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Nitu Mathur

Classics Inspirational Others

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Nitu Mathur

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ममता…एक नया प्रारूप

ममता…एक नया प्रारूप

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“आज रश्मि का checkup है मम्मी, मैं  उसे हॉस्पिटल ले के जा रहा हूँ,” रमन ने breakfast table पर अपने मम्मी पापा को बताया, उसकी माँ आशा को बहुत समय से इंतज़ार था कि रमन को जल्दी से एक संतान हो और उनका घर छोटे बच्चे की किलकारियों से गूंज उठे। “हाँ बेटा, मेरा तो सब्र अब काम नहीं कर रहा है, बस भगवान से प्रार्थना है कि वो जल्दी से अपना आशीर्वाद हम सब पर बनाये और हमारी गोद में एक नन्हा सा उपहार आशीर्वाद स्वरूप दे दे, तुम रश्मि को ध्यान से ले जाना और फिर वहाँ से हमें फ़ोन करना”, आशा ने रमन की तरफ़ एक चाह भरी नज़र से देखा और उसे जाने के लिए कहा। 


रमन और रश्मि की शादी को 5 साल हो गए थे, कुछ complications के कारण रश्मि को बच्चा नहीं हो पा रहा था, अभी कुछ इलाज और विशेष रखरखाव से उसे अब दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत पहचान ‘माँ’  बनने का मौक़ा मिल रहा है, जिसके लिए वो पिछले 3 साल से तरस रही थी। रमन, रश्मि और परिवार वाले अपनी ज़िंदगी में आने वाली इस ख़ुशी से बहुत उत्साहित थे और आने वाले नन्हे मेहमान की तैयारी में लगे हुए थे। 


हॉस्पिटल की gynecologist डॉ कीर्ति रश्मि की पूरी जांच करती है और फिर रमन की तरफ़ देखते हुए कहती है कि “वैसे तो रश्मि को अभी 8th महीना ही चल रहा है, लेकिन बाद में शायद कुछ complications आ सकती हैं क्यूंकि baby का development रुक गया है और हमें जल्दी ही cesarean operation करना पड़ेगा।” “आपको मुझे जल्दी ही बताना पड़ेगा”, रमन रश्मि की तरफ़ देखता है तो वो सिर हिलाती है फिर रमन डॉक्टर से कहता है , “डॉ कीर्ति आप आज ही operation कर सकती हैं,  हमारे लिए बच्चा और रश्मि दोनों की  ही सेहत जरूरी है, हम कोई भी risk नहीं लेना चाहते हैं”। रमन के कहते ही डॉ ने तैयारी शुरू कर दी, रमन ने रश्मि का हाथ पकड़ा और उसे प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा , दोनों का सपना आज पूरा होने जा रहा था। नम आंखों से दोनों ने एक दूसरे को देखा और फिर sister रश्मि को OT में ले गई। 


करीब एक घंटे बाद डॉ कीर्ति बाहर आई और उन्होंने भारी मन से बताया कि बच्चा पहले से ही मरा हुआ था, poison ज़्यादा ना फैल जाये इसके लिए operation करना जरूरी था। रश्मि ठीक है, तुम उससे मिल सकते हो। थोड़ी देर बाद जब रश्मि को होश आया तो रमन ने उसे गले लगाया और उसे दिलासा देते हुए कहा कि “तुम ठीक हो रश्मि, बस मुझे और कुछ नहीं चाहिए। रश्मि कुछ समझ नहीं पायी, उसने जब बच्चे के बारे में पूछा तो डॉ कीर्ति ने उसके सिर पर हाथ रखकर उसे दिलासा देते हुए कहा कि सारी बात बतायी। रश्मि के आंसू बिना रुके बहे जा रहे थे, वो ख़ुद ही को कोस रही थी उसने रमन से कहा कि, “मैं अच्छी माँ नहीं हूँ, अपने बच्चे को बचा नहीं पायी”, रमन ने उसे शांत कराया और उसे प्यार से कहा कि तुम ज़्यादा मत सोचो रश्मि, तुम अपना ध्यान रखो, मेरे लिए तुम सबसे अनमोल हो, प्लीज़ ऐसा मत सोचो”। 

डॉ कीर्ति ने देखा कि रश्मि का शरीर बच्चे के लिए पहले से ही तैयार हो गया था और उसकी छाती से लगातार दूध निकल रहा था, उसने रमन और रश्मि की तरफ़ देखा और बोला, “रश्मि तुम्हारे पास एक नहीं कई बच्चों की माँ बनने का सौभाग्य मिल सकता है, अगर तुम्हें ठीक लगे तो, यहाँ अगले वार्ड में वो बच्चे हैं जिनकी माँ नहीं है , तुम अपना दूध उन्हें देकर ये सौभाग्य प्राप्त कर सकती हो, इससे तुम्हारी सेहत भी थोड़ी बेहतर हो जाएगी और एक तरह से माँ बनने का मौक़ा भी”। डॉ की ये बात सुनकर रश्मि की भीगी आँखों में चमक आ जाती है, वो और रमन इस बात के लिये तैयार हो जाते हैं। डॉ कीर्ति  रश्मि को उस वार्ड में ले जाती है और कहती है कि, “आज से तुम एक नहीं कई बच्चों की माँ हो रश्मि”। बाद में उनके परिवार वाले भी आ जाते हैं और उनके इस फ़ैसले पर बहुत गर्व करते हैं। रश्मि ख़ुद से अब थोड़ा अच्छा महसूस करने लगती है और अपने निर्णय पर ख़ुश होती है। 


माँ बनना एक औरत के लिये सबसे ख़ास और खूबसूरत पल है, जिसे वो पूरे तन मन से सारी जिंदगी भर जीती है। लेकिन सिर्फ़ बच्चे को पैदा करने से ही माँ का सुख मिले ज़रूरी नहीं,  अगर ऐसा होता तो श्री कृष्ण को यशोदा माँ का प्यार और ममता नहीं मिलती। दुनिया में हर माँ की ममता सभी बच्चे के लिए बराबर है। सच्ची ममता किसी एक बच्चे की मोहताज नहीं होती, वो सभी बच्चों के लिए समान होती है। 




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