एक नई शुरुआत
एक नई शुरुआत
आज पल्लवी ऋषि के कमरे के सामने से निकली तो देखा वो गुमसुम से बैठा जाने क्या सोच रहा था। ठिठकी वो! और बाहर से ही पूछा, "ऋषि बेटा, क्या सोच रहा है? चौंक कर ऋषि चैतन्य हुआ", "कुछ नही मम्मी, आओ न।"
"अभी चाय बना कर आती हूँ, साथ बैठकर ही पियेंगे" कहकर पल्लवी किचन की ओर बढ़ ली।चाय बनाकर जब वो ऋषि के कमरे में पहुंची तो किंचित मुस्कुराकर, पुनः उसको छेड़ते हुए कहा, "ओहो! आज तनु अपनी मां के घर चली गई,"
"ये बात है, पत्नी की याद सता रही है।"
"जा तो रहा है उसे शाम को वापस लाने, समस्या क्या है?" वो पुनः हंसी---
इस बार ऋषि भी मुस्कुरा दिया, 'तुम भी मम्मी--अपने शरारती स्वभाव से बाज नही आओगी'? ऐसा करता हूँ, उसे एक दो दिन वहीं रहने देता हूँ,फिर अपन दोनो मौज करेंगे", कह कर खिलखिला दिया ऋषि।
फिर अचानक गंभीर होते हुए पूछा, मम्मी एक बात बोलूं? कहते हुए उसने पास पड़ा सिगरेट लाइटर उठाना चाहा जिसे पल्लवी ने आंखों से ही सख्ती दिखाते हुए, न उठाने की हिदायत दी।
"मां! तुम लोग चार बहनें थीं----"
"तो" पल्लवी का प्रश्न?
"तो ये कि जब नाना , नानी रहने आते थे तो पापा का हमेशा मुँह बन जाता था। कहते कुछ नही थे पर उनका कम बोलना---नाना, नानी को भी पता चल जाता था, और वे जल्दी वापस चले जाते, मुझे भी तब बुरा लगता था।"
ह्म्म्म, कहते हुए पल्लवी अचानक उदास हो आई।कुछ कटु स्मृतियां ताजी हो आई। आज न ऋषि के नाना, नानी रहे और न ही मानस--
पर मानस का व्यवहार? उसकी आंखें भर आईं। कुछ रुक कर ऋषि पुनः बोला, "मम्मी तनु भी अपने माँ, पापा की इकलौती संतान है। और तुम ही तो कहती हो कि भारत में शादी लड़के लड़की की नही पूरे परिवार की होती है। आधुनिक होते हुए भी तुम अपना ही कहा भूल गई?" एक झटका से लगा पल्लवी को सच मे ये सब उसके दिमाग से कैसे उतर गया?
उसका समझदार बेटा---आधुनिक थी वो कभी तनु को उसके मायके जाने से नही रोका किंतु उनलोगों के बुलाने पर भी कोई न कोई बहाना करके टाल दिया।
उन लोगों को भी कभी अपने घर न बुलाया, और न ही बेटी के सास ,ससुर को। ये कैसी भूल कर रही थी वो?
बेटी प्रज्ञा का विवाह भी इसी शहर में हुआ था। वो अक्सर मिलने आ जाती प्रज्ञा और तनु की पटती भी खूब थी।पल्लवी खुद को बुजुर्ग मानते हुए सब से कटती जा रही थी। ऋषि ने सही प्रश्न पूछा था। नही वो इस प्रश्न को अनुत्तरित नही रहने देगी।
क्या बात है ऋषि--,मुस्कुराई "वो तनु को फ़ोन कर दे, मैं भी आ रही हूँ उसके मम्मी, पापा से मिलने। कुछ अच्छा सा खाऊँगी। अरे हां प्रज्ञा को भी फोन कर दे अगले इतवार को पूरे परिवार के साथ आये खाने पर।" हौले से फिर हंसी वो तनु के मम्मी पापा को शाम को चलूँगी तो बुला लूंगी
अब तो हो गई न परिवारों की शादी?
हंसते हुए ऋषि मम्मी के गले मे बाहें डाल चुका था।