Rashmi Sinha

Romance Inspirational

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Rashmi Sinha

Romance Inspirational

पेंटिंग

पेंटिंग

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रोहित ने जब अपनी कार कला वीथिका के सामने पार्क की, तो वहां खड़ी लंबी और महंगी गाड़ियां देख कर, एकबारगी उसका दिल बैठ गया। हीन भावना उसके अंदर सर उठाने लगी।

 उसका यहां आने का कोई इरादा नही था, पर पत्नी अंजू के अनुरोध पर उसको आना पड़ा। उसकी पत्नी

कला पारखी थी,और आर्ट गैलरी में लगी उस प्रदर्शनी को वो मिस नही करना चाहती थी, पर एन टाइम पर उसके आफिस में कोई अर्जेंट काम आ गया, और फिर उसे यहां आना पड़ा।

अंजू ने अनुरोध किया था कि कोई अच्छी सी पेंटिंग समझ मे आये तो खरीद लेना।

अंदर के गलियारों में घूमते हुए, हर चित्र के सामने वो रुकता, और वहां जुटी भीड़ की वाहवाही सुनता, और अपनी समझ को कोसता हुआ आगे बढ़ जाता।

दरअसल उन अजीब तस्वीरों में भी सौंदर्य ढूंढ लेने वालों की मानसिकता पर भी उसे ताज्जुब हो रहा था।

और उन चित्रों के ऊंचे दाम??? धीरे धीरे हर चित्र के आगे से गुजरते हुए, उसे ऊब और खीज दोनो लग रही थी।

वापस लौटने का विचार कर रोहित बाहर आया,

बाहर की खुली हवा में ताजगी थी।

तभी उसकी नजर सड़क पर, पटरी पर कलाकृतियां लगाए एक युवक पर पड़ी, उसकी ओर

आकृष्ट होकर रोहित वहां पहुंचा। एक एक कलाकृति बेजोड़ थी। अचानक उसकी नजर एक मां और बच्चे की तस्वीर पर पड़ी।

अजीब सा सम्मोहन था उस तस्वीर में, वो एकटक उसे

देखता रहा।

दाम पूछा, 700 रुपये, अच्छा----, उसने कुछ विस्मय से पूछा।

साहब आप 100 ,50 कम दे देना।

अरे वो बात नही, तुम इसे पैक कर दो। घर लौटते समय वो उत्साह से भरा था।

सो वो गुनगुनाते हुए ही घर मे प्रविष्ट हुआ।

देखा!! में कह रही थी न, तुम्हे वहां जाकर अच्छा लगेगा, लाओ देखूं, क्या लाये हो ?

तस्वीर खोलती अंजू के हाथों को वो ध्यान से देख रहा था, और सुना, उसने अनावरण के बाद अंजू के मुँह से निकली वाह को भी-----

 और कैसी थी प्रदर्शनी ?

श्याम बेनेगल की फिल्में समझना सबके बस की बात नहीं, मुस्कुराते हुए उत्तर आया।


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