पड़ाव भाग २
पड़ाव भाग २
तभी टी डी मैडम तूफान की भांति अन्दर प्रवेश करती है। उष्मा को देख कर एटम बम के समान विस्फोटक हो जाती है। उष्मा तू गत रात्रि सरोज को अकेली छोड़कर कहां चली गई थी। मैम, मैं तो उसे अकेली नहीं छोड़ी थी। उसी ने मुझे कहा कि उसके टैंट में किसी और के सोने की बात है। मैं क्यों कर उसके टैंट में आई तथा उसका बात करने का ढंग मुझे अच्छा नहीं लगा। उस समय मुझे अनुभव हुआ कि यहां पर मेरा कोई मोल नहीं है। इसीलिए मेरे लिए कोई अलग टैंट की व्यवस्था नहीं हुई और ना हीं मैं कहां सोउंगी, इसका कोई व्यवस्था किया गया। मुझे एक गेंद कि तरह कभी यहां तो कभी वहां ठोकर मारा जा रहा है। अतः उतनी रात गए मैं कहां जाती सो सुब्रत भैय्या के उपर मेरा पुरा विश्वास है और उनको अपना भैया मान कर उनके टैंट में जाकर सो गई। इस उत्तर को सुन टी डी मैडम कुपित हो गई । क्या तुमने किसी को सूचित किया था कि लड़कों के टैंट में सोने जा रही हूं। नहीं। इसमें सूचित करने की क्या आवश्यकता है। और फिर किसको सूचित करती। एक बार के लिए उष्मा बिना सोचे-समझे सरल भाव से बोल दी क्यों कैम्प कमान्डेंट नहीं है,कम से कम सी सी सर को बता देती तो तू छोटी हो जाती। तुम्हारे सर लोग तो बड़ा प्रशंसा करते हैं कि एन सी सी आर डी परेड करके आई है तथा गवर्नर मेडल पाई है।बड़ी अच्छी लड़की है। यही है तेरा एन सी सी डिसिप्लिन। मैम इतनी छोटी सी बात पर आप इतना गुस्सा कर रही हैं। मैंने तो कोई ग़लत कार्य नहीं किया। इसका मतलब यह है कि तू कैम्प में सबसे उपर है। चीखती हुई टी डी मैडम बोली। इससे उष्मा थोड़ा डर गई और उसके आंखों में आंसू की बूंदें छलक उठी। उधर टी डी मैडम का तेवर कम नहीं हुआ। कौन सी असुविधा हुई थी जो लड़कों के टैंट में हीं सोना उचित लगा। फीमेल टैंट में मुझे बड़ा छोटा बात सुनना पड़ा। जो व्यवहार मेरे साथ किया है वहीं यदि आपके साथ किया जाता तब समझ में आता है। अरे मजा क्या आता, मैं ऐसा कोई काम हीं नहीं करूंगी ताकि सबसे अपमानित होती रहूं। उष्मा भी अब तुनुक कर बोलने लगी। आप टी डी हैं और स्त्री हैं आपके लिए अलग से टैंट की व्यवस्था कि गई पर मेरे लिए वैसा व्यवस्था क्यों नहीं हुआ। आप सभी मैनेजमेंट के लोगों को सोचना चाहिए था मैं भी एक स्त्री जाति की हूं। यदि आपको टैंट की व्यवस्था नहीं की जाती तो आपको भी पुरूषों के हीं बिच में सोना पड़ता और मैं कहती आप पुरूषों के बिच क्यों सोने गई उस वक्त आपको कैसा लगता। इतना बोलने के बाद भी उष्मा अपने आंसूओं को नहीं रोक नहीं। उष्मा का क्रोध से तमतमाया चेहरा और और आंख की कोरों से टपकते मोति अश्रु कण देख कर श्यामल को बुरा लगता है। उष्मा को चुप रहने के लिए कहा तथा लक्ष्मी कांत टी डी मैडम से अनुरोध किया कि मैडम जाने दिजीए बच्ची है नासमझी में गलती की है। आपने तो कैम्प में डीसिप्लीन का ठीक से पालन होना चाहिए इस हेतु डांट लगाई हैं। अब इस विषय पर चर्चा नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे उष्मा की शिकायत होगी। पर टी डी मैडम को लड़कियों को चरित्र की धनी होनी चाहिए का भूत सवार था इसलिए उष्मा खराब हो गई है का ढ़ोल पिट रही थी। वैसे टी डी मैडम