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Nitu Mathur

Classics Inspirational

4  

Nitu Mathur

Classics Inspirational

पावन प्रतिज्ञा

पावन प्रतिज्ञा

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"दादी, इस हेयर स्प्रे की खुशबू कितनी प्यारी है ना, आज आप भी अपने बालों में थोड़ा लगा लो", नटखट निया ने सुनंदा के हाथ में हेयर स्प्रे की बॉटल थमाते कहा। " नहीं बेटा तुम ये वापस मम्मी को दे आओ, ये तो तुम बच्चों की स्टाइलिंग के काम आता है, मैं तो सिम्पल चोट नाती हूं, मुझे नही चाहिए", सुनंदा ने निया के हजारों सवाल,जो हमेशा उसके मुंह में रहते थे, उनका जवाब देते हुए कहा। तभी उनकी बहू निशा कमरे में आई और धीमे आवाज़ में बोली, "मम्मी, आपकी बनारसी साड़ी रेडी हो गई है, आप प्लीज पहन लीजिए और फंक्शन के लिए तैयार हो जाइए, आप चाहो तो मुझे बुला लेना, मैं बाहर ही हूं"। निशा ने साड़ी बेड पर रखी और बाहर आ गई।

 सुनंदा ने ख़ुद को संभालते हुए अपना चश्मा पहना और सामने फ्रेम में लगी अपने पति की तस्वीर को नम आंखों से देखने लगी, अपने मन में वो बोल रही थी कि...आपने अपने परिवार और समाज सेवा की जो जिम्मेदारी मुझे दी है, वो मैं पूरी कोशिश से निभा रही हूं और आज वही करने जा रही हूं जो आप चाहते थे,जो हमेशा से आपका सपना था। मन मन में बात करते हुए सुनंदा की आंखों से आंसू छलक पड़े , उसे लगा जैसे उसके पति ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखा है, और उसे हिम्मत और हौसला दिया है। " मुझे आपका संकेत मिल गया है, पास नहीं हो, मैं जानती हूं, लेकिन हमेशा मेरे साथ रहना"। इतना बोलकर वो फंक्शन के लिए तैयार होने लगी। सुनंदा ने वही साड़ी पहनी जो उसके पति 5 साल पहले ख़ास उसके लिए लेकर आए थे। 

2 साल पहले उनके पति का निधन हो चुका था, उनके परिवार में उनकी 2 बड़ी बेटियां और 1 छोटा बेटा था। बेटा बहु दोनों तन मन से सुनंदा का खयाल रखते थे। प्यारे पोता पोती से उनका दिल बहल जाता था। इस उमर में पति पत्नी का साथ बहुत जरूरी होता है,

लेकिन यही जीवन मृत्यु का साथ भी सत्य है। इस दुःख से निकलना बहुत मुश्किल होता है... फ़िर भी अपने परिवार और बच्चों का चेहरा देखकर सुनंदा ने ख़ुद को बड़ी हिम्मत से संभाला, वो नही चाहती थीं कि उसका ये शोक घर में आने वाली छोटी बड़ी खुशी में रुकावट बनें। 

सुनंदा के पति (भागवत बहल) भी अपने समय में समाज सेवा और दूसरों की सहायता में हमेशा तत्पर रहते थे, वो इस कम्युनिटी के पूर्व सचिव भी थे। अपनी मृत्यु के कुछ समय पूर्व उन्होंने कहा था कि मैं अपनी तरफ से कम्युनिटी के होनहार बच्चों को पुरस्कार देना चाहता हूं, लेकिन ये तब संभव नहीं हो पाया। परिवार में आए अचानक इस दुख ने सबको हताश कर दिया था।

 कम्युनिटी की तरफ से सुनंदा को गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में निमंत्रण दिया गया था... वहीं सुनंदा ने भी अपने पति की मेमोरी में उस फंक्शन में पार्ट लेने वाले सभी विनर कंटेस्टेंट के लिए अलग ट्रॉफी और पुरुस्कार देने वाली थी। इस बात से घर के सभी सदस्य बहुत उत्साहित थे। फंक्शन में सुनंदा का काफ़ी आदर और सम्मान हुआ, फिर उस ने अपने पति का वादा पूरा किया और पुरुस्कार वितरण किया, सारा हॉल तालियों से गूंज उठा, सभी उनके सम्मान में खड़े होकर ताली बजाने लगे। सुनंदा का गला भर आया था और उसकी आंखों से आंसू छलक रहे थे, सुनंदा ने सूक्ष्म शब्दों से सबको धन्यवाद और आशीर्वाद दिया। पीछे खड़ी निशा ने उन्हें गले लगाया और हाथ पकड़कर उन्हें नीचे लेकर आने लगी। आज सुनंदा ने एक सच्ची जीवन संगिनी बनकर अपने पति का सपना पूरा कर दिया था।

सब कुछ भूलना इतना आसान नहीं होता, उसके लिए खुद को मजबूत बनाना पड़ता है। सच्चे जीवन साथी वही हैं जो पास चाहे ना हों पर हर पल साथ रहें। एक दूसरे पे विश्वास रखें, प्रतिज्ञा पूरी करें। 


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