फिल्मी जगत का मकड़जाल
फिल्मी जगत का मकड़जाल


फिल्मी जगत की एकता कपूर (बाला जी टेलिफिल्म्स) ने जिस तरह सेना के सैनिक की पत्नी को लेकर एक (वेब सीरीज ट्रिपल एक्स )बनाई। जिसमें भारतीय सैनिक की पत्नी को गलत चित्रण दिखाया। मुझे महिला होने पर एकता कपूर पर शर्मिंदगी महसूस हुई कि सेना के जवान की पत्नी पर हम गर्व करते हैं। जो अकेली घर परिवार और बच्चों को एक अच्छी परवरिश देती है और पति पत्नी मिलकर देश और समाज सेवा करते हैं और भारत में सभी लोग सैनिक और सैनिकों की पत्नियों का सम्मान करते है और हमे अपनी सैनिक बेटी - बहू पर गर्व महसूस होता है एक तरफ सैनिक पति भारत माँ की सेवा कर रहे होते हैं और दूसरी ओर पत्नी घर और समाज की जिम्मेदारी बड़ी कुशलता से निभा रही होती है। एकता कपूर ने फ़िल्म जगत में अपने सीरियलो में पहले सास- बहू- ननद के रिश्तों का मजाक बनाया और उनकी छवि को धूमिल किया हर रिश्ते को गंदे ढंग से प्रस्तुत किया और पुरुषों को भी कई - कई महिलाओं के साथ गंदे ढंग से प्रस्तुत किया जबकि आम घरों में ऐसा नहीं होता है अगर सारी दुनिया ऐसी होती तो यहां पर कुछ नहीं बचता।
आज एकता कपूर और बाला जी टेलीफिल्म्स इतने गिर गए कि सैनिको की पत्नियों पर अपनी गंदी मानसिक दिखा बैठी दिन पर दिन गंदे सीरियल बनाकर हमे और हमारे बच्चों के दिमाग में क्या भर रही है अब समय आ गया है कि एकता कपूर (बाला जी टेलिफिल्म्स) के सीरियलो का बहिष्कार करे और सरकार भी इसके सीरियलों को बंद करने का आदेश दे और हम सब भी मिलकर कदम उठाए नही तो भारत की सभ्यता और संस्कृति एक दिन ऐसे लोगों के कारण मिट्टी में मिल जाएगी और सुशांत सिंह राजपूत जैसे अनेक होनहार कलाकारों को फिर से आत्महत्या करते देखेंगे।
क्योंकि ऐसे बहुत से लोग समाज को गंदा करते है और आज आप देख ही रहे हैं कि समय कैसे तेजी से बदल रहा है और आए दिन की घटनाओं से कुछ सीख लेनी चाहिए अगर ऐसे लोगों को नही रोका गया तो समाज का विनाश पक्का है इनके गंदे सीरियलों ने कई घरों को बर्बाद कर दिया है और अगर कुछ नहीं किया तो हमे पछताना पड़ेगा!
एकता कपूर के साथ उन सभी लोगों का बहिष्कार होना चाहिए जिन्होंने सुशांत सिंह राजपूत को आत्महत्या करने के लिए मानसिक पीड़ा पहुँचाई और फिल्म अवार्ड देने के लिए बुलाकर नए कलाकारों की जो बेज्जती की जाती है! उसके लिए उन कलाकारों पर भी कार्यवाही होनी चाहिए शर्म आती है ऐसे कलाकारों को देखकर और साथ शर्म उन पर भी आती है जो नीचे बैठ कर तमाशा देख रहे होते हैं जबकि वो सीनियर और समझदार व्यक्ति भी हैं पर सभी एक ही थाली के चट्टेबट्टे दिखाई पड़ते हैं। उनकी हंसी मजाक इंसान को मानसिक रूप से पीड़ित और बेइज्जत कर देती है और इंसान काफी देर तक भूल नही पाता है क्या यही इन लोगों का चरित्र है।
फिल्मी जगत ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता को दूषित कर दिया है और हमें ऐसे लोगों को बहिष्कार करने की जरूरत है चाहे कोई सी भी फील्ड में क्यों न हो! समाज को गंदा करने वाले लोगों से समाज को बचाना होगा नही तो अपने पैसों और पावर से समाज में जहर घोल देगे। हम सबको मिलकर कदम उठाना होगा इस लेख से बहुत से लोगों को गुस्सा भी आ सकता है पर सच्चाई यही है कि इस देश में कोई भी पावरफूल इंसान लोगों की जिंदगी से खेलता रहता है और सच्चाई मैंने भी देखी है और वो अपने आप को मशीहा समझ लेते हैं पर ईश्वर सब देखता है और हंसता है न्याय उसके दरबार में होता जरूर है! आज सुशांत सिंह राजपूत के मर जाने पर ही सही कई लोगों की पोल खुलल गई और अब उनकी रातो की नींद तो उड़ ही गई होगी इंसाफ़ जो भी हों।
इज्ज़त कमाने में समय लगता है और उतारने में पल।