को उष्मा एवं अन्य कोई भी फीमेल सदस्य को देखना पसंद नहीं था। उष्मा के गवर्नर मैडल पर ताने दिया करती थी। उष्मा भी मैडम के उसके प्रति इर्ष्यालु भाव को समझाती है और मैडम के बातों का समर्थन नहीं करती है एवं जब भी वह अन्य नये सदस्यों के साथ रहती मैडम को लेकर आपस में खुब हंसी मजाक करती है। अतः उष्मा मैडम के द्वारा उसके चरित्र पर उंगली उठाते देख भला वह मैडम को क्यों कर क्षमा करे। वह मैडम को रूखे शब्दों में कहती है कि मैडम आप मेरे उपर उल्टा पुल्टा शब्द कह रही हैं इसका मतलब यह है कि आप भी सही नारी नहीं हैं।आप स्वयं हीं गन्दी है। ऐसी बातें सुनकर मैडम आग बबूला हो गई। क्या बोली नासमझ लड़की।तू अपनी तुलना मेरे साथ करती है। अरे मैं अच्छी या बुरी थी इन दोनों सर से पुछो। ओफ्फो मैडम इन बातों को ज्यादा क्यूं बढ़ा रही हो। सभी इस विषय को सुनकर शिकायतें करेंगे और इसमें हम सभी के ओर उंगली उठेगी। लक्ष्मीकांत इस व्यर्थ के विषय को हवा में तैरने से रोकना चाहा। परन्तु जब एक नारी हीं दूसरी नारी का दुश्मन बन जाए तो नारियां अपने स्वाभिमान की रक्षा कभी नहीं कर सकती है। टी डी मैडम को अपने को श्रेष्ठ साबित करने का भूत सवार था भला वह किसी के रोके काहे को रुके। वैसे भी कुछ नारियों का स्वभाव होता है ज्यादा बक बक करेगी। उधर श्यामल उष्मा को शांत होने का इशारा करता है। यह देख टी डी मैडम श्यामल को भी कच्चा खाने वाली दृष्टि से देखते हुए कहती है - दो सह दो सह। तभी तो आज कल की जवान होती लड़कियां उच्श्रृंखलता की ओर बढ़ रही है और चारो तरफ नारियों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ती जा रही है। मैं जानती हूं स्त्री जाति कहीं भी सुरक्षित नहीं है। भला पुरुष तांत्रिक समाज में अपने परिवार में हीं जब लड़कियां हैवानियत का शिकार हो रही है फिर बाहर कहां सुरक्षित रहेगी। मैडम आप जो कहना चाहती हैं स्पष्ट शब्दों में और जल्दी समाप्त करो। आप एक विषय को रबर की भांति खिंच कर लम्बी कर रही हैं। सर जी उष्मा का विषय है हीं अति संवेदनशील। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया न तो हमलोगों के क्लब पर कोई भरोसा नहीं करेगा एवं आने वाले समय में ट्रेनीज मिलना कठिन हो जाएगा। ठीक है फ़िलहाल तो विराम लगाओ। और इस लड़की को छोड़ो, उष्मा तुम जाकर सो जाओ।अपना बेडिंग यहीं लगा दे। ठीक है। वह उठने का प्रयास करती है। साथ हीं साथ घृणा भरे नजरो से टी डी मैडम की ओर देखती है। इसे मैडम समझ गई जबकि श्यामल एवं लक्ष्मी कांत इस घटना पर ध्यान नहीं दिया। उष्मा को जाते देख टी डी मैडम कहती है - मैं जानती हूं ज्यादातर सदस्य मुझसे घृणा करते हैं पर मैं उसकी चिंता नहीं करती लेकिन जो ग़लत है उसे मैं कभी स्वीकार नहीं करूंगी। आज जिस तरह से हमलोगों की बातें सुनकर यहां सोएगी उसी तरह पिछले दिन भी कर लेती तो मुझे क्या जरूरत थी उसको कटु वचन सुनाऊं। वैसे भी पुरुष जाति पर विश्वास करना नारियों की सबसे बड़ी मूर्खता साबित होती है। जब आजकल के बाप अपनी बेटी को और भाई अपनी बहन को नहीं छोड़ता है फिर फ्रेंड या बनाया गया भाई का क्या भरोसा है। टी डी मैडम को थोड़ा सा भी आशा नहीं थी कि उष्मा बाहर खड़ी होकर सब सुन रही है। अचानक उष्मा आवेशपूर्ण जोर जोर से सांस लेती वापस लौट आई तथा एकदम उंगली उठाते हुए बोलने लगी। मैडम लगता है आपके बाप और भाई ने गलत व्यवहार किया है इसलिए आपने सबके बाप और भाई अर्थात पुरुष जाति को घृणित बना दी है एवं एक मां होकर अपनी बेटी के उपर शक करती हैं।