किसे दूं अपनी गद्दी?
किसे दूं अपनी गद्दी?
हुगली नदी के पूर्वी किनारे स्थित कोलकाता शहर को मिनी इण्डिया कहना शत् प्रतिशत कहा जाए तो कुछ गलत नहीं है। इस नायाब नगरी मानव जीवन की हर गतिविधियों के लिए विख्यात है। जब हर गतिविधियों में विविधता है तो आय के साधनों में विविधता मिलना स्वाभाविक है। सो ऐसी स्थिति मे विश्व के प्रायः सारी मानव जातियों का मनपसंद कर्मस्थली कोलकाता हीं है। पश्चिम बंगाल के नागरिकों का एक बड़ा हिस्सा वनिक श्रेणी अर्थात माड़वारियों का है। इन्हीं में से राजमल तुलासारिया भी थे जो पापड़ का उत्पादन कार्य करते एवं बेचने का कार्य करते थे। उनके इस पापड़ के व्यापार में लगभग दो हजार लोग कार्य करते थे पुरे राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनका बाजार और वार्षिक चार सौ करोड़ का टर्नओवर था। कोलकाता नगर में राजमल तुलासारिया का नाम काफी श्रद्धा से लिया जाता था जो केवल एक उद्योगपति हीं नहीं बल्कि एक महान समाज सेवी भी थे। उनके दो पुत्र थे जिनका नाम ऋषि कुमार एवं ऋत्विक कुमार। दोनों भाई मेधावी छात्र थे। दोनों भाई कोलकाता विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की एवं साथ में मैनेजमेंट की डिग्री हासिल किया था। शिक्षा समाप्त करने के बाद पिता राजमल तुलासारिया के व्यापार में हिस्सा लेने लगे। इस प्रकार दोनों बेटों का सहयोग पाकर राज फूड इन्डस्ट्री और भी उन्नति करने लगी। राजमल तुलासारिया की उम्र भी हो चुकी थी और अब वह राज फूड इन्डस्ट्री से मुक्त होकर केवल समाज सेवा में अपना समय व्यतीत करने की सोच रहे थे परन्तु निर्णय नहीं कर पा रहे थे कि आखिर उनके परिश्रम से खड़ी उद्योग का दोनों पुत्रों में बांट दे या किसी एक को सारे दायित्व प्रदान करें। निर्णय नहीं कर पा रहे थे कि क्या करें, तो उन्होंने अपने कई मित्रों से चर्चा की जिस पर मित्रों ने परामर्श दिया-राजमल गद्दी का निर्णय बाद में लेना पहले कार्य का बंटवारा करो। मित्रों की बात उचित लगी। एक दिन अपने दोनों पुत्र ऋषि एवं ऋत्विक को अपने पास बुलाया और कहा अब तुम दोनो भाई ऊंची शिक्षा प्राप्त कर मेरे काम में हाथ बटा रहे हो और हमारा संस्थान बहुत तीव्र गति से बढ़ रही है और मैं चाहता हूं तुम दोनों भाई इसके लिए कुछ और भी करो। वो जो अपना गंगा के किनारे वाला गोदाम एकदम मेन रोड पर स्थित है वहां राज फूड इन्डस्ट्री के पापड़ के साथ कुछ और उपक्रम तैयार करो ताकि राज फूड इन्डस्ट्री का दायरा बढ़े। मेरी उम्र हो चली है और मैं चाहता हूं कि तुम दोनों भाई मेरे खड़े किए गए संस्थान को और भी उंचाई पर ले जाओ एवं मैं अब ईश्वर की सेवा में लगना चाहता हूं। पिता का परामर्श दोनों भाइयों को उचित लगी और अपने काम में लग गए। पहले तो दोनों भाई आपस में चर्चा किया कि उन्हें कौन सा नया संयोजन करें। पर बात नहीं बनी और बड़े भाई ऋषि ने निश्चय किया कि बाद में नई शुरुआत करेंगे जबकि ऋत्विक ने कम लागत पर मूंग के लड्डू का उत्पादन कार्य प्रारंभ कर दिया। धीरे-धीरे लड्डू स्थानीय लोगों को भा गया जिससे अच्छी लाभ हुई। अब लड्डू का उत्पादन अधिक कर दूर दूर के बाजारों में भी बेचने का प्रबंध किया तथा सफलता भी मिली। अब उसने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई और ऋषि से भी सहयोग की अपेक्षा की परन्तु वह पिता के पुराने उद्यम को मजबूती प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया था। इस विषय पर दोनों भाइयों ने आपसी सहमति पर अब नये-पुराने दोनों को सम्हालने लगे। फलस्वरूप राज फूड इन्डस्ट्री वर्तमान वित्तीय वर्ष में पुराने टर्नओवर से अधिक टर्नओवर का व्यापार किया। फिर एक दिन राजमल तुलासारिया ने दोनों बेटों को कहा मैं अपने कुछ मित्रों को लेकर तुम दोनों के कार्यों को देखने जाएंगे। ऋषि और ऋत्विक दोनों सहर्ष स्वीकार कर लिये। बस निर्धारित समय पर गंगा किनारे स्थित गोदाम पर पहुंचे तो आंखें फटी रह गई क्योंकि वहां लड्डू कारखाना में लगभग सौ कर्मचारी उत्पादन कार्य में लगे थे। कुछ सोच राजमल ने एक कर्मचारी से पुछा-तुमलोगों के साथ मैनेजर काफी सख्त है? नहीं ऐसा नहीं है वे हमें कर्मचारी कम कारखाने का सहयोगी मानते हैं,उस कर्मचारी ने उत्तर दिया। यह सुन राजमल ने एक अद्भुत प्रश्न किया कि तुम लोगों के बगल वाला कारखाना किसका है? इस पर वह कर्मचारी राजमल को गहरी दृष्टि से देखा फिर उत्तर दिया वह भी हमारी कंपनी है और वहां का मैनेजर कभी-कभी हमलोगों पर बरसने लगता है परन्तु अगले हीं पल हमलोगों से ऐसा मित्रवत व्यवहार करता है कि हम उनका बरसना भूल जाते हैं। इतना सुनने के बाद राजमल के साथ आए मित्रों में से एक ने फुसफुसाते हुए कहा राजमल भाई तुम्हें जो चाहिए था वो हमलोगों को मिल चुका है। कई दिन राजमल के तीन मित्र उसके घर आए हुए थे और ऋषि और ऋत्विक को पिता ने बुलाया और कहा-मेरे बच्चों मैं चाहता हूं ऋषि उत्पादन कार्य सम्हाले एवं ऋत्विक राज फूड इन्डस्ट्री के प्रबंधन व बाजार सम्हाले तथा दोनों भाई कुछ दिन पहले जैसे आपसी सहयोग और प्रेम से मिलकर राज फूड इन्डस्ट्री को आगे बढ़ाने का कार्य करते थे वैसे ही आज से रहोगे। दोनों भाइयों ने अनुभवी पिता के आदेश को माथे से लगा लिया।
