया और चुप कराने लगे। और हँसते हुए कहा" इसमें डरने की क्या बात है?"

" तुम अपने होने वाले पति के साथ हो"......

"गलती मेरी है "...

"मैंने तुम्हें मिलने बुलाया" ......

"मै चल के बाबुजी से सच बता के माफी मांग लूंगा।" "अब तो ये रोना बंद करो।"

"और रिया के माथे पर किश किया।"

थोड़ी बारिश रुकी। तो अजय ने रिया को घर के बाहर छोड़ा और कहा"मैं चलता हूं, सबको सच बता देता हूं।" लेकिन रिया ने मना कर दिया।

कि उसके बाद रिया ने अपने ही घर के अंदर डरते , सकुचाते प्रवेश किया।

उधर रिया की मां दरवाजे पर ही घबराई हुई सी तेज चहल कदमों के साथ रिया का इंतजार कर रही थी क्योंकि रात के 10 बज चुके थे।

रिया को देखते ही उसकी मम्मी ने बोला"कहां रह गयी थी ?.

"वो मम्मी बारिश इतनी तेज थी, कि अंजना ने रोक लिया। डरी और दबी आवाज़ में नजरें झुकाए अपना जवाब देते हुए कमरे में तेज कदमो से आ गयी।

तभी अपने सामने शीशे में मम्मी को मुस्कुराते हुए देखा और पलट कर उनको देखा तो उन्होंने कहा",ये लो फोन और अजय को पुछ लो घर पहुँच गए। औऱ हाँ ये उनका रेनकोट सम्भाल कर रख देना।"

इतना सुनते ही रिया को याद आया ।कि अजय ने अपना रेनकोट उसे पहना दिया था। और रिया शरमा के मम्मी के गले लग गयी।

अगले दिन ही रिया के पापा ने नया फोन रिया को लाकर दिया ।

अब आराम से दोनों की फोन पर बाते होने लगी। और उनकी शादी से ये प्रतिबंध भी हट गया। अब तो सभी फोन पर बाते करते है मिलते जुलते है।


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