स्वयं का सम्मान,बड़ा सम्मान
स्वयं का सम्मान,बड़ा सम्मान
"आत्म विश्वास आत्म निर्भरता की पहली सीढ़ी है।"
और कोई भी समाज तभी आगे बढ़ता है जब उसमें महिला की भी उतनी ही भागीदारी हो, जितनी पुरुष की होती है, तभी एक सशक्त और विकसित समाज का , एक प्रगतिशील देश का निर्माण होता है।
पिछले कुछ सालों में नारी के अनेक रूप और उनके साहसी कारनामों ने पूरे विश्व में नारी के लिए एक अलग ऊंची जगह बनाई है। ममता के रूप से लेकर फौज़ के शोर्य तक, धरती की गोद से आसमान के शीर्ष तक गर्व से अपना नाम दर्ज करवाया है। समाज की तथाकथित सोच को मिटा कर नए समाज का सृजन किया है।
अब वो आज़ाद है, अनंत है, अपार है, उसे खुद अपने हुनर की कद्र है, फक्र है। अपनों से प्यार करने के साथ साथ उसने खुद से भी प्यार करना सीख लिया है।
कितनी भी बड़ी मुश्किल क्यूं ना हो , वो उसे बड़े ही सहज तरीके से पूरा करने का हौसला रखती है।
आग में जलकर या धरती में समाकर अपनी गरिमा का परिचय देने के दिन अब गए, आज की नारी अपने सशक्त विचारों और दृढ़तापूर्ण कार्यों से अपने साहस का परिचय दे रही है। उसे किसी के सम्मान, या प्रेरणा की कोई जरूरत नहीं है, अपने इरादों से वो सहज ही अपने हुनर का प्रमाण दे रही है। परिवार बच्चों की जिम्मेदारी से लेकर देश के कई प्रभावशाली पदों पर आज महिलाओं ने अपना बराबर का मुकाम हासिल किया है।
Compsrison और competition की इस भागदौड़ में आज हर महिला अपनी साथी महिला से collaborate कर रही है, उसका साथ दे रही है। विशेष रूप से भारत की महिला अब ये जान गई है, समझ गई है कि समाज की तथाकथित बेड़ियों को तोड़ने के लिए कोई विवाद या मोर्चा निकालने की नहीं बल्कि स्वयं में उनसे लड़ने का साहस जगाने की जरूरत, स्वयं में सकारात्मक परिवर्तन लाने से आप में और फिर देश और समाज में स्वत ही परिवर्तन आ जाता है।
"आप स्वयं में परिपूर्ण हैं, अपना सम्मान स्वयं कीजिए।"