आपको शर्म नहीं आती है जो सभी पुरूषों को राक्षस बना रही है। अपने आपको बदलिए। शैतान लड़की तू मुझे ज्ञान दे रही है।तू अभी इस कोर्स को छोड़ कर चली जा। तेरे ऐसे सदस्य की क्लब में कोई आवश्यकता नहीं है। नहीं जाउंगी। है आप में क्षमता तो मुझे निकाल कर दिखाओ। एक बात और मैं आज भी जाकर सोऊंगी सुब्रत भैय्या के टैंट में, देखती हूं आप मेरा क्या बिगाड़ देगी। टी डी मैडम इस बार भौंचक्का कारण उष्मा से ऐसी बातों की आशा नहीं की थी। अतः वह श्यामल और लक्ष्मी कांत को उष्मा को प्रश्रय देने का दोष देती हुई तिलमिला कर बाहर निकल आई - ठीक है मुझे न्याय चाहिए मैं अपना रेजिग्नेशन दे रही हूं। इस क्लब में मैं रहूंगी या वो हरामजादी उष्मा रहेगी। अचानक इस प्रकार की परिस्थितियों से और भी ज्यादा ठंड बढ़ गई श्यामल एवं लक्ष्मी कांत हक्का बक्का एवं उष्मा भी आवेश से मुक्त होकर अपने को लज्जित महसूस कर टी डी मैडम को अपने बगल से जाते हुए देखती रह गयी। आंधी का एक शक्तिशाली झोंका आया और पलक झपकते हीं सब समाप्त करके चला गया। उष्मा को अंदाजा नहीं था उसके मुंह से मां समान नारी को अपशब्द कहेगी पर बन्दूक की ट्रीगर दब चुकी थी और गोली से किसी की मृत्यु निश्चित थी और मृत्यु हो जाने के बाद अफसोस करने से कुछ होने जाने वाला नहीं है। उष्मा वहीं पर बैठ गई और घुटनों में सर। थोड़ी देर बाद लक्ष्मी कांत उष्मा को कहा - देखो उष्मा मैं ऐसे व्यवहार की आशा नहीं की थी और अब तो जो होना था वह हो चुका है। अतः अब जाकर सो जाओ और हमलोगों को भी सोने का अवसर दो। वैसे भी रात काफी हो गई है तथा ठंडक भी बढ़ती जा रही है। उधर श्यामल अपने को असहज महसूस करता है। वह रूम से बाहर निकल आया,पुरे कैम्पिंग ग्राउंड के चारो तरफ नजर दौड़ाया। सब कुछ शांत ओसकण अपना साम्राज्य का विस्तार कर रहा था। केवल एक हैलोजीन की रौशनी की मुस्कुराहट श्यामल को चीढ़ा रहा था। तभी कानों में कुत्तों के लड़ने की आवाज सुनाई दी। आवाज की दिशा में कई कुत्तों को एक दूसरे पर आक्रमण करता हुआ देखा। झगड़ते हुए कुत्तों को भगाने के लिए उस स्थान पर गया जहां कुत्ते लड़ रहे थे। देखता है कि उस स्थान पर सब कुछ बिखरा हुआ है और कुत्ते वहां से भाग गए। श्यामल भारी मन से टैंट में वापस लौट आया तथा श्यामल को देखकर लक्ष्मी कांत परिहास करते हुए कहा - श्यामल दा पता नहीं यह नारियां कब सुधरेगी। जब देखो आपस में एक दूसरे के चरित्र पर उंगली उठाते रहती हैं और अंत में पुरूषों को गालियां देंगी,नींदा करेगी। इसमें कौन सी बड़ी बात है।इन लोगों का यही अंतिम पड़ाव है एक दूसरे को गंदी साबित करना। यह तो प्रकृति का अद्भुत खेल है लाख पुरुषों को गालियां देंगी पर ज्यादातर स्त्रियां पुत्र संतान की हीं कामना अधिक करती है।अब आप ये सब व्यर्थ की बातें न कर जाओ बेड पर लेटो। नींद आ जाएगी।
